प्यार जरा संभल कर
प्यार जरा संभल कर
फ़ोन की घंटी बजी और देव ने कॉल पिक करके बोलता है।
"हेलो। कितना समय और लगेगा ?" ऋतु ने पूछा।
"मैं बस 10 मिंट मे निकल रहा हूं।"
"ठीक है , मैं तुम्हारे घर के पास वाले बस स्टैंड पर हूँ, वहीं आजाओ।"
"ठीक है आता हूँ",
और देव ने कॉल काट के हैलमेट लिया और बाइक पर सवार होकर चलने लगा। तभी देव के दिमाग मैं कुछ आया और बाइक खड़ी करके अंदर से एक लेडी हैलमेट लेके आया, और चल दिया ऋतु के पास।
ऋतु बस स्टैंड पर खाड़ी देव का इंतज़ार कर रही है, और साथ ही ठन्डे- ठन्डे मौसम का मजा ले रही है। ऋतु के दिमाग मे मानो जैसे कुछ रोमांटिक, सुहावना, ख्याली पुलाव पक रहे हो। उसकी आँखों मैं एक अजीब सी खुशी की चमक दिख रही थी। और दिखती भी क्यों न, आज देव के साथ बहुत दिनों बाद लौंग राइड पर जाने वाली है, कहीँ खूबसूरत जगह पर। जहा वो और सिर्फ उसका प्यार (देव) होगा। और "आज" को खुल कर जीने वाली है।
तभी देव भी उसके पास पहुंच जाता है और ऋतु से मस्ताने मिजाज मैं बोलता है,
"हेल्लो मिस,,,, ऋतु!"
"हेलो मिस्टर देव, तो बताओ कहा चलना है"
ऋतु ने भी उसी अंदाज़ मैं जवाव देते हुए पूछा। देव ने जवाव दिये बिना अपनी दिग्गी से लेडी हैलमेट निकाल कर देते हुए फिर से उसी अंदाज़ में बोला।
"ये लीजिये देवी, पहले इस सुरक्षा कवच को अपने मस्तक पर धारण कीजिये और विराजमान होजाइये हमारे इस दुपहिया वाहन पर, उसके बाद हम आपको बताएंगे कि कहा और किस दिशा मे हम प्रस्थान करेंगे।"
ऋतु ने हैलमेट देखकर अपने नाक - मुँह सिकोडलिये। मानो जैसे उसे कुछ ऐसा करने को कह दिया हो जिसे वो कभी अपनी जिंदगी में नही करना चाहती हो। और बोली,
"यार मुझे हेलमेट नही लगाना, तुम्ही लगाओ।"
"नही... हेलमेट तो लगाना पड़ेगा, वार्ना जाना कैंसल!"
"यार क्या ये जरूरी है?"
"है, तभी तो।"
ऋतु अनचाहे मन से हेलमेट लगाकर बैठ जाती है। और दोनों वहां से चले जाते है।
बाइक करीब 50-60 की स्पीड पर चल रही है। ऋतु चुप चाप मुह फुलाये बैठी है। मानो जैसे किसी ने उसकी भैंस खोल ली हो। उसका नाराज होना भी जायज़ है। क्योंकि आज का दिन उसने इस तरह से तो जीना नही चाहा था। लेकिन देव भी इस बात को अच्छे से समझता था कि 'ऋतु आज मेरे साथ मौज मस्ती करना चाहती है।' और ये सिर्फ इस बार ही नही हर बार ही ऐसा होता है। जब भी ऋतु देव के साथ अपना टाइम स्पेंड करना चाहती और उसके साथ बाइक पर घूमना चाहती तो देव हर बार उसके और अपने सिर पर ये हेलमेट रख देता। और आज भी पता था ऋतु को की देव आज भी यही करेगा। लेकिन आज उसे किसी तरह मना लेगी की, उसे आज हेलमेट नही पहनना है। लेकिन जिसका डर था वही हुआ।
आजू बाजू से और भी बाइक गुजर रही थी, और उन बाइक्स पर भी ज्यादा तर कपल्स ही थे, जो आज की छुट्टी का लुफ्त उठा रहे थे। जिन्होंने कोई हेलमेट भी नही पहना था। लेकिन ऋतु की नजर सामने जा रहे कपल पर अटकी हुई थी।
लड़की पीछे बैठी कभी अपने बालों को हवा मैं लहराती तो कभी अपनी बाहों को हवा मैं फैलकर उस सुहावने मौसम का मज़ा लेती। लड़का भी खूब उसके रंग मैं रंगा हुआ था। उसने भी लड़की को मानो आजाद परिंदे की तरह खुला छोड़ दिया हो और कह रहा हो कि, जा सीमरन जा , जिले अपनी जिंदगी।
उन दोनों को देख ऋतु के मन मै फिर से एक बार उमंग उठी , और सोचा कि एक बार फिर देव से बोलकर देखती हूँ शायद वो हाँ बोलद।
"बाबू,,,, सुनो ना।"
"हाँ जी बेग़म,,,, बोलिये"
फिर से मजाकिया अंदाज मैं बोला ये सोच कर की शायद उसका मूड़ ठीक होजाये।
"थोड़ी देर के लिए हेलमेट उतारो ना प्लीज।"
"किसलिए?"
