निर्माताओं से मुलाक़ात
निर्माताओं से मुलाक़ात
वो मुझे साथ लेकर गया, उसे चुपचाप इंसान ढूंढना था| सबसे पहले उसने मिलाया एक नामी शिक्षक से, जो बात करने में तेज़ था, लेकिन खुद नकल कर के उत्तीर्ण होता था| फिर उसने मिलाया एक बड़े चिकित्सक से, जो अपनी चिकित्सा की पद्धति को सबसे अच्छा कहता और बाकी को बुरा| फिर मिलाया तीन भिखारीयों से, जो अपने धर्म का हवाला देकर भीख मांगते थे और रोज़ रात को खुदके परिवार वालों को ही नशे में मारते | उनमें से एक का नाम भीखू था, दूसरे का प्रवचन और तीसरे का नेता| आखिर में मिलाया एक लाश से, वो खुद तो चुप थी, लेकिन उसके घर के लोगों का क्रन्दन बहुत तीव्र था, हालाँकि उनके मन में धन का हिसाब चल रहा था| उसने आखिरकार चुप्पी तोड़ी, "ऐसा लगता है कि इंसान को मैं तत्वों से नहीं दूसरों के शब्दों से बना रहा हूँ|"