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तीन दिन भाग 4

तीन दिन भाग 4

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तीन दिन  भाग 4

 

झाँवरमल को फूट-फूट कर रोता देख सुदर्शन घबरा गए। 

अरे यार क्या हुआ? कुछ बताओ भी! सुदर्शन ने चिल्ला कर पूछा। 

बादाम भाभी का कुछ पता नहीं चल रहा है वो खो गई हैं सुरेश चौरसिया ने उन्हें बताया। 

शोभा ने आगे बढ़कर झाँवरमल के कन्धे पकड़ लिए और समझाने बुझाने लगी। 

सुदर्शन ने भी कहा, यार झाँवर क्या लड़कियों की तरह रो रहे हो! भाभी कहीं दूर निकल गई होंगी अभी आ जाएंगी। हौसला रखो भाई!

फिर सभी लोग बादाम को ढूंढने लगे और जोर-जोर से उसका नाम लेकर पुकारते रहे। उनकी आवाज वीराने में बहुत देर तक गूंजती रही किन्तु कहीं से कोई प्रति उत्तर नहीं आया। 

               रात हो गई और बादाम का कोई पता नहीं चला। पता नहीं उसे जमीन निगल गई थी या आसमान खा गया। झाँवरमल का बुरा हाल था। सुरेश और सदाशिव अभी भी शक्तिशाली टॉर्च लिए झाड़ झंखाड़ में बादाम की तलाश कर रहे थे।  बाकी सभी किले के मुख्य दालान में इकठ्ठा हुए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। रमन ने कहा कि अगर कोई चाहे तो भोजन कर ले पर सबने इनकार कर दिया। किसी का मन कुछ खाने का नहीं कर रहा था। अचानक झाँवर को गश आ गया। वह खड़े-खड़े ही चकराया और भूमि पर लुढ़क गया। पास खड़े रमन सिंह ने उसे बाँहों में थामकर सहारा दिया और जोर से चिल्लाये,"पानी लाओ"। नीलू दौड़कर झाँवर के तलवे रगड़ने लगी। छाया ने पानी की तलाश में इधर उधर नजर दौड़ाई तो पाया कि पीतल की गगरी खाली है। छाया का बचपन गाँव में बीता था। उसे कुंए से पानी निकालना आता था। वह दौड़कर कुएं के पास गई और गगरी के गले में रस्सी बांधकर उसे कुएं में ढील दिया। लेकिन गगरी नीचे जाने पर छप्प् की बजाय धप्प की आवाज आई तो उसका माथा ठनका। उसने जोर से चिल्ला कर किसी को टॉर्च लाने को कहा। फ़ौरन कई लोग टॉर्च लेकर वहां पहुंचे और कुएं के भीतर भारी मात्रा में प्रकाश फेंका गया तो वहां बादाम बाई की लाश नजर आ गई जो मुंह के बल पड़ी हुई थी। उसकी अवस्था देखकर ही पता चल रहा था कि अब उसमें जीवन शेष नहीं है। उसे देखकर नीलू को मानो हिस्टीरिया का दौरा पड़ गया। मंगतराम उसे बाहों में लेकर समझाने लगा। इस बीच झाँवर को भी होश आ गया था वह दौड़कर कुएं के पास आया और कूदने का उपक्रम करने लगा। कामना और रमन ने उसे बाहों से पकड़ा और खींचते हुए दूर ले गए। फिर चन्द्रशेखर यादव रस्सी के सहारे कुएं में उतरा और बड़ी मुश्किल से उसने रस्सी बादाम बाई के शव के इर्द गिर्द बाँधी और काफी मशक्कत के बाद बादाम का शव ऊपर आया और झाँवरमल उससे लिपट कर रोने लगा। सब यह देखकर हक्के बक्के थे। झाँवरमल की हालत तो बयान से बाहर थी। किसी तरह खींचकर उसे शव से हटाया जा सका। फिर सब उसकी मौत की अपने अपने ढंग से व्याख्या करने लगे। कोई बोला लगता है पानी खींचते समय पाँव फिसल गया। डॉ कामना वैसे तो स्त्री रोग विशेषज्ञ थी पर डाक्टर तो थी ही। उनका सर तुरन्त असहमति में हिलने लगा और वे फुसफुसाती हुई बोली इन्हें धक्का दिया गया है। यह दुर्घटना नहीं हत्या है! इतना सुनते ही उनकी बगल में खड़ी छाया ऐसे चौंक कर उछली मानो उसका पाँव अंगारे पर पड़ गया हो। उससे चुप न रहा गया वो चीख कर बोली हाय राम! किसने मार दिया इनको? इतना सुनते ही सब घबरा कर एक दूसरे से सरगोशी करने लगे। बादाम बाई बहुत सीधी महिला थी भला उससे किसी को क्या दुश्मनी हो सकती थी? 

          कामना सर हिलाती हुई बोली वो तो मैं नहीं जानती लेकिन मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि इन्हें धक्का दिया गया है। इनके शरीर पर कुछ निशान ऐसे हैं जो इस बात की चुगली कर रहे हैं। झाँवरमल जो अंतिम समय बादाम के साथ था उसकी ऐसी अवस्था नहीं थी कि उससे खुलकर पूछताछ की जा सकती। डॉ मानव ने नजदीक से बादाम का परीक्षण किया और बोले जिस किसी ने भी बादाम को धक्का दिया है उसके शरीर पर ताजा खरोंचें होंगी जो गिरने से बचने की प्रक्रिया में बादाम के नाखूनों से बनी होंगी। ये देखो बादाम के नाखूनों में हत्यारे की चमड़ी के अवशेष भी हैं। इतना सुनते ही सब घबराकर एक दूसरे को देखने लगे।

कहानी अभी जारी है ......

किसके बदन पर होंगी खरोंचें ?

किसने मार दिया निर्दोष बादाम बाई को?

जानने के लिए पढ़ें भाग 5


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