माँ का दिल
माँ का दिल
"बेटा सुखवीर !"बहुत देर से खामोश लेटी माँ ने पैंसठ साल के बेटे सुखबीर को पुकारा तो उसके चेहरे पर खुशी के भाव आ गये। और चारपाई पर बैठे पोती पोते, पर पोते सभी एक दूसरे को देखने लगे।
"हाँ माताजी "सुखबीर खुशी से चिल्लाते हुए बोले।
"बेटा मैं तो अंतिम यात्रा पर हूँ ...।"
"ऐसे मत बोलो माता जी।" नब्बे साल की माँ को सुखबीर ने चुप करा दिया। सबकी आँखें नम हो गयीं।
"खाना समय पर खा लिया करना और ठंड से बचकर रहना ठीक है ..।"कपकपाती बेटे के प्रति चिंताभाव देखकर पुनः सभी की आँखें भर आईं ।
"माताजी मैँ बच्चा हूँ क्या ?तुम जल्दी से ठीक हो जाओ फिर बातें करेंगे बहुत सारी। "सुखबीर ने भर्राये गले से कहा।
"तू तो हमेशा रहेगा ।"कहते हुए माँ ने आशीर्वाद के लिए हाथ उठाना चाहा मगर उठा न सकीं ।सदा के लिये चिरनिंद्रा में जो सो गयीं थीं ।