प्रोटेक्शन
प्रोटेक्शन
ये जो ज़िन्दगी है ना ये इंद्रधनुष जैसी है इसके इतने रंग हैं कि आप और मैं दोनों इसमें रंगे दिखाई देते हैं कभी खुशी में तो कभी गम में कभी दर्द में तो कभी जूनून में कभी सुकुन में तो कभी सुरूर में, आज हर इंसान किसी न किसी रंग में रंगा है और ये कोई कहने वाली बात नहीं कि सबसे प्यारा रंग प्यार का होता है। प्यार में रंगा इंसान बहुत अच्छा हो सकता है और बहुत बुरा भी उसका रंग पहचान पाना थोड़ा मुश्किल है, जो प्यार में पागल होकर प्यार करे वैसे ऐसे लोग आजकल बहुत कम होते हैं पर हाँ होते जरूर हैं। तो चलो चलते है अपनी कहानी की ओर।
(शीना साथ से ऐसे निकल गई जैसे रामा को जानती ही न हो ये बात रामा को खल गई और उसने शीना का रास्ता रोक लिया।)
शीना : मेरा रास्ता छोड़ो। (रामा रास्ते से हिला नहीं)
रामा : मेरी तरफ देखों शीना तुम ये सब जानकार कर रही हो न!
शीना : मैंने कहा मेरे रास्ता छोड़ो।
रामा : मैं वो पहले वाला राम नहीं हूँ जो सीता के कहने पर यास्ता छोड़ दूँ।
शीना : राम होते तो मेरा रास्ता यूँ रावण की तरह न रोकते। जानती हूँ आज लोग तुमसे डरते है। तुम राम नहीं रहे, रामा हो गए हो लेकिन मैं आज भी शीना ही हूँ और मुझे ये भी पता है की तुम आज भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
(कभी राम और शीना बहुत अच्छे दोस्त... नहीं बहुत अच्छे दोस्त से बहुत ऊपर एक दूसरे के लिए जीने मरने वाले प्रेमी हुआ करते थे। जाने ऐसा क्या हुआ की आज शीना राम की शकल भी देखना पसंद नहीं करती और राम, राम से रामा हो गया।)
रामा : हाँ मैं राम नहीं रहा क्योकि तुम सीता नहीं बन सकी तो मैं ही रावण बन गया लेकिन आज तुम्हारा चेहरा साफ़ बता रहा है कि तुम भी मुझसे डरने लगी हो। और रही कुछ बिगाड़ने की बात तो मैंने घर बसाना बंद कर दिया है, मैं सिर्फ घर बर्बाद करता हूँ।
(इतना कहते ही रामा ने शीना का हाथ पकड़ लिया और उसे रुकने को कहा शीना ने हाथ झटक दिया और गुस्से से तमतमा उठी)
शीना : तुम अपनी हद पार कर रहे हो।
रामा : मैं अब हद में रहता ही नहीं।
(ये कहकर रामा ने शीना को अपने पीछे खींचकर छुपा दिया और तभी वंहा से बहुत तेज़ी से कुछ गाड़ियां निकल गई शीना अगर उस वक़्त रोड क्रॉस करती तो शायद ये सब कहने के लिए वो या तो हॉस्पिटल में होती या ज़िंदा ही ना होती। कुछ देर बाद सब गाड़ी तेज़ी से निकल गई)
रामा : तुम अब जा सकती हो।
(शीना समझ चुकी थी कि रामा ने उसे क्यों रोका था लेकिन शीना रामा से इतनी नफ़रत करने लगी थी कि उसने शायद रामा को कभी इतना प्यार भी न किया होगा।)
शीना : मुझ पर ये एहसान करके तुम क्या दिखाना चाहते हो कि तुम मेरी कितना ख्याल रखते हो।
रामा : मुझे तुम में और तुम्हारे चेहरे में कोई ऐसी वजह नहीं दिखाई देती कि मैं फिर तुम्हारे आगे पीछे घुमू और रही बात एहसान की तो तुम्हारी जगह कोई और भी होता तो मुझे ये करना था। मैं कोई तुम्हे ही देखकर नहीं आया था।
शीना : तो आइंदा ऐसी गलती मत करना क्योंकि तुमसे मिली ज़िंदगी से मौत बेहतर है।
रामा : मुझे तुम ज़िंदा नज़र भी नहीं आती। तुम मेरे लिए कब की मर चुकी हो।
शीना : तो ये मुझे बचाने का ढोंग क्यों कर रहे हो तुम्हे क्या लगता है मैं तुमसे फिर से प्यार करने लगूंगी।
रामा : प्यार, प्यार काम नाम भी अपनी जुबां पर मत लाना। वरना तुम्हारी जीभ काट दूंगा और मैं कभी सपने मैं भी तुम्हारे पास आने कोशिश नहीं करता समझी तुम... समझी तू....म....
(शीना गुस्से में वंहा से चली जाती है कुछ दूर जाने पर शीना रामा को इस हाल में सोचकर फुटफुट कर रोने लगती है क्योंकि आज राम को रामा बनाने में शीना का सबसे बड़ा हाथ है। इधर रामा का फ़ोन बजता है इससे पहले की वो रामा को धमकी देता उल्टा रामा ने उसे कहा)
रामा : आज ये तुम्हारी आखिरी कोशिश थी जो मैंने नाकाम कर दी आज के बाद अगर शीना पर एक नज़र भी डाली तो मैं खुद तुम्हारा हिसाब करने आऊंगा। ये अच्छी तरह जान लो की वो आज भी मेरी प्रोटेक्शन में है।
(रामा ये कहकर फ़ोन काट देता है रामा शीना के बारे में सोचने लगा और उसकी आँखे नम हो गई। रामा चलते चलते थोड़ी दूर जाकर एक बैंच पर सहारा लेकर बैठ गया और पुरानी यादों में खो गया।)