अनाथालय को वृद्धाश्रम से मिलाए
अनाथालय को वृद्धाश्रम से मिलाए
बेबस खड़ा राह निहारे
काश कोई आ जाता देने सहारे
जिसको पुकारो अम्मा, बाबा
गोदी में उठा ले कह के लाला
मैं उनकी खुशियों का बनू सहारा
हम दोनों मिले हो परिवार हमारा
उनके बच्चे की चाहत
मुझे अम्मा बाबा बन गए राहत
एक दूसरे के पूरक हो जाएं क्यों ना अनाथालय वृद्ध आश्रम से मिलाएं।
बस मन में यह विचार था हो सकता है कि बहुत जगह हो पर जल्दी देखने को नहीं मिलता कुछ बच्चे अपने मां बाप को छोड़ देते हैं और उनकी सारी जिंदगी वृद्धाश्रम या सड़कों के किनारे निकल जाती है और ऐसी बच्चों के व्यवहार से होने भी भी मां बाबा एक इंतजार में रहते हैं काश उनके बच्चे उनको एक बार देखने आ जाए।
यही दूसरा पहलू अनाथालय के बच्चों का है जिनके या तो मां बाप होते नहीं है और या परिस्थितियों बस उन्हें छोड़ देते हैं और वह अपने दरवाजे को देखते हैं कि काश कोई मां बाबा बनकर कोई आ जाये।
तो क्यों ना इन दोनों को आपस में मिलाया जाए जिससे इनका पूरा दिन आपस में कट जाए।
बच्चे अपने दादा ,दादी ,नाना ,नानी ,अम्मा, बाबा से बहुत कुछ सीख पाते हैं उनकी कहानियां सुनकर ही बहुत समझ पाते हैं और बड़े बूढ़े लोगों को भी बच्चों का सहारा मिलने से उनका पूरी जिंदगी आराम से कट जाती है काश ऐसा हो पाए गांव अनाथालय को वृद्धाश्रम से मिलाएं।