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असली ज्ञान

असली ज्ञान

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रमेशबाबू (शिक्षक) रोज देख रहे थे कि राजेश पड़ोसी के पौधा में पानीें डाल देता है। उनसे रहा नही गया, एक दिन पूछ हीं बैठे-"अरे रजेशबा ई तू मोहना के पेड़ में काहे पानी डालत हऊए?"

राजेश-"माटसाहेब, उ लोग हियाँ नइखे रहेलन त पेड़ सूख नू जाई। काहे कि जेठ महिन्ना के रौदा..... ?"

रमेशबाबू-"अरे गधा तोरा पता हउवे न! ऊ कईसन लोग बारें? एक्को-गो आम दी तोहरा के?"

राजेश-"माटसाहेब मोहन भैया आम न दिहें त का होई,

आम पर उनकर अधिकार बा लेकिन ऊ पेड़ से निकले वाला ओस्कीजन त नहियें रोक पईहें, काहे की ऊ हावा होला। एक दिन हमार बचवा पढ़त रहे कि पेड़ ओस्कीजन छोड़ता है जे हमरा सबके खातिर बहुते जरूरी बा।माटसाहेब हम गलती-सलती त नाहीं बोल देली राऊर सामने........?"

रमेशबाबू-"अरे ना रे मूर्खवा तें एकदम सही बात कहले हईं।"

रमेशबाबू उसे पुचकारते हुए ऐसे खुशी से जा रहे थे मानो कोई महत्वपूर्ण चीज पा लिए हों।


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