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लफ्जों का कद, खामोशियों से छोटा

लफ्जों का कद, खामोशियों से छोटा

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रीना घर की बड़ी बहू थी। आज थकान भी बहुत महसूस हो रही थी पर शांत स्वभाव थी। चुप ही रहती थी। देवरानी घर आ गई थी और शादी की पूरी तैयारी उसने एक पैर पर की।ज्यादा बोलने कि उसे आदत नहीं थी। शांत अपना काम करती रहती। सब उसको पूरे घर की जिम्मेदारी देकर निश्चिंत हो जाते। किसको किस समय पर क्या मिलेगा, क्या बनेगा, देना लेना सब उसकी जिम्मेदारी थी। सास ससुर भी इस जिम्मेदारी को बड़े आराम से बड़ी बहू पर छोड़कर निश्चिंत थे।

 चंचल उसकी नंद थी। कॉलेज में पढ़ रही थी। देवरानी नीतू के आने पर चंचल तो जैसे फूली नहीं समा रही थी। जितनी शांत स्वभाव रीना थी, उतनी ही तेज नीतू थी। फैशनेबल अमीर घर की।नंद चंचल से उसका मेलजोल खूब हो गया था। चंचल की हर बातों में नीतू भाभी ही रहती पर रीना शांत स्वभाव चुपचाप अपना काम करती रहती। दुख तो होता लेकिन वह समझती थी कि उसको इन सब की इन सब चीजों से दूर है फैशन और जैसी नीतू थी वैसी ही चंचल थी तो स्वाभाविक तौर पर उन दोनों का मेल होना ही था।

 एक दिन चंचल को किसी शादी में जाना था। सब बैठे हुए थे। चंचल ने कहा," मैं उस लहंगे के साथ कौन सा नेकलेस पहनू, समझ नहीं आ रहा मम्मी, "चंचल की मम्मी ने कहा। रीना से पूछ लो ?रीना तुरंत जाकर अपना सेट ले आई चंचल दीदी, मैं तो यह पहनती हूं दो है मेरे पास। आपको अगर अच्छी लगे तो आप लीजिएगा। चंचल ने मुँह बनाते हुए कहा, नहीं भाभी यह तो बहुत साधारण सा.है अब नही चलते ऐसे। मैं नीतू भाभी के पास जाने की सोच रही थी उनको पता है कि आजकल ट्रेंड में क्या चल रहा है ? रीना के हाथ नेकलेस बढ़ाते बढ़ाते पीछे हो गए। ठीक है चंचल दीदी आप नीतू से पूछ लिजिए। चंचल भागती हुई नीतू के पास गई। नीतू भाभी मै कल क्या पहनू ? मेरे पास कुछ भी गले का सेट नहीं है। देखो ना !यह लहंगा ऐसे क्या मैचिंग होगा ?नीतू बोली है ना !मेरे पास बहुत अच्छे मेरे पापा ने मम्मी और मैंने शॉपिंग की थी यह देखो यह भी देखो और पता है यह चार हजार, और ये वाला तीन हजार, और वो है तीनो दो दो हजार के हैं। बहुत सुंदर है।चंचल खुशी से नेकलेस लेकर गले लग गयी वाहह नीतु भाभी आप तो कमाल हो। नीतु तुरंत बाहर आकर अपने गहनो और परिवार की तारिफ करने लगी।  

और ये उसकी आदत थी कि कोई भी बात हो जाती अपनी और अपने परिवार की तारीफ करें बिना नहीं रहती है। चंचल दीदी आपको भी खरीदना हो तो मुझे साथ ले चलिए।रीना की सास ने कहा नीतु अगले हफ्ते

 लड़के वाले आ रहे हैं तो अपनी पसंद की कोई साड़ी ले आओ। सासू मां रीना तुम चली जाना काम निपटा कर। रीना ने कहा जी मम्मी जी हां मैं चली जाऊंगी।चंचल बोली नही मम्मी मैं भाभी नीतू भाभी के साथ जाऊंगी, आजकल के बारे में उन्हें पता है। रीना का मुंह जरा सा रह गया तभी मम्मी ने कहा आंखें दिखाई और इशारे से बोली तो तुम तीनों ही घूम के आओ और बाहरी कुछ चाट खाना बहुत दिन हो गए तुम लोगों को बाजार एक साथ गए हुए। चंचल नीतू और रीना तीनों बाजार चली गई पर नीतु और चंचल वो एक तरह से दोनों अपने में इतनी मस्त हो गई। याद ही नहीं रहा कि रीना भी साथ है। ना उसकी कोई पसंद पूछी बस चंचल और नीतू साड़ी डिसाइड करके पैक करा ली। रीना की आंखों में आंसुओं से भरी थी पर वह कुछ बोली नहीं। और चुपचाप उनके साथ से घर वापस आ गई रात को रीना के पति भावेश ने पूछा क्या हुआ ? रीना कुछ उदास थी आज तो तुम बाजार गई थी क्या क्या शॉपिंग की ?कुछ नहीं खास नहीं। बस चंचल दीदी के लिए साड़ी लेनी थी। वही लेने गए थे अच्छा तुमने क्या लिया ?कुछ नहीं मुझे अभी जरूरत नहीं। जब उनका रिश्ता हो जाएगा तब मैं ले लूंगी मम्मी जी के साथ जाकर शादी के लिये। क्यों नहीं कुछ नहीं लिया ? बस ऐसे ही इसका मतलब चंचल और नीतु ने आज फिर तुम पर ध्यान नहीं दिया। रीना की आंखों में आंसू थे। समझता था और अब उसे प्यार से समझा दिया। आज मै बात करूगाँ। नही रहने दिजिए बात बिगड जायेगी। भावेश ने हाथ पकडते हुए कहा रीना तुम बहुत समझदार हो मैं भाग्यशाली हूँ तुम मिली मुझे। नीतु और चंचल को बाते हँसते देख कर पर चंचल की मम्मी समझ गयी की रीना को अनदेखा किया।

