मेरा हरा कुर्ता ,पतिदेव की मदद
मेरा हरा कुर्ता ,पतिदेव की मदद
नीमा ऑफिस में थी और फोन बजा, देखा तो पतिदेव का फोन था। नीमा ने फोन उठाया और कहा "हाँ कुशल बताओ? बच्चे उठे या अभी भी सो ही रहे हैं?"
कुशल ने कहा "देवी जी! मैं भी घर सम्भाल सकता हूँ। बच्चे उठ भी गए और उनका नाश्ता भी हो गया है। अभी मशीन लगाई है, मैं कपड़े धो रहा हूँ। अच्छा मैंने फोन ये जानने के लिए किया था कि तुम खाने पर घर आओगी या हम तीनों कर लेंगे।" नीमा ने कहा "बताती हूँ, लंच टाइम से बिल्कुल पहले एक बैठक है उसके अनुसार बताती हूँ। दोनो ने फोन रख दिया।
नीमा अपने काम में लग गई। कुशल और बच्चों की शनिवार को छुट्टी होती है पर नीमा का अफिस रहता है। काम करते करते अचानक नीमा को कुछ याद आया और हड़बड़ी में फोन लगाती है। फोन उठते ही कहती है "कुशल कौन से कपड़े धोए हैं तुमने! कुशल बड़ी ही शान से बताता है मेरे, तुम्हारे, बच्चों के और चादरें-तकिया खोल-तौलिया सभी धो दिए है मैंने।"
नीमा अपनी जगह से खड़ी हो जाती है और बेचैनी एवं ग़ुस्से से यहाँ वहाँ चहलक़दमी करने लगती है। फिर पूछती है "वो अलमारी के दरवाज़ा में टंगा मेरा हरा कुर्ता भी धो दिया क्या?"
"हाँ", बेफ़िक्री में कहता है कुशल।
नीमा कुछ ज़ोर से कहना चाहती थी पर अफिस में होने के कारण खुद पर क़ाबू रखते हुए पूछा, "किन कपड़ों के साथ धोया?"
"मेरे और तुम्हारे कपड़ों को साथ में ही धोया। पर ये क्या फ़ालतू की बातें पूछ रही हो, बताओ फोन क्यों किया है।"
नीमा फिर कहती है, "अच्छा बताओ कुर्ते का रंग तो नहीं निकला? पहली बार धुला है मेरा वह कुर्ता। इसलिए ही उसे अलग रखा था।"
कुशल बताता है, "नहीं कुर्ते का रंग तो नहीं निकला है| वह तो हरा ही है, हाँ पानी हरा ज़रूर हुआ था और मेरा दो क़मीज़, सफ़ेद वाली और हल्के नीले वाली, थोड़ा हरे के शेड में आ गयी हैं। शायद धुलने से रंग बदल गया है। अब तो दोनों क़मीज़ें बहुत ही स्टायलिश लग रही हैं।" कुशल घर के काम करके बहुत खुश था क्योंकि उसने अपनी प्यारी पत्नी को मदद जो की थी।
अब नीमा को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह कुशल की इस मासूमियत पर ग़ुस्सा करे या प्यार दिखाए। नीमा ने कहा "अच्छा ठीक है , कितने अच्छे हो तुम , मेरा कितना काम निपटा दिए । चलो फिर शाम को मैं फ़्री हो गई , तो कहीं घुमने चलते है,और सुनो अब कुछ और काम ना करना, तुम थक जाओगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा। अच्छा रखती हूँ।"
अब नीमा अपने सिर पर हाथ रखे मुस्कुरा रही थी और धीरे से कहती है “ उफ़्फ़ ! ये पति , सच में कुछ ख़ास ही होते हैं” और अपने काम में लग जाती है।
ऐसे प्यारे पति हम सभी के पास हैं जो हमारी मदद बहुत ही शिद्दत से करते हैं| पर क्या कि कुछ चूक हो ही जाती है। ये सारे चूक बड़े ही प्यारे और हसीन होते हैं| उन्हें हम या तो संजो कर रख लें या फिर मुद्दा बना कर थोड़ी प्यार भरी चिकचिक कर लें, ये तो बस हम पत्नियों पर निर्भर है।