Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Shyam Kunvar Bharti

Comedy Drama

1.0  

Shyam Kunvar Bharti

Comedy Drama

दस रुपये

दस रुपये

19 mins
8.1K


बोलो निर्मल दरबार की जय की गूंज से सारा हौल गूंज उठा था। अभी-अभी वहाँ निर्मल बाबा स्टेज पर पधारे थे। उन्होने लाल रंग का कुर्ता पायजामा पहन रखा था। कंधे पर सादे रंग की चादर अति सुंदर लग रही थी। निर्मल बाबा के आते ही हौल में मौजूद सारे भक्त श्रद्धा और सम्मान में उठ खड़े हुए और निर्मल दरबार की जय का नारा लगाने लगे थे।

निर्मल बाबा ने अपने दोनों हाथ उठाकर भक्तों का अभिवादन किया और स्वयं एक सुंदर सिंहासन नुमा आसान पर विराजमान हो गए। बाबा के बैठते ही साई-भजन प्रारम्भ हो गया। भजन समाप्त होते ही निर्मल बाबा ने प्रवचन देना प्रारम्भ किया। निर्मल दरबार में तंत्र-मंत्र, जादू-टोना नहीं चलता। यहाँ न कुछ खरीदा जाता और न ही बेचा जाता है। सिर्फ भावना चलती है। शक्तियों की कृपा चलती है। जो भक्त मन से जो भावना करता है, शक्तियों की भी कृपा उसी प्रकार चलती हैं। ब्याज का पैसा नहीं खाना है। पीने के पानी को व्यापार नहीं बनाना है। किसी का हक नई मारना है। किसी को धोखा नहीं देना है। किसी का बुरा नहीं सोचना है और न ही बुरा करना है। यहा छलावा नहीं चलता। शक्तियों के सामने यहाँ सब कुछ शीशे की तरह साफ दिखाई देता है।

निर्मल दरबार ने अपने भक्तों के लिए कुछ दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनका पालन करने से भक्तों पर शक्तियों की कृपा प्राप्त होती है। उसकी हर इच्छा पूरी होती है। एक बोतल में पानी भरकर उसमे मनी प्लांट लगाकर घर में रखे और उसमे नियमित पानी डालते रहें। गाय को हरी घाँस खिलाएँ। गाय को ताजी रोटी बनाकर खिलाएँ। चिड़ियों को दाना खिलाएँ। हर पंद्रह दिन पर पास के शिव मंदिर में प्रथम बार दो किलो दूध चढ़ाएँ, उसके बाद पंद्रह-पंद्रह दिन पर जल चढ़ाएँ। फिर पंद्रह दिन पर आधा किलो दूध चढ़ाएँ। हर पंद्रह दिन पर लक्ष्मी-गणेश के मंदिर में दो कमल का फूल चढ़ाएँ। साथ में नारियल या कोई मिठाई चढ़ाएँ। प्रथम बार मंदिर में पचास रूपये गुल्लक में डालें। बाद में दस रूपय डालें।

दूर के मंदिरों में छह माह या साल में जाएँ। माता वैष्णो देवी साई बाबा, शनि महाराज, महाकाल, कालीघाट या देवघर जाने पर प्रथम बार में पाँच सौ रूपय गुल्लक में डालें। बाद में अगर प्रति माह या दो माह पर मंदिर जाने पर गुल्लक में पचास रूपय डालें। जिस मंदिर में जाने पर अगर ज्यादा कृपा होती है तो वहाँ अधिकतर जाएँ।

घर में दिवाली की रात में अपनी अलमारी में दस रूपये के नोटों की गड्डि रखें। अगली दिवाली पर इस गड्डि को बदल कर नई गड्डि रखें और पहली वाली गड्डि को घर के कार्यों में खर्च करें या रखें। अपनी कमाई का दस प्रारतिशत दशवंद के रूप में निर्मल दरबार की खाते में पूर्णमासी से पहले भेजें। निर्मल दरबार में आने में यदि कठिनाई हो तो आप टीवी पर भी कार्यक्रम देख कर अपनी इच्छा मन में रखकर शक्तियों की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

