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Blogger Akanksha Saxena

Drama

0.3  

Blogger Akanksha Saxena

Drama

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 4

दिवस (द इंडियन म्यूटन) भाग - 4

19 mins
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सुबह कब की हो चुकी थी, सरोज ने उसके मुंह पर लगी पट्टी भी हटा दी थी पर वह एक दम ख़ामोश उसी जगह बैठा रहा और फिर चुपचाप रजौरा गाँव की तरफ पैदल ही निकल गया। रूद्र ने देखा कि वह उसी ज़हरीले सांपों वाले गांव में जा रहा था| यह देखकर रूद्र भी उसके पीछे-पीछे चल दिया। उसने देखा कि दिवस गांव में दाखिल होकर गिर पड़ता है। यह देख रूद्र दौड़कर आता हैं तो देखता कि दिवस बेहोश हैं वह भागता हुआ गाँव में अंदर जाता हैं और वहाँ से आते हुये ग्रामवासी से कहता है भाई थोड़ा पानी मिलेगा।ग्रामीण ने उत्तर दिया कि पानी के लिए पूरे गाँव में केवल दो नल हैं जिसमें एक खराब पड़ा हैं और दूसरे पर भीड़ लगी होगी। मैं रिश्तेदारी में जा रहा हूँ और यह मेरा गंगा जल है। जो मैं किसी हालत में नहीं दूंगा कारण पल्लीपार गाँव यज्ञ हो रहा है उसके लिये ज़रूरी हैं। रूद्र बोला, ज़रूरी तो इस वक्त भैया की जान है। तुम सारे पैसे रख लो पर थोड़ा गंगा जल दे दो। वो उधर मेरा भाई बेहोश पड़ा है। वह बोला नहीं दे सकता भाई। पूजा पाठ की चीज है.यह सब देख उसने मोबाइल निकाल कर सरोज को फोन मिलाया कि रजौरा में बाईक से किसी को भेज दो। वह भागता हुआ गाँव में जाता है देखा कि नल पर लम्बी लाईन लगी है वहाँ पानी के कारण औरतें एक दूसरे से लड़ रहीं थी इस धक्का-मुक्की में किसी ने भी उसे पानी भरने नहीं दिया। यह सब देख वह वापस लौटा और वह भागते हांपते हुये दिवस के पास आया और दिवस को देखकर चीख पड़ा। उस ने देखा दिवस के हांथ - पाँव पर दो-तीन कोबरा काटकर जा रहे थे। वह सिर पीट कर बुरी तरह रो पड़ा कि अब दिवस नहीं बचेगा। वह दिवस को गोद में उठाकर लगातार भागता रहा रास्ते में बाईक से किन्नर संदेश आ रहा था। रूद्र घबराहट में कुछ बता न सका। उसने तुरन्त दिवस को बिठाया पीछे खुद बैठा और बोला सीधे अस्पताल चलो। रूद्र ने कहा, तुम पीछे बैठो बाईक मैं चलाता हूँ। इतनी रफ़्तार में बाईक लायाा कि लोग दंग रह गये और अस्पताल के सामने जैसे ही बाईक रोकी तो पीछे से दिवस ने कहा रूद्र," कोई अंदर ऐडमिट हैदिवस को जिंदा देख रूद्र चकराकर बेहोश हो गया। दिवस ने उसे गोद में उठाया और अस्पताल मे अंदर ले गया। डाक्टर ने पानी का एक छींटा मारा कि रूद्र उठकर बोला," दिवस की आत्मा।" दिवस बोला," मेरी आत्मा से क्या मतलब है तुम्हारा? पीछे संदेश खड़ा था तो रूद्र ने कहा," तुम जाओ हम आते हैं।

