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रहस्य की रात भाग 14

रहस्य की रात भाग 14

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चारों जल्दी-जल्दी निकलने का उपक्रम करने लगे तो चौलाई विकट नाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया और बोले कोई संकट आये तो कपालिका माता का जयघोष करना। वह दुष्ट कपालिका माता से भयभीत रहता है। और यह देवी का खड्ग साथ ले जाओ। देवी तुम्हारा भला करे। और निकलते समय उनके कान में कुछ फूंक दिया जिससे उनकी आँखें चमक उठी।

चारों ने चौलाई के चरण छुए और जैसे तैसे काई युक्त सीढ़ियां चढ़कर ऊपर आये, पर जैसे ही मंदिर के बरामदे में दाखिल हुए कि थमक कर खड़े रह गए। सामने अघोरगिरि महंत अपनी लाल-लाल आँखों से उन्हें घूरता हुआ खड़ा था। 

उसने अलख निरंजन का घोष किया और वहीं खड़े-खड़े अपना हाथ लगभग बीस फुट बढ़ा दिया। वे चौंक कर पीछे हट गए। बाबा ने जोरदार अट्टहास किया और बोले लाओ जल्दी स्फटिक मुझे दे दो! मैं तुम्हें अनेक उत्तम उपहार दूंगा। लाओ!!

अनुज के हाथ में खड्ग मौजूद था वह उसे चमकाते हुए बोला, "दुष्ट राक्षस ! तेरा भेद खुल चुका है। अब हम तेरी सारी असलियत जान चुके हैं। तू हमें चुपचाप जाने दे, अन्यथा इसी खड्ग से तेरा सर भी काट दूंगा जिससे झरझरा को नर्क भेजा है।  

अघोरगिरि ने भयानक अट्टहास किया और बोला वाह! वाह! क्या सचमुच वह नीच झरझरा मारी गई। वाह मेरे शेरों! तुम धन्य हो! मुझसे ऐसी असभ्यता से क्यों बोल रहे हो अनुज? क्या मेरी कोई बात झूठ निकली? मैंने जो कुछ कहा था वही तो हुआ न? फिर मुझपर यह मिथ्या रोष क्यों? लाओ! स्फटिक मणि मुझे दे दो फिर मैं अपनी योग शक्ति से तुम चारों को पल भर में जंगल से दूर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दूंगा।

सावा बोला, "पहले आप हमें जंगल के बाहर ले चलो फिर हम आपको स्फटिक देकर चले जाएंगे। हमें आपपर भरोसा नहीं है।" अब अघोर को क्रोध आ गया। उसने दांत किटकिटाते हुए कोई मन्त्र पढ़ा तो दो बब्बर शेर अघोर के अगल-बगल में आकर गुर्राने लगे। वे बार-बार गर्जना करके इन लोगों को भयभीत करते। अघोर बोला, “बताओ मणि देते हो कि इन्हें छोड़ दूँ? ये मेरे पालतू पलक झपकते ही तुम्हें चीर फाड़ डालेंगे।" चारों भय से कांपने लगे पर मणि थी कहाँ जो देते? अब अघोर ने दोनों शेरों को ललकार दिया और वे इन चारों पर टूट पड़े। उन्होंने घिघियाते हुए इधर-उधर भागना चाहा और अनुज ने अपने हाथ की तलवार भी घुमाई पर घोर आश्चर्य तलवार शेर के बदन से होती हुई दूसरी ओर निकल गई पर उसे कुछ नहीं हुआ। तब वह समझ गया कि शेर केवल दृष्टि भ्रम था। उसने चिल्ला कर साथियों को पुकारा और आशी और सावा उसके आस पास आ खड़े हो गये। 

कहानी अभी जारी है!! 

आखिर कैसे इन्होंने सामना किया अघोरगिरि का?

क्या चारों बच पाये?

जानने के लिए पढ़िए भाग 15 

 

 

 


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