सभी भक्त निर्मल दरबार के प्रवचन को बड़ी शांति और श्रद्धा से सुनकर रसास्वादन कर रहे था और मन ही मन मनन भी कर रहे थे। अंत में बाबा ने सबको आशीर्वाद देते हुए अपना प्रवचन समाप्त किया और पुनः भजन प्रारम्भ हो गया। भजन समाप्त होते ही बाबा ने भक्तों की अपना अनुभव सुनाने के लिए पंक्तिबंध होने का निर्देश दिया। इतना सुनते ही सभी भक्त झटपट पंक्तियों में खड़े हो गए। एक महिला ने अपना अनुभव सुनते हुए माइक पकड़कर कहा- “बाबा आपकी कृपा से मेरा मकान बन गया। मेरे बड़े बेटे की नौकरी लग गई और छोटी बेटी की शादी बड़े धूम धाम से हो गई। बोलो निर्मल दरबार की जय। बाबा के चरणों में कोटी-कोटी प्रणाम! बस मुझ पर और मेरे परिवार पर कृपा करो।“ इसी तरह कई भक्तों ने अपने-अपने अनुभव सुनाये और बैठ गए।

इसके बाद निर्मल बाबा ने भक्तों से कहा कि, जिन भक्तों को कोई सवाल करना है वो अपना हाथ उठाएँ। ऐसा नहीं है कि, जो लोग बाबा से सवाल नहीं पूछ पाएंगे उन पर शक्तियों की कृपा नहीं होगी। समय के आभाव के चलते कुछ ही लोगों को सवाल पुछने का मौका मिल पता है लेकिन मेरा भक्त जहां भी बैठा रहता है कृपा वहाँ भी जाती है।

बाबा ने हाथ उठाने वाले एक पीले शर्ट वाले को बुलाया और पुछने को कहा। भक्त ने रोते हुए कहा- “मैं बुरी तरह बर्बाद हो गया हूँ। पूरे कर्ज में डूब चुका हूँ। बाबा कृपा करो-कृपा करो।“ बाबा ने पूछा-“तुमने अपने घर के दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगवाई थी !” भक्त ने कहा- “जी बाबा।“ “बस यहीं से कृपा रुकी हुई है।“ बाबा ने अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी बंद करते हुए कहा-“तुम्हें शनि के मंदिर जाकर सरसो का तेल चढ़ाकर उनकी पुजा करनी चाहिए थी। ऐसा करो, अब तुम शिर्डी वाले साई बाबा के दर्शन कारों। वहाँ गुल्लक में पाँच सौ रूपय चढ़ा देना। साथ ही सिंगनापुर में शनि देव की पुजा करो। वहाँ शनि देव को सरसो का तेल चढ़ा देना। मगर वहाँ से कुछ भी नहीं लाना। बाबा ने उपाय बताते हुए कहा।“ “जी बाबा”, भक्त ने बाबा की आज्ञा का पालन करने हेतु अपनी सहमति जताई और निर्मल दरबार का जयकारा लगाते हुए अपनी सीट पर आ कर बैठ गया। इसी तरह से कई भक्तों ने बाबा से कई सवाल किए। बाबा ने सबको समाधान बताया और अंत में सभी भक्तों को अपना फोटो और इलायची बारी-बारी से प्रसाद स्वरूप प्रसाद किया।

इधर टीवी पर गोपाल, उसकी पत्नी आरती, बेटा निखिल और बेटी पम्मी सभी लोग वही से निर्मल दरबार का जयकारा लगा रहे थे। गोपल ने निर्मल बाबा का प्रोग्राम खत्म होने पर टीवी बंद करते हुए कहा-“कास हम लोगों को भी निर्मल दरबार ने जाने का मौका मिल जाता तो हम भी बाबा से सवाल कर अपनी गरीबी दूर करने का उपाय पूछ लेते।“

“और मैं बाबा से आईएएस बनने का आशीर्वाद मांग लेता।“ “मैं बाबा से बैंक मैनेजर बनने का आशीर्वाद मांग लेती।“ निखिल और पम्मी ने बारी-बारी कहा। “मैं तो बाबा से एक सुंदर सा घर मांगूँगी। आखिर कब तक इस टूटे किराए के मकान में रहेंगे।“ गोपाल की पत्नी आरती ने उदास स्वर में कहा।

