सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
शाम का धुंधलका गहरा हो चला था। खेमे में अजीब सी चुप्पी छाई थी। ठठाकर हँसने वाले चेहरे किसी गहरी सोच में डूबे थे।
रामप्रकाश ने नजर उठा कर देखा, उदास चेहरे देख मन और अधिक डूबने सा लगा। उसने चुप्पी तोड़ने के उद्देश्य से कहा- "चाय बनाऊं !"
सुखवीर जाने किन विचारों में खोया था। उसका ध्यान रामप्रकाश की बात पर नहीं गया। अपने में खोया खोया ही बोला- " यारा मैंने कहीं पढ़ा था कि इजरायल कभी घटना पर अफसोस प्रकट नहीं करता, वह सीधा जवाब देता है !"
"तेरा मतलब बदला !" अशोक कुमार ने चौंक कर पूछा।
"हाँ बदला ! पर बदला लोगों से नहीं, देश से नहीं, बदला आतताइयों से, आतंकवादियों से, इंसानियत के दुश्मनों से !" सुखवीर की आवाज में जोश था।
"पर क्या युद्ध ही हल है !" मोहित सूरी ने उत्सुकता से पूछा।
"मैंने युद्ध की बात कब की ! युद्घ कोई उपाय नहीं, ये कोई हल नहीं।" सुखवीर ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
"हाँ दोस्तों,,,, युद्ध तो कोई हल नहीं। इसके दुष्प्रभाव ही अधिक हैं। देश दस साल और पिछड़ जाएगा, हर मोर्चे पर चाहे वह आर्थिक हो, सामजिक हो या राजनैतिक हो।" अशोक कुमार ने अपनी राय प्रकट करते हुए कहा।
"हाँ, बिलकुल सही कहा तुमने। मैं भी युद्घ के पक्ष में बिलकुल नहीं लेकिन एक बात तो तय है कि बदला तो लेना ही है।" अपूर्व ठाकुर ने हाँमी भरते हुए कहा।
"हुँह पड़ोसी देश खुद आतंकवाद से परेशान है। उनकी फौज व आतंकवादी संगठन राजनीति पर इस कदर हावी है कि वे शासकों की चलने ही कहां देते हैं।" इतनी देर से चुप अनिकेत सिंह की आवाज सुनाई पड़ी।
"अरे यार शासक तो उनके हाथ की कठपुतली बन कर रह गए हैं। वहां तो चुनाव भी सिर्फ इसलिये होते हैं कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।"
"हाँ यार क्योंकि किसी भी फौजी हुकुमत वाले देश को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर न मान मिलता है न सम्मान और न ही ऋण जैसी अन्य सुविधा।" अशोक कुमार ने बात पूरी करते हुए कहा।
"तो बदला किससे ले और कैसे लें। क्या उपाय है फिर।" रामप्रकाश ने पांचों दोस्तों पर नजरें गड़ाए हुए पूछा।
"बस एक ही रास्ता है ! सुखवीर ने कहा तो सबने चौंक कर उसे देखा और एक ही स्वर मे पूछा- "वो क्या !"
"सर्जिकल स्ट्राईक !"
"मतलब !"
"सर्जिकल स्ट्राईक यानि की सर्जरी !" सुखवीर की आँखो मे एक चमक उभरी।
"हम कुछ समझे नहीं, जरा खुल कर बताओ।"
"जैसे शरीर के किसी हिस्से में कोई घाव हो जाए,अच्छा मान लो बाजू पर कोई फोड़ा या फुन्सी हो जाए तो क्या इलाज के लिये पूरी बाजू को काट देंगे या सिर्फ उसी हिस्से का इलाज करेंगे।"
"यार ये तो अंडरस्टुड है कि उसी हिस्से का ही इलाज करेंगे।" मोहित सूरी ने जवाब दिया।
"तो इसी तरह युद्ध नहीं सर्जिकल स्ट्राईक करेंगे। सिर्फ उसी हिस्से का सफाया करेंगे जो घाव को नासूर बनाने से रोके।" सुखवीर ने पूरी बात समझाते हुए कहा।
"तुम्हारा मतलब ताकि इन्फेक्शन आगे न फैले, छोटी सी बीमारी कोई बड़ा रुप धारण करें, उससे पहले ही उसका सफाया !"
"हाँ बिलकुल सही समझे !"
"तो फिर सोचना क्या ! आओ आज और अभी इसे अंजाम दें और इस घाव को नासूर बनने से हमेशा हमेशा के लिये रोक दे।"
छहों दोस्त एक स्वर में बोले- भारत माता की जय।।