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क्या यही प्यार है

क्या यही प्यार है

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सीमा आज बहुत खुश है भले ही उम्र उसकी पचपन की हो गई हो, पर वह मन से आज भी उतनी ही जवां और खुशमिजाज है जितनी तीस की उम्र में थी, राहुल के जाने के बाद वह बहुत अकेली हो गई थी पर उसने अपने आपको सम्भाल लिया समय रहते। अपने लेखन पाठन में खुद को व्यस्त रखती आधा समय तो कॉलेज में ही निकल जाता, लड़के लड़कियों को पढ़ाते।

पिछले कुछ महीने से वह नोटिस कर रही थी डॉ सोमेश उसका कुछ ज्यादा ही ध्यान रख रहे थे हर बात में अटेंशन, उसे अच्छा भी लग रहा था, वह भी उनकी बातो में बहुत रुचि ले रही थी।शायद दोनो की रुचियां वो भी साहित्यिक अभिरुचि एक समान थी दोनो घण्टो एक विषय पर बात करते, आपस मे किसी विषय पर बहस भी कर लेते, साथ समय गुजारना भी मन को सुकून दे रहा था।

इस बार बेटा आएगा तो बात करूंगी सोच रखा है उसने, माँ बेटे के बीच ट्रांसपरेंसी है सब बात एक दूसरे को बता देते हैं पापा के नही रहने के बाद तो और भी ज्यादा।

अमित उसका बेटा, उसका सब कुछ इस बार छुट्टियों में आया है।दोनों साथ बैठे हैं, रीमा ने उसको डॉ सोमेश से मिलवाया, अमित को बहुत पसंद आये वो, एकदम सुलझे विचारों के, शादी नही की उन्होंने, अकेले ही हैं पूछने पर बोले -"कोई मिली नही मेरे जैसे विचारों वाली "

रीमा को देखते वे बोले।

अमित ने उनके जज्बातों को उनकी आँखों में पढ़ लिया।

अगली सुबह वह माँ से बोला - "माँ आप अकेले रहते हो यहाँ, मुझे आपकी चिंता लगी रहती है "

रीमा ने पूछा " भूमिका मत बांध तू क्या कहना चाहता है बोल।"

"माँ आपको डॉ सोमेश कैसे लगते हैं "

"अच्छे हैं "

"माँ क्या आप उन्हें पसन्द करती हो "

"बेटा तेरे पापा के जाने के बाद "

"माँ पापा अब नहीं है इस दुनियां में "

आप दोनों की रुचि, शौक सब एक जैसे हैं इन्फेक्ट वो "आपको बहुत पसंद भी करते हैं और आप भी।"

"क्या कह रहा है बेटा "

"माँ जीवन की सच्चाई यही है, पापा के जाने के बाद आप बहुत अकेले हो गए हो पापा आपका बीता समय थे और अब आप वर्तमान में जीयो अपने मन को मारो मत, आइ थिंक, आपको डॉ सोमेश से प्यार भी हो गया है, तो आगे बढ़ो माँ, उनको अपना लो, वो आपका बहुत ध्यान रखेंगे।

उस रात रीमा की आँखों मे नींद ना थी, पूरी रात उसके जेहन में बेटे की बातें गूंज रही थीं, और बार बार डॉ सोमेश का चेहरा उनकी बातें, उसका मन उससे यही पूछ रहा था क्या यही प्यार है वो फिक्र उनकी हर बात में, हर चिंता अपने सर ले लेना।

सुबह वह एक फैसला ले चुकी थी बेटे ने डॉ सोमेश से बात की वे तो कब से चाह रहे थे कि एक बंधन में बंध वे सब साथ रहें।

बहुत ही सादे तरीके से उन्होंने इस रस्म की एक अदायगी की और शादी के अटूट बन्धन में बंध गए उनके प्यार को मंज़िल मिल चुकी थी।


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