“आज से हमलोग अपनी छोटी-छोटी इच्छा पूरी करने के लिए मन ही मन बाबा से पूरी करने की प्रार्थना करेंगे। यदि हमारी इच्छाएं पूरी होती है तो हम सब समझ लेंगे कि, हम पर निर्मल बाबा की कृपा हो रही है। फिर हमलोग भी निर्मल दरबार से जुड़ जाएंगे।“ गोपाल ने सबको समझाते हुए कहा।

उसकी पत्नी और दोनों बच्चों ने उसकी बातों से सहमति जताई। “अच्छा चलो सब अपने-अपने काम मे लग जाओ। गोपाल ने कहा। फिर सब लोग उठकर वहाँ से चले गए। निखिल तैयार होकर ट्यूशन पढ़ने चला गया। पम्मी कॉलेज चली गई। गोपाल की फुसरो बाज़ार में एक छोटी सी राशन की दुकान थी। वो अपनी दुकान पर चला गया। सबके जाते ही आरती सिलाई मशीन लेकर बैठ गई और मुहल्ले के कपड़ों की सिलाई करने लगी।

दुकान पहुँचते ही गोपाल वहाँ भीड़ देखकर चौक गया और कहीं कोई अनहोनी दुर्घटना न हो गई हो। इस आशंका से वह अपने पाव जल्दी-जल्दी बढ़ाता हुआ दुकान के पास पहुंचा। उसे देखते ही भीड़ उसकी तरफ मुड़ गई। “अरे ! गोपाल सेठ जी आ गए।“ भीड़ में से किसी ने कहा। अरे भाई बात क्या है ? आपलोग इतना भीड़ लगाकर क्यो खड़े हैं मेरी दुकान के पास ? गोपाल ने आशंकित होकर भीड़ से पूछा। घबराने वाली बात नहीं है गोपाल सेठ, आप जल्दी से दुकान खोलिए। हमलोग सामान लेने के लिए खड़े हैं। आज आपको आने में देर हो गई। इसलिए भीड़ जमा हो गई है। भीड़ में से किसी ने जवाब दिया।

ओह ! गोपाल ने राहत की सांस ली और उसने झटपट दुकान के दरवाजे पर प्रणाम किया और दुकान खोलकर अगरबत्ती जलायी और बारी-बारी से सबको सामान देकर विदा किया। उसके आश्चर्य का ठिकाना न था। आज तक इतने ग्राहक कभी उसके दुकान पर नहीं आए थे। लेकिन आज तो चमत्कार ही हो गया। फिर उसे यादआया कि, इसमे निर्मल बाबा की कृपा तो नहीं है। फिर उसने मन ही मन निर्मल बाबा को प्रणाम कर धन्यवाद दिया।

निखिलके टीचर ने कहा- “सबको पता है न आज सबका टेस्ट है! तो चलो सभी तैयार हो जाओ।“ मैं सबको प्रश्न पत्र देता हूँ। समय मात्र आधा घंटा मिलेगा और कुल प्राप्तांक सौ होगा। सबसे ज्यादा नंबर लाने वाला विद्यार्थी ही सबसे टॉप होगा। फिर टीचर ने सबको प्रश्न पत्र दे दिया। निखिल ने जैसे ही प्रश्न पत्र पढ़ा, वह खुशी से मन ही मन चहक उठा। उसने जल्दी से कलम उठाया और प्रश्नों का जवाब अपनी नोट बूक में देने लगा। उसने मात्र बीस मिनट में सारे सवालों का जवाब लिख दिया और अपनी नोट बूक टीचर को दे दिया। अरे ! क्या बात है निखिल तुमने दस मिनट पहले ही अपने जवाब पूरा कर लिया। ट्यूसन टीचर ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा। जी ! सर मुझे सारे सवालों के जवाब मालूम थे। इसलिए जल्दी ही जवाब दे दिया। आप चेक कर लीजिये। निखिल ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा।

वहाँ ट्यूशन में कुल पच्चीस छात्र-छात्राएँ पढ़ते थे । समय पूरा होते ही ट्यूशन टीचर ने सभी के नोट बूक ले लिये और सबकी कॉपी जाँचने लगे। अंत में उन्होने परिणाम घोषित करते हुए कहा कि, आज निखिल ने सभी सही जवाब दिये हैं। निखिल खुशी से फुले नहीं समा रहा था।