बोला अभी दिवस बेहोश था। रूद्र मन ही मन बोला पता नहीं ये क्या माज़रा है? रूद्र ने पूरी बात सुनाई और दिवस के गले, हाँथ और पाँव में कोबरा के काटे के निशान दिखाये। वह बोला," दिवस भैया आप चमत्कारी इंसान हो। साक्षात् नागदेवता के अवतार हो। " दिवस बोला," शांत रहो। तभी डाक्टर बोले," तुम दोनों को पागलपन का दौरा पड़ा है क्या.. करेन्ट दूँ? यह सुनते ही रूद्र भागा और गेट के बाहर आ खड़ा हुआ। दिवस ने कहा," रात का एक- एक सीन दिमाग में घूम रहा था। यही सोचते - सोचते चक्कर आ गया बेहोश हो गया। सबकी आवाजें बातें दिमाग में गूंजती रहती हैं। रूद्र ने कहा," ताज्जुब है कोबरा के ज़हर से कुछ नहीं होता और बातों से बेहोश ?" दिवस ने कहा," कुछ सच कोबरा से ज़्यादा ज़हरीले होते हैं मेरे भाई |" दिवस ने कहा," मैं कहीं जा रहा हूँ तुम अपना ख्याल रखना। रूद्र ने कहा," मैं तो अब मरने के बाद ही आपसे दूर होऊँगा। उससे पहले तो जहाँ चलो, साथ चलूंगा

दिवस ने कहा," दिल्ली ऐम्स जा रहा हूँ जहाँ डा.एस.एस प्रसाद जो मेरे फ़ौजी भाई के दोस्त हैं उनसे मिलना है। "रूद्र," हाँ, डा.प्रसाद का नाम फेमस है। "

दिवस और रूद्र दोनों डा.प्रसाद से मिलते हैं तो वह उन्हें अपने केबिन में ले जाते हैं तो दिवस उनसे कहता है कि आप मेरा ब्लड ऐण्टीवैनम बनाने के लिये ले लीजिये जिससे कोबरा जैसे भंयकर सांपों के डसे जा चुके पीड़ित मरीज़ों की रक्षा हो सके। डा. प्रसाद कहते हैं कि आप में कोबरा जैसे ज़हरीले सांपों का ज़हर झेल लेने पचा लेने की क्षमता हो तब। दिवस कहता है कि आप मेरा ब्लड टेस्ट कीजिये। डा.अपने एक मित्र डा. डिसूजा को पूरी बात बताकर केबिन में बुलाते हैं। डा.डिसूजा कुछ देर बाद ऐम्बुलेंस लेकर पहुँचती है उसी ऐम्बुलेंस में पूरी तैयारी के बाद दिवस को कोबरे के ज़हर का इंजेक्शन लगाया जाता है दिवस को कुछ नहीं होता तो दिवस की ज़िद पर दूसरे बहुत ज़हरीले सांप ब्लैक मांबा का ज़हर इंजेक्ट कर दिया जाता है पर वह उसे भी झेल जाता है। यह देख डा. डिसूजा हैरान रह जाती हैं वह कहती हैं आपका ब्लड तो इस तरह के पीड़ित मरीज़ो के लिये अमृत सिद्ध होगा। आपके ब्लड से ऐण्टीवैनम बन सकेगा जो हज़ारों सर्पदंश पीड़ितों की जान बचा सकता है। हम आपका कुछ ब्लड सुरक्षित कर ले रहे हैं पर आप एक हप्ते बाद फिर से आइये प्लीज़। वह दिवस से हाथ मिलाकर बोलीं वाव!" दि ग्रेटदिवस ने डा.प्रसाद और अन्य डाक्टरों की पूरी टीम से हाथ जोड़कर कहा," आप लोगों से निवेदन है कि यह बात मीडिया से मत कहना प्लीज़ अपने तक ही रखिये मुझे हो हल्ला पसंद नहीं| मैं नि:स्वार्थ जनसेवा करना चाहता हूँ। डा. प्रसाद बोले," यह सब आपने जाना कैसे ?"

