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आलू से सोना बनाने वाली मशीन

आलू से सोना बनाने वाली मशीन

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पिछले साल आलू का दाम आसमान की ऊँचाइयों को छू रहा था। इस बार जोखू चाचा ने पूरे खेत में आलू लगा दिये थे। सोचा था कि इस बार मुनाफा अच्छा होगा परन्तु उन्हें क्या पता था कि इस बार आलू से मुनाफा तो क्या उनकी लागत भी निकलना मुश्किल हो जायेगा।

पिछले साल सरकार ने आलू को बाहर भिजवा दिया था जिसके कारण आलू के दाम घट गये थे परन्तु इस बार सरकार ने आलू विदेश भेजने की योजना पर विराम लगा दिया अत: बाजार में आलू के दाम घट गये, परिणामस्वरूप सभी आलू के किसानों की आशाओं पर पानी फिर गया और उनकी लागत मिलने के भी लाले पड़ गये। बहुत सारे किसानों को अपने आलू के बोरों को फेंकना पड़ गया।

जोखू चाचा के ऊपर इसके कारण बहुत सारा कर्ज़ हो गया था और घर में खाने के राशन का भी अभाव हो गया था। छोटे बेटे ने अपने पिता और तीनों भाइयों के साथ मिलकर चाट, छोले आदि की छोटी सी दुकान खोलने का प्रस्ताव रखा पर कोई शुरू में सहमत न हुआ परन्तु जब वो कुछ दिन चाट, छोले, पापड आदि बेचकर पैसे ले आया तो सभी उसके साथ जुट गये और पाँचों लोगों ने मिलकर पाँच जगह पर पाँच दुकान खोल लिया और आय पाँच गुनी हो गयी।

फिर क्या था उन्होंने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और पहले एक रेस्टोरेंट खोला और एक साल बीतते बीतते सभी चाट और छोले वाली दुकानें रेस्टोरेंट में बदल गई। इसी साल सरकार की तरफ से ब्याजमुक्त ऋण पर व्यापार करने के लिए "मुद्रा योजना" की शुरुआत की गई, जो जोखू चाचा और उनके बेटों के लिए सोने पर सुहागा साबित हुई। उन्होंने इस योजना का लाभ उठाते हुए एक छोटी कम्पनी की शुरुआत की जिसमें चिप्स, कुरकुरे, पापड़ इत्यादि आलू से बने पदार्थों को बनाया जाता है।

पहले उन्हें एक किलोग्राम आलू का दाम दो रूपया मिलना भी मुश्किल हो जाता था परन्तु अब उसी एक किलोग्राम आलू से पन्द्रह से बीस पैकेट चिप्स, कुरकुरे या पापड़ बन जाते हैं जिसमें कोई भी पैकेट पांच से दस रुपए में बिकता है। परिणामत: एक किलोग्राम आलू से सैकड़ों रुपए का लाभ होता है।

अब जोखू चाचा को कोई जोखू नहीं कहता बल्कि सेठ जोखनराम कहते हैं। कभी खाने के लिए भी राशन को मोहताज जोखू चाचा, क्षमा कीजिए सेठ जोखनराम और उनका परिवार आज हर महीने लाखों रुपए कमाते हैं। उनके पास आज कई रेस्टोरेंट और एक छोटी कम्पनी है जो जल्द ही बड़ी कम्पनी में बदल जाएगी क्योंकि जो स्वाद और सेहत सेठ जोखनराम की कम्पनी से बने उत्पादों में है वो आज के दौर में पैसा कमाने वाली इन विदेशी कंपनियों के उत्पादों में कहां ?

अब तो उनसे कोई पूछता है कि आपने ये सब कैसे किया तो उनका जवाब होता है, "मुझे आलू से सोना बनाने वाली मशीन मिल गई है। बाकी ईश्वर ने हमारे परिश्रम का फल दिया है क्योंकि गीता में कहा गया है, कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"


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