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मैं अभी शादी नहीं करूँगी

मैं अभी शादी नहीं करूँगी

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बीटेक के चार साल पूरे हुए , फिर मुझे और मोहित को नौकरी मिलते ही हमने सबसे पहले अपने रिश्ते के बारे में घर में बता दिया। बीटेक पहले साल में ही मैं और मोहित प्यार में पड़ गए थे और तब से अब तक आज के दिन का इंतज़ार किया। शुरू-शुरू में थोड़ा न नुकुर किया घर वालों ने, लेकिन मान ही गए और हम दोनों की शादी तय हुई। हम दोनों की तो खुशी का ठिकाना ही न था। चार सालों से हर रोज़ अपने आपको दुल्हन के जोड़े में देख चुकी थीं। बहुत सारे ख्वाब सजाए थे हमने मिल कर। अब जब ये सारे ख्वाब सच होने वाले थे अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा था। शादी तय होते ही मैं और मोहित प्री वेडिंग फ़ोटो शूट, हनीमून और न जाने क्या क्या प्लांनिंग करने लगे थे।

हमारे घर वाले हमारी खुशी देखकर बहुत खुश थे। मोहित का परिवार भी बहुत अच्छा था, उन्होंने शादी में कोई मांग नहीं रखी थी। लेकिन हर माँ-बाप अपनी तरफ से शादी में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते, मेरे माँ बाबा ऐसे ही थे। बाबा ने माँ को बोल रखा था मेरी बेटी की शादी में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, जो कुछ मेरी लाडली को चाहिए, उसे वो सब ख़रीद देना। अच्छे-अच्छे कपड़े, जेवर और जो भी इसे चाहिए हो। 

मैं तो बहुत खुश थी ही और माँ बाबा की खुशी देख कर मै और भी खुश थी। कितने सारे सपने सजाए थे, मुझे अपनी शादी में बहुत सुंदर लगाना था। मंहगा पार्लर, बढ़िया डिजाइनर लहंगा, खूब सारी साड़ियां, कपड़े, मंहगे ब्रांड के मेकअप, सुंदर जेवर, मुझे खूब सारी शॉपिंग करनी थी। मैंने और माँ ने शॉपिंग शुरू की, लेकिन मेरे सपने इतने थे कि बजट बिगड़ ही जाता था हर बार।

एक दिन मैंने माँ को बाबा से बात करते सुना "अपनी बेटी के सपने बहुत बड़े हैं, इतने मंहगे सामान के लिए पैसे कहां से आएंगे और शादी के इतने सारे खर्चे और भी तो हैं अभी।" बाबा बोले कोई बात नहीं उसे जो चाहिए वो दिलवा दो। अब तो शादी हो रही है उसकी, जब बेटी विदा हो जाएगी तब मै कहां उसकी ख्वाहिशें पूरी करने जाऊंगा। मैं बैंक से कर्ज ले लेता हूं, लेकिन तुम कोई भी कमी न करना उसकी ख्वाहिशों में और ये कर्ज वाली बात उसे न पाता चले ध्यान रखना।

बाबा की बातें सुनकर अचानक ही मैं अपने सपनों की दुनिया से बाहर आ गई। ये मैं क्या कर रही थी ! हमेशा तो दहेज का आरोप लड़को वालों पर लगता है जिसके बोझ के तले लड़की वाले दब जातें हैं और यहां मैं क्या कर रही हूं ? मैं अपना दहेज खुद ही मांग रही हूं। अपने माँ-बाबा को कर्ज के बोझ के तले खुद ही दबा रहीं हूं। मैं तो शादी कर के चली जाऊंगी फिर मेरे बाबा इस उम्र में जीवन भर कर्ज उतारते रहेंगे। नहीं नहीं ! मैं ऐसा नहीं कर सकती, तो क्या करूँ, हर लड़की की तरह जो मैंने इतने सपने देखे थे अपनी शादी के| क्या अपने सपनों, अपनी खाव्हिशो का गला घोंट दूँ ? शादी भी तो एक बार होनी है। 

मैं तुरंत ही कमरे में घुस गई जहां माँ-बाबा बातें कर रहे थे। बाबा ने वैसे ही बात बदल दी जिससे मुझे कुछ न पता चले। मैंने भी ऐसा जताया जैसे मुझे कुछ पता नहीं। बस बाबा का हाथ अपने सिर पर रखा और बोला कुछ मांगना था आपसे मना तो नहीं करेंगे। माँ तो घबरा गई पता नहीं क्या मांग लूंगी। मेरी मांग पूरी कर भी पाएंगे वो लोग कि नहीं, लेकिन बाबा ने हमेशा की तरह मुझसे कहा "क्या चाहिए बता, तेरा बाबा जरूर ला कर देगा।" तो बाबा मुझे थोड़ा वक़्त दे दो "मैं अभी शादी करना नहीं चाहती", लेकिन क्यों बेटा मोहित तो तेरी ही पसंद है न, क्या मोहित ने कुछ कहा ? नहीं उसने कुछ नहीं कहा। बस मेरी अभी-अभी नौकरी लगी है, मैं पैसे कामना चाहती हूं। बाबा बोले "तो शादी के बाद तो करेगी ही न तू नौकरी।" न चाहते हुए भी मेरी आंखों में आंसू आ गए, मैं बोली "बाबा आपकी ये बेटी आपको कर्ज में नहीं देख सकती।"

"बेटा ये तो हर बाप का सपना होता है, बेटी की शादी धूम-धाम से करे, उसमे तू क्यों परेशान हो रही है। मैं अपनी ख्वाहिशों का भवन आपको कर्ज के बोझ के तले दबा कर नहीं खड़ा कर सकती। मैं पैसे इकट्ठे कर अपनी शादी का खर्च खुद उठाऊंगी। बस अब मैं कुछ नहीं सुनने वाली। 

माँ बोली लेकिन मोहित वो रुकेगा तेरे लिए ? अगर मेरा चुनाव सही होगा तो वो जरूर रुकेगा, नहीं तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। जब भी जिससे भी शादी करूंगी अपना खर्च खुद उठाऊंगी। आपने इसीलिए तो मुझे इस लायक बनाया है, मुझे पढ़ाया लिखाया, मुझे काबिल बनाया, जिससे मै कमा सकूं। मेरी पढ़ाई में आप पहले भी खर्च कर चुके हैं और अब मैं इस लायक बन चुकी हूं कि अपना खर्चा खुद उठा सकूं, अपने सपनों को पूरा कर सकूं।

मोहित और मीनाक्षी की शादी पांच साल बाद धूम-धाम से हुई, मीनाक्षी ने अपनी शादी में अपने सारे अरमान पूरे किए। आज बहुत गर्व था माँ बाबा को अपनी बेटी पर।



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