शाम को गोपाल के घर पर परिवार वाले काफी खुश नजर आ रहे थे। गोपाल और निखिल कि बातें सुनकर सबलोग काफी खुश हुए। पम्मी ने भी खुश होते हुए कहा- “मेरे साथ भी आज कुछ ऐसा ही हुआ। एक सप्ताह बाद कॉलेज में नाटक का मंचन होना है उसमें मुझे मुख्य नायिका का अभिनय करने का अवसर दिया गया है। सर्वश्रेष्ठ कलाकार घोषित होने पर मुझे पुरस्कार के साथ बैंकिंग कोचिंग करने का पूरा खर्चा कॉलेज कि तरफ से दिया जाएगा। कॉलेज के फंकशन में शहर के नामी-गिरामी बिज़नसमैन और कंपनियों के हेड भी गेस्ट के रूप में भाग लेंगे। वही लोग पुरस्कार और स्कौलरशिप देंगे। अरे वह ! यह तो बहुत ही अच्छा अवसर है पम्मी बेटा। तुम्हें इस अवसर का पूरा फायदा उठाना चाहिए। तुम पढ़ाई के साथ रिहर्सल पर पूरा ध्यान दो। गोपाल ने खुश होकर अपनी बेटी को उत्साहित करते हुए कहा।

अरे हाँ ! निखिल के पापा, आज तो कमाल ही हो गया। आप सबकी जाने के बाद घर पर एक कंपनी वाले आए थे। वे लोग क्षमतानुसार एडवांस देने पर दस लाख रूपये का फ्लैट आसान किश्तों पर दिलाते हैं। एक फॉर्म देकर गए हैं। दो दिन बाद फिर आएंगे और फॉर्म भरवाकर एक़रार करवाएँगे और बैंक से लोन का भी फॉर्म भरवाकर लोन भी दिलवा देंगे।

क्या सचमुच आरती ! आज बड़ा ही शुभ दिन है। सुबह से ही परिवार के साथ अच्छा हो रहा है आज हमलोगों ने जो भी सोचा वह सब हुआ। गोपाल ने खुश होते हुए कहा। हाँ जी निखिल के पापा यह सब निर्मल बाबा कि कृपा है। आज जो भी आमदनी हुई है, उसका दस प्रतिशत दसवंद के नाम पर दे दीजिये। इसे हम पूर्णमासी से पहले निर्मल बाबा के बैंक खाते में जमा करवा देंगे। आरती ने श्रद्धा पूर्वक कहा।

तुम ठीक कहती हो आरती और आज कि आमदनी का दसवां हिस्सा अपनी पत्नी आरती के हाथों सौंप दिया।

अब गोपाल कि आमदनी बढ्ने लगी थी। वह अपनी दुकान पर सबसे अच्छे से अच्छे सामान लाकर रखने लगा। दाम भी सही लगाता था। लोग उसी के दुकान से ज्यादा सामान खरीदते थे। निखिल और पम्मी भी खूब मन लगा कर पढ़ाई करते थे। आरती सब करती थी जो निर्मल बाबा अपनी प्रवचन मे अपने भक्तों को पालन करने के लिए मार्गदर्शन देते थे। वह प्रतिमाह दसवंद भेजती थी। घर में उसने काँच की बोतल में मनी प्लांट लगा दिया था। दिवाली की रात उसने दस रूपय की नोटों की गड्डी भी अपनी अलमारी में रख दिया था। अगल-बगल के सभी मंदिरों में हर पंद्रह दिनों पर जाती थी और परिवार के सदस्यों को भी पुजा करने भेजती थी। बाहर के मंदिरों में भी साल भर या छः महीनों में परिवार सहित जाती थी। गाय को हरी घाँस और रोटी खिलाती थी और हर वह चीज करती थी जैसा निर्मल बाबा ने बताया था।