"वो,,, हमे बहोत ज़ोर से रोमांस आया है, ओर अपको किश करना चाहते है।"
"हेलमेट नही उतरेगा।"
देव को न चाहते हुए भी कड़े शब्दों मैं ना बोलना
"अच्छा तो मैं तो उतारलूं थोड़ी देर के लिए, बस दो मिनट के लिए।"
"तुम भी नही।" देव ने साफ - साफ इन्कार करदिया।
ऋतु को गुस्सा तो बहोत आया लेकिन क्या करे। ऐसा नहीं है कि देव उसकी बात नही मानता हो। वो उसकी हर बात मानता है। चाहे वो छोटी हो या बड़ी हो। उसे हुमेशा खुश रखता है।और उसका ख्याल भी बहोत रखता है।
लेकिन उसका क्या जो अभी उसका दिल जल रहा है सामने जा रहे कपल को देख कर। ऋतु को ऐसा लग रहा है जैसे वो कपल इसे चिड़ा रहा हो।
सडक़ पर और भी लोग चल रहे थे। और उन दोनों को देख रहे और उनके बारे मैं टिप्पणी कर रहे थे।
जिस उमर का व्यक्ति उन्हें देखता वो वैसा ही सोचता।
बड़ी उमर के लोग बोल रहे थे।
'क्या जमाना आगया, शर्म - लिहाज नाम की कोई चीज ही नही रही। बीच सड़क पर एन्जॉयमेंट के नाम पर भद्दा प्रदर्शन कर रहे हैं। शांशकर तो रहा ही नहीं।'
छोड़ी उम्र के ( जवान) लोग देखते बोलते।
'क्या बात है भाई, बंदा फुल मौज ले रहा है, इसे कहते हैं सॉलिड रोमैंस!'
तभी वो लड़की बाइक के पायदान पर खड़ी होजाती है और अपने बालों को और हाथों को फिर से हवा मैं लहराती है, और ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर अपनी खुसी ज़ाहिर करती है। मानो जैसे वही इस दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हो। वो रानी है और उसका बॉयफ्रेंड एक राजा। और लड़के को गाल पर किश करने की कोशिश करती है। दोनों इस बात से बेख़बर है कि सामने एक मौड़ है। जहाँ से पल भर मैं उनकी ज़िंदगी ही बदल गयी।
लड़का एकदम से बाइक संभालने की कोशिश करता है। लेकिन उसके हाथ में लटका हुआ हैलमेट बाइक के हैंडल मैं अटक जाता है जिससे बाइक डिसबैलेंस होकर गिरजाती है। दोनों काफी दूर तक खिचड़ते हुए सड़क के किनारे बने एक डिवाइडर से जा टकराते है। जिससे लड़के का एक पाव टूट जाता है। लेकिन लड़की के सिर मैं गंभीर चोट लगने की वजह से लड़की के सिर से बहोत खून बहने लगता है। और लड़की तड़पने लड़की है।
ये ख़ौफ़ नाक मंज़र देख कर ऋतु सन्न रह जाती है। उसे कुछ समझ नही आता है की, ये एक दम से क्या हुआ। अभी तो सबकुछ अच्छा चल रहा था। फिर ये सन्नाटा कैसे छागया एक पल मैं ही। बहोत भीड़ जमा होचुकी थी उसके चारों तरफ। देव भी बाइक को साइड मैं लगाकर उन्हें देखने गया। जबकि ऋतु की हिम्मत आगे जाने की नही पड़ रही थी। लड़का अपने दर्द को भूल कर लड़की को अपनी गोद मे रख कर रो रहा था, चिल्ला रहा था, मानो जैसे उसकी दुनिया ही बर्बाद होगयी हो। ऋतु ने हिम्मत करके भीड़ के बीच से उसे देखा तो। उसके पैरों तले से जैसे ज़मीन ही खिसक गई हो। उसने देखा कि लड़की उसकी बाहों मैं तड़प तड़प कर मर रही है, लेकिन वो रोने चिल्लाने के अलावा कुछ नही कर पा रहा है।
"प्लीज हैल्प, हैल्प, कोई एम्बुलेंस को बुला दो प्लीज।,
निशा,,, जान मैं तुम्हे कुछ नही होने दूंगा। बाबू,,,
अरे कोई तो मेरी हैल्प करदो प्लीज, कोई तो अम्बूलंस को कॉल करो।"
लड़की तिल-तिल कर लड़के की गोद में मर रही थी, तड़प रही थी। लेकिन कोई भी व्यक्ति उस लड़के की हैल्प करने के लिए तैयार न था। सब एक दूसरे पे टाल रहे थे। शायद कोई भी इस पचड़े मैं नही फसना चाहता था। लेकिन देव ने जब देखा कि कोई भी कुछ नही कर रहा है, तो उसने ही अम्बूलंस को कॉल करके बुलाया और दोनो को जल्दी से होस्पिटल पहुंचाया।
ऋतु ने अब से पहले कभी ऐसा मंज़र नही देखा था। शायद यही वजह थी कि वो हमेशा बिना हेलमेट के या मानो लापरवाही से चलने को मौज मस्ती का नाम देती थी। लेकिन अब उसे सब समझ आगया है। की देव क्यों हमेशा हेलमेट पहनता है और
पहनने की सलाह देता है। शायद उसे मेरी जिंदगी की एहमियत मुझसे भी ज्यादा पता है।
दोनो फिर से अपनी मंजिल की तरफ चलदेते है। इसबार ऋतु ने बिना कहे ही हेलमेट पहनलिया। स्पीड अब भी 50-60 की ही है लेकिन ऋतु का मिजाज बिल्कुल बदला हुआ है। देव से चिपक कर बैठी है। और प्यारी-प्यारी, मीठी-मीठी बातों का लुफ्त उठाते चले जा रहे हैं।