आदर
आदर
विनीत रोये ही जा रहा था। निधि की शादी थी आज।
विनीत और निधि दोनों बहुत प्यार करते थे।
उनके प्यार पर उन दोनों के माता पिता ने भी मोहर लगा दो थी। वो दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे लेकिन एक दिन निधि आई और विनीत को समझाकर चली गई कि वो उससे शादी नहीं कर सकती उसकी कुछ मजबूरी है। विनीत ने काफी पूछा लेकिन वह कुछ नहीं बोली अपनी मज़बूरी के अलावा।
विनीत की हालत खराब थी वह निधि के बिना नहीं रह सकता था। उसे निधि पर गुस्सा आ रहा था वह निधि को भला बुरा कहे जा रहा था।
तभी विनीत की माँ उसकी छोटी बहन के साथ आई और उसको चांटा मारते हुए बोली- 'अरे तो निधि को क्या जाने वो तो एक देवी है।'
ये सुन विनीत बोला- 'माँ वो बहुत चालाक लड़की है उसने मुझ जैसे मध्यम वर्ग के लड़के और अपने प्यार को छोड़कर एक अमीर घर मे शादी का निर्णय लिया है वह बहुत मौकापरस्त लड़की है।'
'नहीं बेटा उसने अपने प्यार का बलिदान देकर इस घर पर एहसान किया है, उसने उस अमीर घर मे शादी इसलिए कि है ताकि उस घर का दूसरा लड़का तुम्हारी छोटी बहन से शादी कर सके जो उसके प्यार में पेट से है।' माँ ने अपने आँसू रोकते हुए कहा।
विनीत ये सुन एक चौंक गया। उसने आँसू पोंछे और माँ से विस्तार से बताने को कहा।
'बेटा, तुम तो जानते हो निधि तुम्हारी बहन कीर्ति की भी दोस्त है। कीर्ति कॉलेज के एक लड़के से प्यार करने लगी और उन दोनों ने सारी सीमाएँ पर कर ली। जब निधि को पता लगा तो वह उस लड़के के घर पहुंची। निधि उस घर के बड़े लड़के को अच्छी लगी वह निधि की बात सुनकर बोला 'यदि तुम मुझसे शादी करोगी तो में अपने छोटे भाई से कहूँगा कि वह कीर्ति से शादी कर ले।' निधि ने उसे काफी समझाया लेकिन वह लड़का नहीं माना तो कीर्ति की इज्जत की खातिर उसने अपने प्यार की आहुति दे दी, वह धोखेबाज नहीं एक अच्छे दिल की लड़की है।'
यह सुन पास खड़ी कीर्ति अपनी माँ से लिपट रो पड़ी।
विनीत की जैसे आँखें खुल गई। उसके मन में निधि के प्रति आदर और श्रद्धा के भाव उमड़ रहे थे। उसने उसे मन मे याद किया और हाथ जोड़ दिए।
निधि फेरों पर बैठी थी उसके चेहरे पर दृढ़ता थी।