पास में खड़े रूद्र ने कहा," सर मैं बताता हूँ फिर उसने पूरी कहानी सुना दी। डा. बोले, ग्रेट पर मुझे डर लगा सचमुच। दिवस ने कहा,आप यह बात अशिन भैया को मत कहना प्लीज़ ,डा.प्रसाद बोले," वादा करता हूँ नहीं बताऊंगा पर समय आने पर बताऊंगा ज़रूर।

तभी डा. साहब का फोन बजा वह सॉरी कहकर वहाँ से चले गये और चलते- चलते बोले कि घर रूक कर जाना। दिवस ने कहा, नहीं मुझे अभी वापस जाना है।

रूद्र और दिवस रेलवे स्टेशन पर बैठे आपस में बातचीत कर रहे थे कि सामने जैनीफर अपने कुछ दोस्तों के साथ निकल रही थी कि उसने पलट के देखा तो दिवस उसे देखता हुआ आगें बढ़ गया। फिर वह दोबारा पलटी और भागते हुये आयी और बोली, मुझे अस्पताल में अकेला छोड़ आये। क्या तुम में मानवता नाम की कोई चीज़ नहीं है ?दिवस ने कहा, मॉफ कर दो प्लीज़।

जैनी ने कहा," हम लोग दिल्ली घूमने आये हैं चलो अपना न्यू नम्बर दो। "

दिवस ने उसे अपना नम्बर दे दिया।

सामने ट्रेन आती देख दिवस व रूद्र कहते हैं अपनी वाली ट्रेन भी इसके बाद आ रही होगी चलो आगें चलते हैं।

जैनीफर उसे देखती हुई निकल जाती है।

कुछ देर बाद ट्रेन आती है दोनों अपनी सीट पर बैठ जाते हैं और अख़बार पढ़ने लगते हैं। दिवस कहता है कि मेरा मन नहीं हो रहा बस्ती जाने का। रूद्र कहता है अपनी दुनिया वहीं है वरना और कहाँ जायेंगें।

दिवस भारी मन से बस्ती में दाखिल होता है। वह देखता कि खम्भे पर लटकी मरकरी की रोशनी में एक गाय कूड़े में पॉलीथिन खा रही है तो दिवस ने दौड़कर गाय के मुँह से पॉलीथीन खींच ली। देखा उस गाय की आँख का मांस लटका हुआ था मानो उसकी आँख गिरी जा रही हो। भूखी गाय की यह दुर्दशा देख उसका दिल अंदर ही अंदर रो पड़ा। उसे याद आया बचपन में माँ गौकथा सुनने ले जाया करती थी। ना जाने कितने ऋषि -मुनि ज्ञानी-ध्यानियों ने गौ माता की महिमा गायी है। जब मैं छोटा था तो पिताजी काशी घुमाने ले गये थे जहाँ हमने और माताजी ने माँ गंगा सफाई अभियान में माँ गंगा की सांझ की आरती के मनोरम दृश्य दिखाए थे। वहाँ पर भी गौ कथा हो रही थी। गौ जो इतनी पूज्यनीय है समुन्द्रमंथन से जो निकली दिव्यशक्ति है उनकी यह हालत।

