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ह्रदयपरिवर्तन

ह्रदयपरिवर्तन

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रामेश्वर जी एक बड़े व्यापारी थे। करोड़ो के माल ,आते जाते थे। उनके दुकान पर काम करने वाले, रामू, भुवन,बिरजू इन तीनो की नजर उनके पैसो पर थी। वह उनके घर पर चोरी करने का प्लान बना रहे थे। और एक दिन जब रामेश्वर जी व्यापार के शिलशिले मे शहर से बाहर जाना पड़ा तो उनके घर पर उनकी पत्नी सिया उनकी बूढी माँ और उनका दो साल का बेटा घर पर था। तीनो अक्सर घर आते जाते रहते थे। तो सिया से घुलमिल गए थे।

"करीब रात को आठ बजे तीनो उनके घर पहुचते है।"

दरवाजा सिया ने खोला पूछा- "इतनी रात को तुम लोग यहाँ ?"

वो भाभी इधर से गुजर रहा था तो सोचा हाल चाल ले लूँ।

अच्छा किया बैठो मैं चाय लाती हूँ।

तब तक कमरे में सिया की सासू माँ आई बहू तुमने इनको अंदर क्यूं आने दिया इस समय जब लल्ला घर पर नहीं है, आजकल किसी पर भरोसा नहीं है।

पर माँ जी ये सब तो अपने है, मेरे छोटे भाई जैसे है और ये तो हमारे दुकान पर भी रहते हैं।

"आप ज्यादा परेशान ना हो माँजी।"

सुनकर सिया की बातें तीनों का मन ग्लानि से भर उठा। ये क्या जो औरत हमें बहन मानती है हम उसी को लूटने चले हैं। उह तीनों एक दूसरे को देखा और चुपचाप चल दिये सिया रोकती रही पर रूके नहीं।

आये थे वो हत्यारे बनकर सिया के घर पर ह्रदय परिवर्तन ऐसा हुआ कि भाई बनकर चल दिये।


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