तोम्का ने तैरना सीखा
तोम्का ने तैरना सीखा
हम घूमने निकले और तोम्का को भी साथ लिया। उसे बैग में बैठाया जिससे वह गिर न पड़े।
तालाब के किनारे आए, किनारे पर बैठे और पानी में कंकड़ फेंकने लगे – शर्त लगा रहे थे कि किसका कंकड़ ज़्यादा दूर गिरता है। और तोम्का वाली बैग घास पर रख दी। वो रेंगते हुए बैग से बाहर आया, देखा कि कैसे कंकड़ पानी में डूबा, और भागने लगा।
तोम्का रेत पर भाग रहा है, छोटे-छोटे पंजे, डगमगाते पैर, रेत में धँस रहे हैं। पानी तक पहुँचा, पानी में पंजे डाले और हमारी ओर देखा।
“ जा, तोम्का, जा – डरना मत, डूबेगा नहीं!”
तोम्का पानी में घुस गया। पहले पेट तक गया, फिर गर्दन तक, और फिर पूरा अन्दर घुस गया।
सिर्फ पूँछ का थोड़ा सा हिस्सा ऊपर निकला था। चल रहा है, चल रहा है, और अचानक उछल कर बाहर आया – और लगा खाँसने, छींकने, सूँ-सूँ करने। ज़ाहिर है, उसने पानी के भीतर साँस ले ली थी – पानी उसके मुँह में और नाक में घुस गया। कंकड़ उसे मिला ही नहीं।
अब हमने छोटी-सी गेंद लेकर पानी में फेंकी।
तोम्का को गेंद से खेलना पसन्द था – यह उसका बड़ा पसंदीदा खिलौना था। गेंद पानी से टकराई, गोल गोल गोते खाने लगी और रुक गई। पानी पर ऐसे पड़ी है जैसे चिकने फर्श पर पड़ी हो।
तोम्का ने अपने प्यारे खिलौने को पहचाना और बर्दाश्त नहीं कर सका – वह पानी में भागा। भाग रहा है, भाग रहा है, कूँ-कूँ कर रहा है, मगर अब अपनी नाक पानी में नहीं घुसा रहा है।
चलता गया, चलता गया, और वैसे ही तैरने लगा। गेंद तक तैरते हुए गया, उसे अपने दाँतों में दबा लिया – और वापस हमारे पास आ गया।
बस, और वो तैरना सीख गया।