तभी उसने देखा कि उस पीड़ित गाय को नज़रअंदाज़ करते हुए कई बड़े लोग सरपट निकल गये। तभी वहाँ से एक बच्चा निकला और बोला, मैने एक चोटी वाले पंडित जी से कहा कि इस गाय का इलाज करवा दो तो वह बोले, मुझे गौकथा करने जाना है। वैसे भी बहुत देर हो चुकी कह कर कार में बैठकर चले गये। दिवस ने कहा, बेटा ऐसे नहीं कहते वो पंडित जी के वेश में कोई पाखण्ड़ी रहा होगा। दिवस का मन व्याकुल हो उठा वह बोला," रूद्र इंतज़ाम करो अभी गौ माता को ले जाना है वरना गौ माता की आँख खराब हो जायेगी। रूद्र ने कहा, रूको भैया मैं पता करता हूँ। रूद्र ने कुछ लोगों को फोन किया तो पशुचिकित्सालय का पता मिल गया। रूद्र ने कहा, भैया सरोज मांई का फोन आ रहा है बोल रही हैं कि मैं खाना नहीं खाऊँगी जब तक तुम लोग घर नही आओगे। दिवस परेशान था कि यह किन्नर बस्ती मेरे लिए नयी जगह है और किसी से पहिचान भी नहीं क्या करें? पर उसी दुनियां में लौटना ही पड़ेगा जिधर मैं जाना नहीं चाहता। रूद्र ने कहा," दिवस भैया अभी यह सब सोचने का सही समय नही है चलो माँई को कॉल करें कि गौ माता की कुछ मदद हो सके। दिवस ने कहा तुम ठीक कहते हो और उसने सरोज माँई को फोन पर कहा कि माँई! दो चार लोगों को बस्ती की लास्ट मरकरी जहाँ लगी है वहाँ भेज दो। वह बोली,क्या हुआ, अच्छा भेजती हूँ। कुछ देर में सब के सब वहाँ पहुंच गये और पीछे मलिन बस्ती से भी लोग आ गये। वहाँ घूम रहे एक पुलिस वाले ने भी पूरी मदद कर दी। गौमाता को चिकित्सालय ले जाया गया और उनका इलाज शुरू हुआ तो डाक्टर ने कहा, हमारे यहां की पशुचिकित्सा प्रणाली बिल्कुल लचर है। ऑप्रेरशन से सही होगा। सर्जन कर सकेगा बात आँख की है। हम लोग तो खुरपका मुंहपका का साधारण इलाज करते हैं बस। दिवस ने गुस्से में कहा," इंसानों ने अपने इलाज के लिये इतने बड़े-बड़े अस्पताल खोल लिये हर तरह की सुविधा कर ली, अपने लिये लाखों सर्जन तैयार कर लिये और इनकी चिन्ता नहीं जिनका दूध पी कर हम बड़े हुये। धिक्कार है! ऐसी स्वार्थी व्यवस्था पर। दिवस ने डाक्टर से कहा,"मेरी आँख ले लो मेरा मांस काट कर लगा लो पर इन्हें बचाओ डाक्टर कुछ करो आप। डाक्टर ने कहा, दिल्ली मुम्बई के कुछ डाक्टर हैं जो सर्जरी कर सकते हैं शायद।

इतनी भीड़ और हल्ला देख मीडिया आ गयी तो दिवस ने कहा," कि देश के नेता अगर अपने घुटने, कोहनी, किडनी के इलाज व सर्जरी के लिये विदेश जा सकते हैं तो यह गौमाता भी विदेश जायेगीं। आप इनकी आँख ठीक करवाओ वरना हम लोग चुप नहीं रहेंगें। कितने ही मवेशी अच्छे इलाज की कमी से दम तोड़ देते हैं। हम लोग स्वार्थवश किस हद तक गिर चुके हैं। सरकार ने कितना रोका कि पॉलीथीन सड़कों पर मत फेंकों प्रयोग मत करो पर सुनते ही नहीं भूख के कारण आवारा पशु इन्हें भारी मात्रा में खाकर तड़प-तड़प के मरते हैं। तीस-तीस किलो पॉलीथीन तक निकली है एक गाय के पेट से। पत्रकार ने कहा, आपकी बात पूरा देश सुन रहा है। पत्रकारों के जाने के बाद दिवस ने देखा गाय कराह रही थी। कुछ देर बाद पत्रकार का फ़ोन आया कि दिल्ली के डाक्टरों की पूरी टीम आ रही है फ्लाइट से चिंता न करो और पूरा देश आपको सलाम कर रहा है। लम्बे इंतजार के बाद डाक्टरों की टीम आयी और इलाज शुरू हुआ। दो घण्टे बाद खुशखबरी मिली की इनकी आँख बच गयी है अब सब नॉर्मल है। कुछ दिनों इसे यहीं रखेगें डाक्टरों की निगरानी में जब तक यह पूरी तरह ठीक न हो जाये।

सभी किन्नर खुश थे। दिवस ने सभी डाक्टरों और मीडिया को धन्यवाद दिया और कहा," हमारी गौशाला की शुरूवात इन्हीं गौमाता से होगी। दिवस ने उस गौमाता के पाँव छूकर आशीर्वाद लिया। हमारी गौशाला में जितनी भी बेसहारा गायें हैं वो सब भी रहेंगी क्योंकि पता नहीं वो दिन कब आयेगा कि आधुनिक गौचिकित्सालय बनेगें। इसलिये हम सब मिलकर उनकी सुरक्षा करेंगे।

