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लव यू ज़िन्दगी

लव यू ज़िन्दगी

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"अब मैं राशन की कतारों में नज़र आता हूँ

अपने खेतों से बिछड़ने की सजा पाता हूँ"

जगजीत सिंह जी की आवाज़ में ग़ज़ल सुनते हुए शर्मा जी की आँखें नम हो गयी थीं। उन्हें अपने बचपन से लेकर कॉलेज के हॉस्टल तक सब कुछ याद आ रहा था।

जब से शहर में एक कमरे का मकान लिया था तब से बैंक की किश्तों के बोझ तले उनकी पूरी पगार दब कर रह गयी थी। मिसेज़ शर्मा भी इस संघर्ष में उनका साथ निभाने के लिये हर मुमकिन प्रयास करती थीं। हर साल मिलने वाला दीवाली बोनस भी बैंक में देकर शर्मा दम्पति जल्द से जल्द लोन चुकाने की कोशिश में थी। 


इस बार दीवाली बोनस आते ही शर्मा जी धर्मपत्नी को बिना बताए राजस्थान में छुट्टी बिताने का बंदोबस्त कर आये। शुरू में मिसेज़ शर्मा कुछ नाराज़ हुईं, लेकिन जब शर्मा जी ने यह विश्वास दिलाया कि लोन लगभग चुका दिया गया है, तो बहुत खुश हुईं। 


पूरे सप्ताह की छुट्टी के दौरान शर्मा जी धर्मपत्नी को खुश देखकर कितने खुश थे। उस दिन जैसलमेर के रेत के टीलों पर बारिश हुई। कितना अद्भुत नज़ारा था। मिसेज़ शर्मा कितनी देर फोन पर बेटी से बातें करती रहीं और रेगिस्तान में हुई बारिश का आंखों देखा विवरण देती रहीं। शर्मा जी को रह रह कर पत्नी से लोन के बारे में कहा झूट याद आता और फिर पत्नी की खुशी देख कर सब भूल जाते। 


छुट्टी खत्म होने पर वापसी विमान से थी। हवाई जहाज़ में चढ़ते हुए मिसेज़ शर्मा की आंखों में खुशी के आँसू आ गये। "लव यू ज़िन्दगी"... शर्मा जी मन ही मन कह रहे थे।



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