अपनों या समाज के लिए
अपनों या समाज के लिए
न जाने क्यों कभी कभी हमें ये ख़याल आता है की हम अपनों के लिए या समाज के लिए कुछ कर पाते है, या नहीं, क्योंकि हम चाहे जितना भी अच्छा कर्म क्यूँ न करे कम्बख्त हमेशा वो कम ही क्यूँ लगता है। हाँ शायद हम ऐसा नहीं कर सकते है जैसा चाहिए होता है, या हम जिस तरह से करते है वो भी शायद कम पड़ता होगा। अब ये हकीक़त है या हमारी धारणा ये हमें नहीं पता पर ये बात ज़रुर सही है कि हम चाहे जितना भी कर ले वो जीवन में कम ही पड़ने वाला है। क्योंकि इंसान की महत्वाकांक्षा और इच्छाएं कभी कम नहीं होने वाली है। हाँ अगर इंसान जीवन में संतोष करना सिख ले और ज़िदगी में हंसते मुस्कुराते हुए खुश रहे और ख़ुशियाँ बांटते हुए जीवन में सब साथ मिलकर सच्चे दिल से आगे बढ़ते रहे, तो उसे कभी भी कुछ भी कम नहीं लगेगा वो जीवन में हमेशा खुश ही रहेगा ।