अख़बारों में छपा कि गौमाता की रक्षा में किन्नर समाज का योग्यदान सराहनीय रहा,दिवस ने कहा," रजौरा गांव में गौमाता को रखना घातक हो सकता है क्योंकि वहाँ कोबरा जैसे भयंकर सांपों का डेरा है ,गौशाला यहीं पशुचिकित्सालय के आस-पास ही बनायेगें जहां इलाज में देरी न हो।

तभी कुछ पत्रकार आकर बोले, यहाँ के सांसद का धन्यवाद नहीं करोगे जिनके कारण यह सब हुआ दिल्ली से अरजेंट टीम आयी।

दिवस को याद आया अच्छा यह तो वही सांसद है। दिवस ने हाथ जोड़कर उनका व डाक्टरों की पूरी टीम का धन्यवाद किया।

पत्रकार ने पूछा और कुछ कहना चाहते हो?तो दिवस ने कहा," गौऐम्बुलेंस की व्यवस्था भी हो जाए तो हम लोग अपने बीमार घायल बेहोश मवेशियों को सुविधा से पशुचिकित्सालय पहुंचा सकें कारण जान सब की क़ीमती है चाहे इंसान हो या जानवर।मैं आदरणीय सांसद जी से विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूँ कि यहाँ इतना बड़ा सर्वजीवहिताय चिकित्सालय हो जिसमें प्रत्येक मवेशी जीव जन्तु पशु पक्षियों का इलाज आधुनिक तरीकों से हो जिससे देश का पशु-पक्षी, जीव-जन्तुधन विलुप्त न हो सके | इतना कहकर दिवस पत्रकारों को नमस्कार करता हुआ वहाँ से निकल गया।

सरोज और रूद्र ,दिवस को बस्ती ले गये जहां ज़बरदस्ती दिवस को थोड़ा खाना खिलाया और फिर सब सो गए।सुबह हुई तो सभी ने स्नान करके शिवरात्रि के महापर्व पर भगवान शिव की पूजा की।

सरोज ने कहा, बेटा कल की घटना और तेरे मन की करूँणा देख हम सभी का मन बदल गया है एकदम और हम सभी ने फैसला किया है कि अब से हम सब मिलकर गौशाला चलायेगें। दिवस ने कहा, "सचमुच"।

सरोज ने कहा," असली किन्नर हूँ बनावटी नहीं जो कह दिया सो कह दिया"।

सरोज ने कहा," हम सभी के पास जितना भी धन है सब मिलजुल कर चलो शुरुआत करते हैं। दिवस के पास भी जो अवार्ड का कुछ बचा थोड़ा पैसा था सब मिलाकर उसने सरोज को बता दिया और फिर गौशाला के लिये जगह तलाशने लगे। एक दिन श्रजित जी इन लोगों को रास्ते में मिले और बोले," मेरा वह प्लॉट खाली पड़ा है आप लोग इसे स्वीकार करें,यह मैं गौ माता के लिये दान करता हूँ। पिता को सामने देख दिवस ने दोनों हाथों से उनके पांव छूकर उनका आशीर्वाद लिया। पीछे से गाँव के कुछ धार्मिक लोग भी आ गये और बोले, जो भी बन पड़ेगा पूरा सहयोग करेंगे,तभी वहाँ पर कुछ व्यापारी भी आ गये और फिर आस -पास के गाँव के सभी युवा लोगों के सहयोग से वहां बहुत भव्य गौशाला का निर्माण शुरू हुआ।

वह सब बस्ती में खुशी-खुशी लौट रहे थे कि बस्ती वाले मकान के बाहर वही दो धाकड़ किन्नर खड़े थे जिन्होंने ढेरसारा सोना पहन रखा था और जिनके साथ उन्हीं जैसे धाकड़ किन्नरों का एक गुट था । वह आँखे लाल करके गालियाँ देकर बोलीं," बड़ा शौक चढ़ा है नये काम का अभी के अभी निकलो इस बस्ती से ।आज से तुम लोग अलग और हम सब अलग ।अब भाग जाओ वरना खून बहेगा।

