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घुटन

घुटन

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इतना अँधेरा चारो और क्यो है. कुछ अजीब सी घुटन हो रही है .पर थोड़ा बहुत अच्छा भी लग रहा है. बहुत दिनों बाद अकेला हु  मैं. कोई नही,हा कोई भी नही. कोई डाटने वाला नही,कोई तंग भी नही करेगा.. मैं अब आजाद हो गया. मेरा शरीर  हल्का हो गया . अब मैं उड़ भी सकता हु.

पर एक तन्हाई सी छायी हुयी हैं दिल मैं. अनजाने मैं आँखों से कब आंसू निकल गया मालूम ही नही हुआ. एक कड़ा सच मन की गहराइयों मैं चल रहा हैं कि....

 

मैं जिन्दा नही हु ....

मेरा शरीर भस्म हो चूका है....


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