चंचल, नीतू के चारों तरफ घूमती रहती। मम्मी ने समझाया रीना भी तुम्हारी भाभी है उसके साथ भी थोड़ा समय बिताया करो।पर वो टाल देती थी।नीतु बस घर के काम से नजरअंदाज कर चंचल की खरिदारी मे लगी रहती। रीना घर संभालती। रीना की सास मदद करती। 

चंचल को फैशन अनुसार उसे नीतू से अच्छा कोई लगता नहीं था और वह पैसे वाली थी।और नीतु बस पैसे खर्च करना जानती थी मँहगे से महँगा खरीदवाती। मम्मी जी समझाती की कम का भी खरीदने की कोशिश किया करो।

एक दिन मम्मी जी और सब गहने खरीदने के लिए गये। और गहने घर मे रख दिये। शाम को गहने गायब हो गये।

आने जाने वाले लगे थे किस पर शक करते ?रिपोर्ट लिखा दि गयी। पुलिस जाँच पडताल करने लगी। बारात आने वाली थी। सब परेशान। नीतु भी सबको बार बार कहती अब क्या होगा ? बारात लौट तो नही जायेगी। चंचल भी रो रो कर आँखे सुजा ली थी।मम्मी जी ने नीतु की ओर देखा। तो नीतु के पति ने कहा, "नीतु तुम अपने गहने दे दो। " तुम्हे जल्दी ही हम बनवा देगें।नीतु घबरा गयी चंचल से नजरे चुराती हुई बोली।, वो क्या है ना धीरज मेरे तो सब मायके मे है, गहने पूराने कयूं दें ?चंचल को नये खरीद देते है। कैसी बात कर रही हो नीतु ?जल्दी मे सब कैसे होगा। समय हो रहा है जयमाला का।

रीना, चंचल को सम्भालती सब सही होगा। रो नही घबराओ नही।  

थोडी देर बाद रीना और भावेश कुछ गहने लेकर आए। रीना ने देते हुए कहा चंचल दी आपकी तरह डिजाइनर तो नही है पर फिर भी ये मेरे गहने पहन लिजिए। सब गहने है। ससुराल और मायके के दिये हुए और हाँ तुम्हारे भैय्या ने पिछले साल जो हार दिलाया था वो भी। 

चंचल ने रीना को कस कर गले लगा लिया। भाभी आपके साथ मैने कभी अच्छा ल्यवहार नही किया। कुछ समझा ही नही आपको।और आप का दिल कितना बडा है।

रीना तुम छोटी बहन ही तो हो मेरी। फिर मेरा तेरा क्या ?

पहन लो जल्दी से। तभी चंचल के ससुराल वाले आ गये। सब घबरा गये की अब क्या जवाब देगें ?ससुराल वाले ये ना सोचे सही समय पर बहाना बना दिया।चंचल के ससुर जी ने कहा गहने चुरा लेने की बात हमे बता चल गयी है। आप को परेशान होने की जरूरत नही हमें गहने नही चाहिए। बस चंचल ही चाहिए। हमारे भी बेटी है और ये सब हमारे भी हो सकता था। बडी बहु को अपने गहने देने की जरूरत नही। ये प्रशंसनीय है की अपने गहने अपनी नंद को देने लगी। ऐसा कम ही कर पाते है। ऐसे परिवार हमारे परिवार के साथ जुड रहे है ये क्या कम है ?सबकी आँखो मे खुशी के आँसुओ से भरी थी। 

रीना की सासु मां ने रीना को गले से लगा लिया। बडी बडी बाते करने वाली नीतु शर्म से झुकी थी। और शांत रहने वाली रीना पर गर्व महसुस हो रहा था। वक्त आने पर उसने घर की लाज रख ली थी। कभी कभी अपने को बढ़ा-चढ़ा कर बताना जरूरी नही होता।समय आने पर साथ निभाना जरूरी होता है।

कभी कभी लफ्जो का कद, खामोशियों से छोटा होता है।


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