एक दिन गोपाल के घर पर उसका एक दोस्त सत्या प्रकास आया जो स्वयं सेवी संस्था चलाता था वह रूढ़िवादिता और अंधविश्वास के खिलाफ अभियान चला रहा था। घर आते ही उसने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा- “क्या बात है गोपाल आज कल तुम घर भी नहीं आ रहे हो और न ही फोन करते हो । लगता है आज कल काफी व्यस्त हो गए हो। अरे नहीं यार ! आओ पहले बैठो तो फिर चाय पीते हैं। गोपाल ने सत्य प्रकाश की बांह पकड़कर एक कुर्सी पर बैठाते हुए कहा। गोपाल उसे प्यार से सत्तू कहता था और सत्यप्र्काश गोपाल को गोपु कहता था। अरे यार गप्पू तुम्हारे घर का तो नक्शा ही बदल गया है। सब कुछ नया-नया सा लग रहा है। कही लॉटरी लग गई है क्या। सत्य प्रकाश ने घर के चारों तरफ निगाह डालते हुए गोपाल से सवाल पूछा।

अरे नहीं यार सत्तू ऐसा कुछ नहीं है। सब निर्मल बाबा की कृपा है। उनही की कृपा से मेरे धंधे में बरक्कत हो रही है। मेरी राशन की दुकान बहुत अच्छी चल रही है। अब मैं जल्दी ही एक बड़ी से जनरल स्टोर की दुकान खोलने जा रहा हूँ। जहां सारा सामान उपलब्ध होगा। गोपाल ने प्रसन्नता जाहीर करते हुए कहा।

बधाई हो यार गप्पू। मगर यह सब निर्मल बाबा की कृपा से हो रहा है। मेरी समझ में ये नहीं आ रहा है। तुम अच्छे किस्म का सामान अपनी दुकान पर रखते हो और उचित कीमत लेते हो। इसलिए लोग तुम पर विश्वास कर के तुम्हारी दुकान पर आते हैं। अब इसमे निर्मल बाबा की कृपा कहाँ से आ गई। सत्य प्रकाश ने समझाते हुए कहा। ऐसा मत कहो यार सत्तू। अगर निर्मल बाबा की कृपा नहीं होती तो मेरी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ नहीं लगती और न ही मैं अच्छे सामान ला पता और बाज़ार से कम दाम पर बेच पता। निर्मल बाबा की असीम कृपा हम पर सत प्रतिशत है। गोपाल ने बड़े विश्वास के साथ कहा। फिर उसने बताया कि, अब देखो कितनी आसानी से मेरे बेटे निखिल ने बी.ए. पास कर लिया है। अब एक साल में ग्रेजुएशन कर लेगा। बेटी पम्मी को नाटक मंचन में सर्वश्रेष्ठ कलाकार का अवार्ड मिला। पुरस्कार के रूप में पचास हज़ार रूपय नगद और ग्रेजुएशन करने के बाद कॉलेज के तरफ से फ्री बैंकिंग की पढ़ाई की कोचिंग की सुविधा दी जाएगी। अब बोलो यह सब जितनी आसानी से हो रहा है क्या बिना निर्मल बाबा के कृपा के संभव था? गोपाल ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

अरे यार गप्पू तुम तो पूरे अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गए हो। निखिल ने मन लगाकर पढ़ाई किया, इसलिए उसने अच्छे नम्बरों से पास किया। तुम्हारी बेटी ने जी जान से रिहर्सल किया और उसका अभिनय शानदार रहा। इसलिए उसे ये सब सारे उपहार और पुरस्कार मिले हैं। तुम्हारे दोनों बच्चे यदि अपने-अपने कामों में मेहनत और लगन नहीं लगाते तो बोलो ये सब सफलता उन्हें मिलती क्या? सत्यप्रकाश ने गोपाल को समझाते हुए कहा।

तभी वहाँ आरती चाय लेकर आ गई। अरे ! किस बात पर आप दोनों में बहस हो रही है। आरती ने दोनों को बारी-बारी चाय का कप थमाते हुए कहा। अरे देखिये न भाभी जी गोपाल पूरे अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गया। आपके परिवार के साथ जो भी अच्छा हो रहा है ये आप सब की मेहनत और लगन को ज़िम्मेवार न मानकर सारा क्रेडिट निर्मल बाबा को दे रहा है। सत्यप्रकाश ने आरती से गोपाल की शिकायत करते हुए कहा। अरे ! अरे ! ऐसा मत बोलिए भाई साहब ! वरना निर्मल बाबा नाराज़ हो जाएंगे। निखिल के पापा ठीक ही तो कह रहे हैं और परिवार पर सचमुच निर्मल बाबा की कृपा है। तभी वहाँ निखिल और पम्मी भी आ गए। हाँ अंकल, मम्मी ठीक कह रही है। निर्मल बाबा की कृपा के बिना हमारे साथ कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता था। दोनों ने एक साथ अपने माता-पिता की बातों का समर्थन करते हुए कहा।

