बेकसूर
बेकसूर
ये कहानी एक अकबर नाम के आदमी की है ...
वैसे तो महानगर में कई छोटे-छोटे शहरों से रोज़ी की तलाश में बहुत मज़दूर आते हैं , जगह-जगह छुग्गी तान कर अपने रहने का इंतज़ाम करते हैं ।
ऐसे ही अकबर भी गांव में रोज़गार का ठीकाना नहीं था तो शहर आ गया ,बिल्डर के यहां करीगर का काम करने लगा ।
अभी कुछ समय ही हुआ था के एक दिन काम से घर लोट रहा था के पुलिस ने धर दबोचा थाने ले आए और उसको कई दिन थाने में रख कर टार्चर किया और रोता बिलखता रहा मैने कोई अपराध नहीं किया है ।
मगर पुलिस ने किसी बच्ची के रेप केस और उस बच्ची के मर्डर का केस बना कर कोर्ट से रिमांड पर ले लिया। उस पर तरह-तरह के झूठे गवाह और सबूत इकठ्ठा करके उसको पक्का दोषी करार दिया। नये पुलिस अधीक्षक के आने पर मालूम पड़ा कि वो एन्काउन्टर स्पेलिसट हैं। उन्होंने फाईल फिर से खोली और अकबर की फाईल में रुचि लेने लगे वहीं एक पत्रकार इस केस की स्टेडी कर रहा था सबूत जुटा रहा था। उसने अपने अखबार के जरिए बच्ची का मर्डर केस और रेप को एक बड़े नेता के बेटे और उसके बिगड़ेल दोस्तों की काली-करतूतों का पर्दाफाश किया तो आनन-फानन में उस नेता के बेटे को बचाने बड़े -बड़े नेताओं ने तिकड़म लगाई क्यों कि नेता जी सत्ता पक्ष में बड़े मंत्री थे ।
फिर क्या था अकबर को सारे सबूतों के साथ कोर्ट में पेश कर दिया गया वो बेचारा रोता चिल्लाया मगर उसकी कोई सुनने वाला न था ।
एक बेकसूर को कसूरवार साबित कर ने में ज़्यादा देर न लगी उस ग़रीब की बेवा माँ लोगों के दर -दर भटकती रही कोई उसकी सुनने वाला न था ।
आखिर में एक वकील समाज- सेवी भी थे उस पत्रकार और वकील ने कोर्ट में फिर से अपील की के अकबर का केस फिर से खोला जाए ...।
इधर कोर्ट के आदेश हुए जाँच फिर से कि जाए बस क्या था पुलिस सबूतों को मिटाने और लिपापोती कर उसका एनकाउंटर करने के चक्कर में कैसे भी करके मंत्री जी के बेटे को निर्दोष साबित करने पर तुली थी ।
पत्रकार रिज़वी भी रेपकेस और मर्डर की सच्चाई दुनिया के सामने उजागर करने में लगा था ,रिज़वी पत्रकार और वकील मंहत जी ने पुलिस अधीक्षक से मुलाक़ात की और सारी सच्चाई बताई उन एंकाउंटर स्पेलिसट का भी ज़मीर जागा तो पुलिस अधीक्षक श्री राम चौहान ने अकबर से सारी बातें रिकॉर्ड की और पत्रकार रिज़वी और वकील मंहत जी ने जी -जान से मेहनत की कोर्ट तक सही सबूत नहीं पेश हो मंत्री जी ने अपने गुरगों को लगा रखा था उन्होंने ने सब कुछ धतकरम किए लेकिन "जाको राखें सांय ,मार सकें न कोई"
अकबर की मदद को धीरे-धीरे लोग इकट्ठा होते गए कारवां बनता गया कोर्ट के सामने सही सबूतों के आधार पर ।कोर्ट के आदेशों पर मंत्री जी के बेटे और उसके साथियों की गिरफ्तारी करनी पड़ी पुलिस को ....
उसकी बेवा माँ ने पुलिस अधीक्षक श्री राम चौहान, पत्रकार रिज़वी,वकील मंहत का बहुत शुक्रिया अदा किया वो बेचारी मिडिया से यही कहती रही आज भी इंसाफ मिलता है ,नेक लोग अब भी दुनिया में हैं ।
ईश्वर है इस संसार को चलाने के लिए नहीं तो मेरे बेकसूर बेटे को बचाने इतने सारे इंसान फरिश्ते बनकर कैसे आते....।