चिकनाई
चिकनाई
हमारे घरों मे जब दिल करता है तभी शुरु हो जाते हैं, चाहे लड़ाई-झगड़ा, प्यार-मोहब्बत या बढ़िया खाना ही क्यों ना हो।
तो सुबह-सवेरे ऐसे ही नमक अजवाइन की पूड़ी खाने का दिल कर आया, जैसे देवरानी के साथ कभी-कभी बेमतलब की बातें छौंकने का दिल कर आता है। अब जेठानी है तो कहाँ तक अनदेखी करते रहे।
हमनें कहा- “आटे में नमक अजवाइन के साथ हल्की चिकनाई का मोयन डालना।” देवरानी ने साथ में थोड़ी मिर्च मिला कर चिकनाई बढ़ा दी।
पूड़ियाँ तलने के बाद परात मे निकाल कर रखने पर तली में जैसे चिकनाई जम जाती है कुछ वैसे ही हमारे रिश्ते में भी लड़ाई के बाद अबोला के कारण आजकल मौन पसरा हुआ था।
परात मे फैली चिकनाई हटानी थी और मन का मैल भी।
हमें सासूमाँ की सीख याद आ गयी। उनका कहना था कि “थोड़ा सा सूखा आटा ले कर चिकनी परात पर रगड़ दो और पल भर में सारी चिकनाई समाप्त।”
हमने एक गिलास ठंडा पानी पिया। पुरानी कड़वी बातों को दिल से निकाल मीठी यादों को याद करके देवरानी के साथ फिर से हँसने-बोलने का मन बना लिया।
सूखे आटे से पोंछी चिकनाई की तरह दिल से मैल साफ करने के बाद देवरानी से हुई तकरार अब नमक अजवाइन की पूड़ी मे मिर्ची की तरह हमारे दिल को भाने लगी थी।