उठ चल माँ मेरे साथ
उठ चल माँ मेरे साथ
कुछ कहानियां ऐसी होती है जिनका सम्बन्ध हमारे दिल से जुड जाता है । ऐसी ही एक कहानी को में लिखनें जा रहा हूँ, अगर सच्चाई लगें तो जरूर दुसरों तक इसें पहुँचाए ।
यह एक प्रकार की शीर्षांकत्मक कहानी है इसका किसी भी घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है ।
“रविवार की छुट्टी में बच्चों के साथ घुमने के लिए गाड़ी में घर निकलते ही निकटतम चौराहाए पर ही मेरी नजर एक छोटे से बच्चे पर पडी वो मात्र 11 वर्ष से भी कम की आयु का बच्चा था । स्कुल की ड्रेंस में ही वों बच्चा गन्दें बर्तन साफ कर रहा था । मैंने सरकार और उसके घरवालों को गाली देते हुयें अपनी गाड़ी आगें बढा ली, रविवार की छुट्टी का मजा लेते हुयें, सर्दी की रात में नीन्द की आगोश में कब खो गया पता ही नहीं रहा। सुबह बीवी की आवाज ने मेरी नीन्द में खनन्न डालते हुये मुझें उठाया और बोली आज स्कुल में प्रैरेन्टस मीटिगं है और अपने सारे कार्य निपटा कर शाम को घर आतें समय मेरी नजर उसी बच्चे पर पड़ी, उसके साथ एक बच्चा और था जो उसका छोटा भाई लग रहा था । मैनें दोनों की हालत देखी तो इस गहरी सर्दी में दोनों एक ही जैसी फटी सी कमीज पहने हुयें थे । सारी रात मेरी जहन में यही सवाल आता रहा कि वों क्या बात कर रहें होगें कि उन्हे सर्दी का एहसास तक नहीं हो रहा था ।
समय के साथ सब बदलता रहा कुछ दिन बाद मेरा जाना एक सरकारी स्कुल में हुआ तो मैनें स्कुल की हालत देखी तो असहमत सा महसुस किया खुद को तभी मैने देखा कि एक टीचर दो बच्चो को पीट रही थी और कुछ अजीब तरह से बड़बड़ा रही थी । दोनों वों ही बच्चे थें । मैने अनदेखा कर के नजर घुमा ली और अपने कार्ये को करने लगा, फिर लोटते समय सड़क पर उन दोनों बच्चों को देखा और सोचा कि इनके घर जाकर इनकी माता-पिता की कुछ मदद करू । लेकिन वो तो किसी कब्रीस्तान की ओर जा रहें । मैंने देखा और असमंझ में पड गया कि ये वहाँ क्या करने जा रहें है, या शायद खेलने जा रहे होंगें । मैंने गाडी रोक ली ओर उनकी तरफ निकल पडा ।
पर वहाँ जा कर जो हाल देखा तो मेरा सारा क्रोध आंशुओं में बदल गया मैने देखा छोटा वाला बच्चा एक कब्र के पास लेट कर खेल रहा था और दुसरा बच्चा रोते हुए बोल रहा था कि ‘’चल उठ माँ जवाब दे उस मैडम को जिसने आज मेरे भाई को भी पीटा है, वों हमेशा बोलती है कि कैसी है, तेरी माँ जो तुम्हें गन्दे कपडो में ही बिना होमवर्क किये ही भेज देती है । चल मेरे साथ वरना में भी नही जाऊगां आज, आज तो माँ उस मैडम को जवाब जरूर देना है, मेरे साथ चलकर उन सब को जवाब दे जो हमें हमेशा गैरो की नजरों से देखकर अपने घरों से भगा देते है बता इन बरसात वाली ठण्डी रातों में इसे छोटू को कहॉं लेकर जाऊ और अगर तु नही बता सकती तो बुला ले मेरे भाई के साथ मुझे भी अपने पास जहाँ दो टाईम की रोटी तो मिल जायेगी, तु तो रोज खा लेती होगी, कल से छोटू ने और तीन दिन से मैनें कुछ नहीं खाया। तू कैसी माँ है जो अपने बच्चों को भी अपने साथ नही ले गई...!