रूद्र उन धाकड़ किन्नर से बोला," यह ठीक नहीं कर रही तुम अम्मा"। सरोज कुछ सोचकर बोली, सब चुप रहो कहकर ज़ोरदार आवाज़ में बोली जिसको शादी ब्याह में नेग लेना हो या वही ज़िंदगी चाहिये तो उनकी तरफ जाओ और जिन्हें मेहनत की खानी हो वह मेरे साथ आओ। पीछे खड़े कुछ किन्नर उनकी तरफ चले गये। सरोज रूद्र और आठ लोगों को लेकर वह सब गौशाला पहुंचे और वहीं जाकर पुरानी दुकान जो श्रजित जी ने दान दी थी जिसमें टैन्ट का सामान भरा था उसी दुकान को खोलकर सभी उसी दुकान में फ़र्श बिछाकर सो गय सुबह -सुबह जैनीफर गौशाला पहुंची और सरोज से जाकर कहा," मुझे दिवस से शादी करनी है , वरना मैं मर जाऊँगीं"।

सरोज ने दिवस से जैनिफर की बात की तो दिवस ने कहा, नहीं..नही कर सकता शादी। मेरी मजबूरी है ।और मज़बूरी यह थी के एक तो वो थर्ड जेंडर था दूसरी यह के उसे पता चल चुका था कि उसका ब्लड कितना ज़हर पचा सकता है या कितना ज़हरीला है। गलती से इसके एक नाखून भी लग गया तो इसकी जान चली जायेगी। ये सोचते हुये उसने जैनीफर को मना कर दिया दिवस के इनकार पर जैनिफर रो पड़ी ।

दिवस अभी किसी सोच में गुम था तभी किन्नर रोशनी और उसके साथ के सभी किन्नर आकर दिवस के गले लग गये और कहा हम सब भी गौशाला देखने आये हैं। दिवस ने पूछा, तुम्हारा पार्लर कैसा चल रहा रोशनी ? वह बोली," सब तुम्हारी कृपा है मेरे गौलोचन जी महाराज"।

दिवस ने पूछा," क्या मतलब" ?

वह बोली जो गौमाता कि नयन की रक्षा करे वह गौलोचन और तुम महाराज इसलिये कि बहुत राज़ छिपाये रहते हो दिल के अंदर।सारे राज खोल दो और जैनिफर जैसी सुंदर लड़की को अपना लो।कुछ नही तो दोस्त बन कर रहना,क्या करना है। दिवस ने कहा, जैनी दोस्त तो हम हैं ही हमारी,हाँ हम उस से शादी नही कर सकते के हमारी कुछ निजी मजबूरियां हैं और सब से बड़ी बात तो यह के मैं अपने स्वार्थ के लिये किसी के जज़्बात से तो नही खेल सकतजैनी कुछ देर गुस्सा रही फिर सब साथ में घुलमिल गये।

दिवस और जैनी बहुत अच्छे दोस्त बन गये थे और हर पल साथ रहते थे ,रूद्र ने उस दुकान में भरे टेण्ट के सामान से छोटा सा टैण्टहाउस खोल लिया था।

कुछ महीने बीते दिवस की बीएससी तृतीय वर्ष की परीक्षा सामने थी सो वह पढ़ाई में व्यस्त था ,उसे अपने फ़ौजी भाई की तमन्ना पूरी करनी थी कि वह प्रथम श्रेणी में पास हो। रात में पुलिस वाला सीटी बजाता हुआ गस्त पर निकलता तो दिवस को उसी दुकान में पढ़ते देख वह दिवस की तरफ स्नेह से मुस्कुराता हुआ निकल जाता दिवस कहता उस दिन गौ माता को अस्पताल पहुचाने में आपने जो सहयोग किया उसके लिये आपका धन्यवाद।वह मुस्कुराते हुये निकल गया।