सत्यप्रकाश ने अपना सिर पकड़ लिया। हे भगवान ! यहाँ तो पूरे कुएं में भंग पड़ी है। पूरे परिवार पर निर्मल बाबा की भक्ति का अंधविश्वास का चश्मा चढ़ा हुआ है। आप लोगों को कुछ समझाना मुश्किल है। सत्यप्रकाश ने थक कर कहा।

सुबह गोपाल जैसे ही अपनी दुकान पर पहुंचा, वहाँ पहले से ज्यादा भीड़ जमा थी। खुश होते हुए जल्दी-जल्दी अपने दुकान की तरफ लपका। मगर तभी उसकी आँखें फटी की फटी रह गई। अरे यह क्या ! दुकान का ताला टूटा हुआ था। भारी आशंका में वह दरवाजा धकेल कर दुकान के अंदर घुस गया। बाहर भीड़ बढ़ती जा रही थी। लोग शोर गुल कर रहे थे। मगर गोपाल के कान बहरे हो गए थे। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। वह लपक कर अपनी तीजोरी के पास पहुंचा। उसका भी ताला टूटा हुआ था। उसने जल्दी से दराज बाहर खींचा। दराज देखते ही उसने माथा पकड़ लिया। पूरी तिजोरी खाली था। हे भगवान ! मैं लूट गया। बरदाद हो गया। मेरी पूरी दुकान लूट गई। वह बदहवास होकर अपनी गद्दी पर बैठ गया। तभी भीड़ में से कोई उसके पास आया और उसे एक ग्लास पानी पिलाया और उसका ढांढस बढ़ाते हुए कहा- “गोपाल सेठ हिम्मत से काम लीजिये। आप इतना घबड़ा जाएंगे तो कैसे काम चलेगा। मन को शांत कीजिये और सोचिए की आगे क्या करना है।

उस आदमी की बातों से उसे थोड़ी राहत मिली। उसने झट मोबाइल निकालकर अपने दोस्त सत्यप्रकाश को फोन कर सारा माजरा बताया और जल्दी दुकान पर आने के लिए कहा। फोन सुनते ही सत्यप्रकाश अपनी मोटर साइकल से तुरंत वहाँ पहुँच गया। दुकान की हालत देखकर उसकी भी आँखें फटी रह गई और अफसोस भी हुआ।

तुम चिंता मत करो गप्पू हम पहले तुरंत पुलिस को खबर करनी होगी और चोरी की रिपोर्ट लिखवानी होगी। इससे पहले जरा ध्यान से देखो नकदी के अलावा और कुछ चोरी तो नहीं हुआ है।

सत्यप्रकाश ने गोपाल को समझाते हुए कहा। गोपाल ने बड़ी गौर से अपनी दुकान का आयोग किया। कई कीमती सामान गायब थे।

सत्यप्रकाश ने अपने मोबाइल से थाना को फोन कर दुकान में हुई चोरी की जानकारी दी और जल्द दुकान पर आकर मुआयना करने का अनुरोध किया।

निर्मल बाबा मुझसे क्या गलती हुई जो आपने इतनी बड़ी सजा दी। मेरी तो पूरी दुकान लूट गई। गोपाल निर्मल बाबा के पाँव पकड़ कर रो-रो कर अपना दुखड़ा सुना रहा था। निर्मल बाबा ने उसे दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा किया और कहा चिंता मत करो। चोर भी पकड़ा जाएगा और तुम्हारा सारा सामान भी मिल जाएगा। निर्मल बाबा की जय, क्या सचमुच बाबा सुनते ही गोपाल खुशी से चहक उठा। लेकिन किस गलती की सजा मिली है बाबा, आपकी कृपा से सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन अचानक मेरी दुकान की चोरी से मैं घबड़ा गया हूँ बाबा। गोपाल ने दोनों हाथ जोड़कर निर्मल बाबा से पूछा।

