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Anshu sharma

Classics

5.0  

Anshu sharma

Classics

प्यार का बंधन ..अनकहे रिश्ते

प्यार का बंधन ..अनकहे रिश्ते

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प्यार का बन्धन ..(अनकहे रिश्ते)


पड़ोस में कोई शिफ्ट में दरवाजा खुलते ही देखा तो कोई दो.महिलाएं अंदर जाती हुई दिखाई थी और ऐसे ही रोज कभी ना कभी दरवाजा खुला होने के साथ एक हम उम्र को देख कर एक मुस्कुराहट आ जाती।

एक दिन मैंंने पूछ ही लिया आपका नाम क्या है ? रियाउसने बताया और आपका ? मैंंने बता दिया सौम्या।

धीरे धीरे कभी कभी बात हो जाया करती थी। एक दिन मैंंने पूछा रिया जिस दिन तुम आए थे। उस दिन मैंंने तुम्हारे साथ एक बुजुर्ग महिला भी देखी थी तुम्हारी सास है क्या ? हां सौम्या ,बुजुर्ग है वह काफी ज्यादा चल नहीं पाती। अंदर लेटी रहती है।


एक दिन रिया मेरे घर आई और बोली सौम्या मैंं जरा किसी काम से अपने पति के साथ जा रही हूं। तुम माँ जी को एक दो बार जाकर देख लेना। मैंंने कहा ठीक है, तुम जाओ। मैंं उनका ध्यान रखूंगी। उसके जाते ही मैंंने नाश्ता लिया और उसके घर की एक चाबी मेरे पास ही रहती थी,पडोस मे देते है ताकी खो जाये तो ले ले पडोस से।उस चाबी से खोलकर में अंदर चली गई। आंगन में सफेद बालों वाली बुजुर्ग महिला को लेटे हुए देखा, आंटी नमस्ते! मैंं सौम्या आपके घर के सामने ही रहती हूं। आज रिया नहीं है इसीलिए मैंं आपको देखने आई हूं। आपको कुछ चाहिए तो नहीं ?

नहीं बेटा, बैठो बैठो मैंं चल नहीं पाती इसलिए सौम्या कह गई होगी। आपने नाश्ता करा ?हां बेटा चाय से बिस्किट खा लिए थे।कुछ बनाकर रख गयी होगी। पास मे स्टूल पर रोटी और दाल थी।मैंने गरम पराठे आंटी को दिए आंटी आलू के परांठे बनाए है लिजिए। आंटी ने सकुचाते हुए खा लिये।

और मैं चली गयी। बस उस दिन से एक झुकाव सा हो गया कभी कभी जाती तो रिया बात ही नही करने देती कमरे मे मुझे बैठाये रखती।आंटी का प्यार भी मैं महसूस कर रही थी। औ

जब कभी वो बाहर जाते पति पत्नी तब मैं देखभाल के लिए जाती। मुझे देखते ही एक अलग चमक आंटी जी के चेहरे पर दिखती। मेरा हाथ अपने हाथ मे लेती और बात करते समय चुडिय़ां मेरी इधर उधर करती रहती। चुडियों मे तेरे हाथ बहुत सुंदर लगते है। 

कभी बिखरे बाल देख कर मैं तेल लगा कर चोटी बना देती तो ढेरो आर्शीवाद दे देती। 

मैंने पूछा रिया को बोल दिया किजिये तेल लगाने को। 

वो मुस्कुराई बोली साल बीत गये उसको मेरे पास बैठे हुए। 

मैं चौक गयी ऐसा सोचा भी नही कभी मैंने।

आँखे भर आई उनकी। बात काटते कर बोली तुम जाओ रिया आती होगी। बेटे बहु को ज्यादा देर मेरा किसी से बात करना पसंद नही। कुछ पूछना चाहा तो बोली फिर कभी बताऊगीं।शायद अपना समझने की वजह से वो बता गयी जो कभी नही बताती थी।

मैं बहुत सवाल लिए मन मे चली गयी। रात भर सोई नही। अगले दिन रिया से पूछा सास कैसी आदत की है ? तुम्हारी बोली बहुत अच्छी है। रौनक है उनसे। मैं परेशान फिर आंटी ने क्यूँ कहा ? रिया और उसके पति बाहर गये। मैं पहुंची तो दंग रह गयी आंटी के बाल कट गये थे। आँखो मे आँसू। ये क्या ?

आंटी बाल बायकट!

बेटा तुम तेल लगा जाती थी तो रिया ने बोला पडोसी को क्यूँ कहती हो ?मैंने बहुत कहा वो खुशी से करती है। पर सुना नही कैची लाई और काट दिये। मेरे सलवार कुर्ती से से दुखी थी तो गाउन पहना दिया। बेटा कुछ नही बोलता।रोने लगी। मेरी जिंदगी भार है दोनो पर।

ओहह !आंटी मेरी वजह से आपके बाल ....मैं रोने लगी। नही बेटा। ये दोनो ऐसे ही है। बस मेरी मौत का इंतजार कर रहे हैं। 


मैं रोती हुई घर चली आई। गयी नही उनके। अपने को दोष देती रही। क्यूँ तेल लगाया, चोटी बनायी ?

मैं अनाथ थी, माँ बाबा गुजर चुके थे। उनमे ही माँ ढुढने लगी थी। अब रिया के नही गयी। मेरी वजह से परेशानी नही हो। रिया शायद मेरा लगाव समझ गयी थी। उनसे दूर रखने के लिए उसने ऐसा किया।। जब जाते दोनो कही ,तो मुझे नही बुलाते। मैं रोती पर कुछ उनके घर मे कह नही सकती थी। शायद आंटी भी मेरे को याद करती होगी।


एक दिन चिलाने की आवाज आई  रिमा के घर से। अपने को रोक नही पाई। मैं दौड कर गयी। आंटी गिर गयी थी। रो रही थी रिया ने हथेली से मेरी ओर रूकने का इशारा किया। हम देख लेगें तुम्हारी जरूरत नही सौम्या। मैं गुस्से मे थी पर कुछ नही बोली। चली आई घर।


पर सो नही पाई। कुछ दिन बाद रहा नही गया मुझसे तो रिया की कामवाली से आंटी का पूछा तो पता चला आंटी नही है चार दिन से। मैं घबरा गयी। कहाँ गयी होगी ठीक से चल नही पाती थी कोई उनका था भी नही, जो किसी के कोई ले जाये। कामवाली बोली दीदी एक दिन वो "अपना घर "वृद्दाश्रम की बात कर रहे थे। मेरे को देख कर चुप हो गये। मैं फोन से नम्बर निकाला पता चला चार दिन पहले ही उसी तरह की पहचान की औरत आई है। 


मैं वहाँ गयी और आफिस से बात की और वो मिल गयी। मैं और वो गले लग कर ऐसे रोए ,एक अनकहा रिश्ता जुड गया था। मैंने उन्हे कागज कारावाही से अपने घर ले आई और रिया उसके पति पर आंटी की तरफ से केस किया। 


ये अनकहा रिश्ता एक प्यार, अपनेपन के गहरे रिश्ते में, माँ बेटी का रिश्ता बन चुका था। कुछ अनकहे रिश्ते ऐसे जुड़ जाते हैं।


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