" इंसान "
" इंसान "
पुरानी हवेली में छिपे आंतकियों पर सैनिक कार्यवाही की कवरेज का आदेश मिला था उसे और वो रात के घने अँधेरे में रह रह कर होने वाली फायरिंग के बीच कुछ लाइव शूट करने की कोशिश में लगा था जब उसकी नज़र किसी औरत के साथ भागने की कोशिश करते एक आंतकी पर पड़ी। और अगले ही क्षण उसकी लाइट और कैमरे की क़ैद में आने के साथ ही वो आंतकी सैनिको की गोली का शिकार हो गया। साथ वाली औरत के चीख कर जमीन पर गिरने की आवाज पर वो और सचेत हुआ और अपना कैमरा संभाल किसी तरह उस तक पहुंच गया।
एक प्रसव वेदना से कराहती औरत उसके सामने थी। मामला नाज़ुक हो गया था उसने फौरन सहयोगी को मीडिया वैन पास लाने का आदेश दिया।......
"उसे छोड़ो वहीँ, टार्गेट बाकी के आंतकियो पर रखो।" कण्ट्रोल रूम से आदेश मिला।
"सर। 'उसे' सहायता की तत्काल जरूरत है।" उसने अपना पक्ष रखना चाहा।
"तुम मीडिया की डयूटी पर हो और अपना काम करो।" आदेशत्मक आवाज सख्त हो गयी।
लेकिन कुछ ही क्षण में मीडिया वैन प्रसूता को लेकर अस्पताल की ओर दौड़ रही थी। उसके निर्णायक शब्द कण्ट्रोल रूम में मिसाल बन कर गूँज रहे थे।
"सॉरी सर। 'मीडिया' अपना काम कर चुका है अब बारी एक इंसान की है और 'वो' अपना काम पूरा करने जा रहा है।