यहाँ किसी के साथ जो भी होता है उसमें व्यक्ति ही अपने अच्छी-बुरी घटनाओं का कारण होता है। व्यक्ति के अगले पिछले कर्मों का ही फल उसे मिलते हैं। जहां तक तुम्हारी दुकान में हुई चोरी का सवाल है उसमें तुम्हारा ही दोष है। निर्मल बाबा ने अपनी मुट्ठी बंद करते हुए कहा। क्या मैं दोषी हूँ बाबा। लेकिन कैसे। गोपाल ने आश्चर्य से पूछा। हाँ गोपाल ! पहली गलती तुमरही दुकान से गड़ी, छुहाडा, किसमिस और जो बादाम रखा हुआ है, उसे खरीदकर लोग मंदिर में भदवान को प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। तुम उसे हाथों से निकाल कर खाते हो। इससे वो जुठे हो जाते हैं। दूसरी गलती ये है कि, तुम वजन कम करते हो। जब ग्राहक तुम्हारे सामान कि पूरी कीमत देते हैं फिर तुम कम तौल कर उसका हक क्यों मारते हो।

तीसरी गलती खुदरा नहीं रहने पर तुम ग्राहक को बाद में देने का कहके फिर कभी वापस नहीं करते हो। निर्मल बाबा ने गोपाल की गलतियों के बारे में समझाया। गोपाल पुनः बाबा के चरणों में गिर पड़ा और कहा-“बाबा मुझसे सचमुच गलती हो गई। मुझे माफ कीजिये आइंदा मुझसे कोई ऐसी गलती नहीं होगी।“ चलो माफ किया लेकिन याद रखना मेरे भक्त, कभी किसी का हक नहीं मारते हैं। किसी को धोखा नहीं देते हैं। बेईमानी नहीं करते हैं। जैसे तुम्हारे कर्म और सोच होंगे, फल भी तुम्हें वैसा ही मिलेगा। शक्तियाँ कभी किसी को बुराई करने की छुट नहीं देती और अच्छे कर्मों का फल देने में देरी नहीं करती। बाबा ने गोपाल को समझाते हुए कहा।

बाबा अब मैं क्या करूँ ? गोपाल ने बाबा से हाथ जोड़ कर पूछा। तुम ऐसा करो। पाँच-दस गरीबों को भर-पेट खीर-पूड़ी, हलवा और सब्जियाँ बनाकर खिला दो। याद रहें। उसमे गाड़ी, छुहाड़ा , बादाम, किसमिस और काजू भी मिला हो। साथ ही किसी भी दुर्गा मंदिर में एक किलो गाय का घी दान दे देना। इतना कह कर बाबा अंतर्ध्यान हो गए। तभी अचानक गोपाल की आँखें खुल गई और वह हड्बड़ा कर अपने बिस्तर पर बैठ गया। देखा बगल में उसकी पत्नी आरती गहरी नींद में सोई हुई है। अरे ! तो क्या मैं सपना देख रहा था। उसने जल्दी से आरती को उठाया। उठते ही आरती घबरा कर बोली अरे क्या हुआ जी। आप इतनी इतनी रात को क्यों जाग रहे हैं। गोपाल ने आरती को सपने वाली सारी बात बताई। सुनते ही आरती ने ज़ोर से निर्मल बाबा का जयकारा लगते हुए कहा- “बाबा की बहुत बड़ी कृपा है जी। हमारे परिवार पर बाबा ने सपने में भी आ कर हमारी गलतियों को बताया और सामान मिलने का आशीर्वाद भी दिया।

मैं कल कुछ गरीबों को लेकर आऊँगा। तुम उन सबको प्रेम से खाना खिलाना। बिदाई में उन्हें कुछ फल और रूपये भी दे देना। गोपाल ने कहा-“ठीक है जी आरती ने अपनी पति की बातो में सहमति जताते हुए कहा।

मोबाइल बजते ही अचानक गोपाल की आँखें खुल गई। उसने दीवाल घड़ी पर नजर डाली। सुबह के 6:30 बजे थे। उसने मोबाइल उठाया। हेलो आप कौन बोल रहे हैं। गोपाल ने पूछा। आप गोपाल सेठ बोल रहे हैं न, उधर से फोन करने वाले ने पूछा। जी ! जी ! मैं गोपाल ही बोल रहा हूँ। गोपाल ने जवाब दिया। मैं थाना से बोल रहा हूँ। आपका सामान और चोर मिल गए हैं। आप जल्द ही थाना आ जाइए। अपने सामान की पहचान कर लीजिये। इतना सुनते ही गोपाल खुशी से उछल पड़ा। जी ! जी ! बस अभी आता हूँ। इतना कह कर उसने मोबाइल रखा दिया और अपने पत्नी को आवाज देने ही वाला था कि, तभी आरती वह चाय लेकर आ गई। क्या हुआ जी आप बड़े खुश नजर आ रहे हैं। आरती ने पूछा। खुशी की बात है। आरती अभी-अभी थाना से फोन आया था कि, चोर और सामान दोनो बरामद हो गए हैं। हमे अभी फौरन थाना बुलाया गया है। गोपल ने कहा। अरे क्या सचमुच ? धन्य है निर्मल बाबा। आपने सपने मे जो कहा वो सच हो गस्य-बोलो निरमा बाबा कि जय। आरती ने खुशी से बाबा का जयकारा लगते हुए कहा।

अरे सत्तू ! तुम जल्दी से मेरे घर आ जाओ। थाना चलना है। फिर उसने थाना से हुई बातचीत बता दिया। गोपाल ने अपने दोस्त सत्यप्रकाश को मोबाइल पर फोन कर अपने घर आने के लिए बोल जल्दी-जल्दी चाय पीने लगा।

थाना पहुंचते ही गोपाल ने अपने सारे समान पहचान लिया। उसका पचास हज़ार रूपय भी चोरों से बरामद हो गया। थाने में सारे सामान की लिस्ट बनाई गई। थाना प्रभारी ने गोपाल को बताया कि, अभी चोरों को जेल भेजा जाएगा। साथ में आपलोग कोर्ट से सामानों की प्राप्ति हेतु रिलीज ऑर्डर ले आइये। आपको थाना से सारा सामान मिल जाएगा। तभी वहाँ कई सारे पत्रकार पहुँच गए जिनहोने अपने अपने अखबार में गोपाल की दुकान की चोरी की खबर को छापा था।उन लोगों ने बरामद सामानों, रुपयों, चोरों, चोरों को पकड़ने वाले पुलिस अधिकारियों और गोपाल का फोटो खींचा। एक पत्रकार ने पूछ- “गोपाल जी आप चोरों और सामान बरामद करने के लिए किसको क्रेडिट देना चाहते हैं। गोपाल अभी कुछ बोलता उससे पहले सत्यप्रकाश बोल पड़ा-“जी! ये सारा श्रेय हमलोग पुलिस के ज़िम्मेवार पदाधिकारियों और सिपाहियों को देना चाहते हैं, जिनहोने बड़ी तत्परता से इतने कम समय में चोरों और सामान को बरामद कर लिया।हमलोग पुलिस के ज़िम्मेवार पदाधिकारियों को दिल से बधाई देते हैं।

दो दिनों के बाद गोपाल के घर पर उसके परिवार के लोगों के अलावा सत्यप्रकाश भी मौजूद था। गोपाल और उसकी पत्नी आरती ने निर्मल बाबा द्वारा सपने में दिये गए मश्र्ग्दर्शन के अनुसार गरिनबो को प्रेम से खाना खिलाया और फल के साथ नगद रूपये देकर विदा किया। अब सब लोग स्वयं खाना खाने बैठे थे। उनका चोरी हो चुका सामान कोर्ट के आदेश के बाद वापस मिल चुका था। गोपाल ने जब सत्यप्रकाश को सपने वाली बात बताई तो वह भी आश्चर्यचकित रह गया। यार गप्पू फिर भी मैं तो यही कहूँगा कि, पुलिस कि तत्परता से ही चोर पकड़े गए हैं। सपने वाली बात मात्र संयोग है। मुझे अभी भी विश्वास नहीं रहा है। सत्यप्रकास ने कहा|चल यार तू मान न मान लेकिन जो कुछ हमारे साथ हुआ है उसे तो तू नहीं झुठला सकता। गोपाल ने कहा।

हमलोग निर्मल बाबा के भक्ति में अंधे हो गए हो । थोड़ी देर के लिए मान लीजीए,लेकिन उनकी वजह से हमलोगों में जो ईमानदारी, सच्चाई, मेहनत और गरीबों के प्रति सेवा भाव जागा है, वो तो निर्मल बाबा की कृपा भक्ति से ही हुआ है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Comedy