Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

एक अनोखी उड़ान

एक अनोखी उड़ान

4 mins
404


भोपाल शहर के शाहपुरा कॉलोनी में रहने वाली दिव्या..एक बहुत ही मध्यवर्गीय परिवार से थी..थोडा सा नटखट अंदाज थोडी सी मासूमियत जैसे उसका आईना था..और दिल में बहुत सारी तरंगे आगे बढने का अद्भुद मानो बल हर किसी के एक मिशाल था..उसे याद है जब वो छोटी सी थी ना जाने कितनी मरतबा आर्थिक तंगी के चलते उसे अपनी छोटी-छोटी ख्वाहिशों से भी समझौता करना पड़ा था..पर इसके बावजूद भी वो हमेशा अपनी पढ़ाई में अव्वल आती थी..और शायद इसलिये सबकी चाहेती थी..

उसके पिता रामदीन की एक छोटी सी दुकान थी..यही एकमात्र जरिया था उनकी कमाई का ..सब कुछ समय की नियति अनुसार ठीक-ठाक ही चल रहा था..कि अचानक एक दिन रामदीन की दुकान में शॉर्टसर्किट के चलते आग लग गयी..जिससे सारी दुकान का सामान जलकर खाक हो गया..अब रामदीन को अपने घर परिवार के लालन पोषण की व्यथा परेशान करने लगी..उसके पास अपने परिवार को खिलाने पिलाने के लिये कुछ भी ना था..एक दिन उसके सीने में बहुत तेज दर्द सा उठा..और फिर बहुत ही अजीब सी बैचेनी हो रही थी..जिसके चलते वो कुछ ना बोल पाया..और चक्कर खाकर जमीन पर गिर गया..उसकी पत्नी सुधा और दिव्या दौडकर उसके पास चले आये..

बहुत मशक्कत के बाद जब गली के एक मशहूर डॉक्टर को बुलाया तब जाकर रामदीन को होश आया..डाक्टर ने चेकअप करके रामदीन को ज्यादा से ज्यादा आराम करने की सलाह दी और कहा..आग बुझाते समय इनके फेफड़ों में धुँआ जाने की वजह से इनको चक्कर आ गया..खैर मैं इनके लिये दवाइयां लिख देता हूँ..ये कुछ महीनों मे ठीक हो जायेंगे..

एक तरफ घर में खाने के लिये एक दाना भी ना था..और दूसरी तरफ रामदीन के अपनी एकलौती बेटी की शादी के सपने धूमिल से हो गये थे..बस दिनभर यही सोच सोच कर उसकी मानसिक व्यथा ओर बढ़ जाती..पर उसकी पत्नी सुधा हमेशा उसका हौसला बनाये रखती ..खुद दूसरो के घर जाकर बर्तन मांजती पर कभी किसी चीज़ की मांग रामदीन के सामने ना रखती..

रामदीन अंदर ही अंदर टूट सा गया था..

वही दूसरी ओर दिव्या ने अपनी १२ वीं की परीछा प्रथम स्थान से उर्तीण की थी ..वो आगे पढ़ना चाहती थी..पर घर के हालत ठीक ना होने की वजह से उसने अपनी यह इच्छा अपने पिता के सामने जाहिर ना कि..पर उसने उम्मीद का दामन कभी नहीं छोडा..और उसने अपने मोहल्ले के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया ..और खुद भी कम्पीटशन एक्जाम की तैयारी में जुट गयी..ट्यूशन के पैसों से उसके घर का राशन पानी तो चल जाता था मगर छोटी- छोटी जरूरत की चीजों के लिये उसे बहुत संघर्ष करना पड़ता था..

खैर जैसे तैसे उसने अपना ग्रेजुेशन स्कालरशिप और ट्यूशन के बचत पैसों से पूरा कर ही लिया..और साथ ही साथ अपने बाबा को बताये बिना ही आई पी एस प्री की तैयारी में जुट गयी..उसने बहुत अधिक कठिन परिश्रम किया..ना जाने कितनी रातें उसने पढ़ते हुये निकाली ..और उसने आई पी एस प्री उतीर्ण कर लिया ..और दुबारा से आई पी एस मैन की तैयारी में जुट गयी .. रोज का यही सिलसिला बन गया था दिव्या का..दिन में ट्यूशन और नाईट में खुद की पढाई..दिव्या ने आई पी एस की पढ़ाई में जी तोड़ मेहनत की..और परिणामस्वरूप उसका चयन हो गया..

एक शाम जब उसके बाबा अपनी बूढी आंखों में चश्मा लगाकर अखबार पढ़ रहे थे..तब उनकी नजर पहले पन्ने पर आकर ठहर गयी..

अखबार के पहले पन्ने पर उनकी बेटी दिव्या की तस्वीर थी..जिस पर लिखा था.."छोटी उम्र के इस जज्बे को सलाम जिसने आई पी एस की परीक्षा में हासिल किया अपना मुकाम..देश की ऐसी बेटी दिव्या ठाकुर को देश का अभिनंदन"

उसके बाबा को विश्वास ही नहीं हो पा रहा था..शायद इसलिये ही बार-बार पन्ने पलट रहे थे..

तब उन्होंने किचन में खाना बना रही अपनी पत्नी सुधा को आवाज दी..

"अरे सुधा सुनती हो..देखो आज इस अखबार में हमारी बिटिया की तस्वीर छपी है .."

सुधा-"जरूर आपको कोई गलतफहमी हो गयी है जी..ऐसे कैसे हमारी बिटिया की तस्वीर अखबार में आ जायेगी..लाइये अखबार मैं स्वयं से देखूँगी.."

रामदीन के हाथों से अखबार लेकर जब सुधा पढ़ती है तो देखती है उसमें सचमुच दिव्या की तस्वीर थी..

वो कुछ हैरान सी कभी रामदीन को ..तो कभी अखबार को देखती है..और वो दिव्या को आवाज देती है-

"दिव्या अरे इधर आ जरा देख तो सही क्या छपा ये ..अखबार में.."

दिव्या अखबार जैसे ही हाथों में लेकर पढ़ती है..वो खुशी से उछल पड़ती है।

"अम्मा मै पास हो गयी ..मेरा देश की मैरिट लिस्ट में सबसे उपर नाम आया है..मेरी सरकारी नौकरी लग गयी अम्मा। तेरी लाडो अफसर बिटिया बन गई.. अब हम भी और लोगों के जैसे अच्छा खा पी सकेंगे..और अब तुम्हें काम करने के लिये कहीं जाने की जरूरत ना है..आज से सिर्फ आराम करोगी तुम अम्मा.."

उसके बाबा दिव्या और अपनी पत्नी को गले लगाते हुये नम आंखों से उपर वाले का शुक्रिया अदा करते हैं..और कहते हैं-

"तू ही तो सबका रखवाला है..

आज दे दी अनोखी उड़ान मेरी बेटी के सपने को भी..

भगवान तेरा खेल निराला है, तेरा खेल निराला है"


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational