जानवर कौन ?
जानवर कौन ?
"हे राम !अब का होयगो ? जे बछड़ा तौ मर गओ। अब गैया दूध कैसे देगी ? लल्ला सवेरे से भूखौ है। "दुलारी ने घर के बाहर पेड़ के नीचे बंधी गाय जिसकी आँखों से निरंतर अश्रुधारा बह रही थी और उसी के समीप मृत पड़े उसके बच्चे (बछड़े ) को देखकर मन ही मन कहा।
"सुनौ जी।"
"हाँ।"अब जो गैया दूध नाय देगी, ऐसो करौ जाकि(बछड़े की) खाल उतार कर खलबच्चा बनबाय लाऔ। "दुलारी ने निर्दयता से कहा सुनकर गाय की हूक निकल गयी और "माआआआआअ" तेजी से रंभाई। जैसे कह रही हो कि इसकी मिट्टी (मृत शरीर) से तो खिलवाड़ न करो ।
"अरे काहे रम्भा रई है....सबेरे से दूध की लीस न दी है। मेरौ लाल भूख से चिल्लाय रहौ है। "दुलारी क्रोध से चिल्लाई। सुनकर गाय मालकिन के हाथ को चाटने लगी। यह संकेत था दूध निकालने का।
दुलारी जल्दी से भीतर से बाल्टी ले आई और फटाफट दूध निकालने लगी।
उधर दुलारी का पति कसाई को ले आया बछड़े की खाल उतरवाने को। गाय रोती जा रही थी इंसानी निर्दयता देखकर।