इधर अख़बार में आया कि सरकार ने नोटबंदी कर दी है कुछ दिन की परेशानी है । सभी बोले, भ्रष्टाचार मिट सकता है तो हम सब सहयोग करेंगे सरकार का साथ देगें। अख़बार पलटा तो ख़बर थी,देश की सीमा पर आतंकी हमले नहीं रूके और तेरह जवान शहीद । यह सब पढ़कर दिवस ने अख़बार सीने से लगाकर कहा," उन सभी की आत्मा को शांति देना शिवजी और फिर पढ़ायी में लग गयगौशाला का निर्माण सभी के सहयोग से काफी हद तक पूरा हो चुका था । गौशाला में अभी ग्यारह गायें थीं। सबकुछ अच्छा चल रहा था।

एक दिन दिल्ली से डाक्टर प्रसाद का फोन आया कि दिल्ली आ जाओ तुम्हारे ब्लड से हज़ारो ज़िंदगियाँ बच सकती हैं।वह बोला," मैं जल्द आ रहा हूँ"।

तभी रूद्र दौड़ते हुये आया और बोला, दिवस भैया ! रजौरा गाँव में पाँच बच्चे सर्पदंश से अस्पताल में भर्ती हैं । दिवस ने कहा, चलो चलकर देख आते हैं। वह दो कदम ही आगें बढ़े कि एक अत्यंत गरीब बुज़ुर्ग बोला, रजौरा गांव में तुम लोग ने कुछ नही किया वादा तो बहुत बड़ा-बड़ा किये थे । दिवस ने कहा, जल्द ही एक फाउण्डेशन खोलूंगा सबकी मदद होगी। वह गरीब मज़दूर रोते हुये बोला, मुझे मेरी गाय वापस दे दो। दिवस ने कहा, कल आये थे तो कह रहे थे कि मेरी गाय भूखी है रख लो,आज कहते हो वापस दे दो,क्यों..क्या हुआवह गरीब बोला, एक ही बेटी है कल शाम में बारात आनी है किसी ने मेरे घर चोरी कर ली कुछ नहीं छोड़ा घर में एक गेहूँ का दाना तक नहीं। मेरी बिटिया को चोरों ने बहुत मारा है वह मर न जाये | कल मुझ गरीब की इज्ज़त लुट जायेगी लला बेटा मेरी इज्ज़त बचा लो। यह गाय मुझे बेचकर जो पैसा मिलेगा उससे मेरी इज्ज़त बच जायेगी। दिवस बोला ,इज्ज़त बच जायेगी पर गौ माता की जान चली जायेगी। यह सब सुनकर "रूद्र बोला,"किसे बेचोगेवह बोला जो अच्छे पैसे देगा ।

रूद्र बोला," सीधे बोलो कसाई को।

वह गरीब बोला," यह गाय नहीं मेरी आत्मा है। बेटी का बाप अपनी आत्मा बेचेगा क्या करें वो फूट-फूट रो पड़ा ।

दिवस ने कहा,"तुम्हारे गांव का विधायक होगा। कहाँ रहता हैं घर बताओ।

वह गरीब बोला,विधायक के ही खेतों में मज़दूरी करते हैं बिटवा, पर तीन चार महीने से एक भी रूपया नहीं दिया ।वह बहुत ही घटिया इंसान है।

दिवस और रूद्र किसी तरह विधायक से मिलने पहुंचे तो गार्ड ने उनसे मिलाने से साफ मना कर दिया कहा साहब बिज़ी हैं। दिवस ने रूद्र से कहा कल शाम शादी है.हमें आज रात तक ही पैसों का इंतजाम करना होगा। यही सब बात कर ही रहे थे कि रोशनी का फोन आ गया उसने बताया है उसने कार ले ली है । ऱास्ते में शॉपिंग करते हुये तुम सब से मिलने आ रही हूँ। दिवस बोला, आ जाओ जितना भी कैश हो लेती आना। रोशनी ने कहा, मैं जल्द पहुँचती हूँ । रोशनी ने सोचा, सभी के लिये यहीं से लहंगा , साड़ी, मेकअप किट लेती चलूं इतना तो सबका हक बनता ही है। फिर सोची पता नहीं दिवस ने कैश क्यूँ मंगवाया है तो चलो जो है पूरा कैश ही लेकर चलती हूँ ।

इधर दिवस वापस आकर सभी को उस गरीब की पूरी बात बतायी और पूछा हम सब लोगों के पास कुल मिलाकर कितना कैश होगा? सरोज ने कहा देशभर में नोटबंदी हुई है । कैश तो ज़्यादा नहीं है घर में और बैंक से दो हज़ार ही निकल रहा वो भी लम्बी लाईन लगाने के बाद। कैश तो नहीं होगा ज़्यादा। यह कहते -कहते सरोज खांसते हुऐ बेहोश हो जाती है। सभी आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाते हैं। वहाँ पता चलता है कि अगर आज रात ही उनकी पथरी का ऑप्रेशन न हुआ तो बचने के चांस बहुत कम हैं। सरोज को बेहोश देख दिवस को ऐसा लगा मानो उसकी माँ लेटी हैं। डाक्टर ने सभी को वहाँ से जाने को कहा कि यहाँ से भीड़ हटाओ पेसेंट को आराम करने दो और पच्चीस हज़ार रूपये का इंतज़ाम करो। फिलहाल रूम का पाँच हज़ार काउण्टर पर जमा कर दिवस ने सोचा," पैसा कितना ज़रूरी है, काश! मेरे पास पैसा होता। रूद्र ने कहा," सरोज माई की यह गले की चैन बेच दूँ क्या ? दिवस ने कहा, नहीं यह चैन नहीं बिकेगी

वह अस्पताल से वापस आकर घर के बरामदे में बैठा चिंता में डूबा था कि वहां अचानक तपेश्वर और मुक्ता दोनों किन्नर पहुंच गए और कहा कि दिवस आज हम लोग पार्टी में नाच-गाकर नेग लेना बन्द न किये होते तो आज अपने हाथ खाली न होते |अब पच्चीस हज़ार कहाँ से लायें ऊपर से बैंक भी बड़ी रकम निकालने दे नहीं रहे ,तभी दिवस के मन में एक विचार आया और सभी को वह आईडिया बताया। सभी लोग उसके आईडिया को मान जाते हैं पर सुनकर बहुत हैरान होते हैं।रूद्र और दिवस और सभी आठों किन्नर मिलकर सब समान जुटातें हैं। सब सामान एक लोडर में चढ़ाते हैं और उनमें से एक किन्नर सफेद कपड़े पर नील से कुछ लिखकर बैनर बना लेता है।

कुछ समय के इंतजार के बाद रोशनी पूरी तैयारी के साथ सभी साथी किन्नरों के साथ पहुँचती है और कहती है, देखो! दिवस, लो मैं आ गयी ।

दिवस रोशनी को सरोज मांई के बारे में बताता है और फिर सभी अस्पताल पहुँच गए।सरोज माँई से मिलने के बाद उसने काउंटर पर आकर फीस जमा कर दी। और वापस बस्ती लौट आए।

दिवस ने कहा रोशनी आज तुम्हारी परीक्षा है तीन सुन्दरियाँ तैयार कर दो कि लोग देखते रह जायें एक लोडर पर रहेगा एक दो भीड़ में शामिल रहेगें और एक दो टिकट काउंटर पर। पूरी बात समझकर रोशनी ने सब का सुंदर ढ़ंग से मेकअप किया । कुछ देर बाद दिवस आता और कहता है नाचने वाली दो ही रखो। उसमें से तारा को सरोज मांई के पास पहुंचा दो मांई को अकेलापन नहीं लगेगा तो तारा ने कहा मुझे अकेले नहीं सितारा को भी भेज दो वरना मैं वहां अकेले नहीं रह पाऊंगी कारण डाक्टर बहुत चिल्लाते हैं। रोशनी ने कहा बस एक ही कब तक नाचेगी ? दिवस मन ही मन सोचता है कि गाय को कसाई काट देगा तो उस गरीब की बेटी की शादी न रूक जाये कहीं। मजदूर आत्महत्या न कर लें। यह सोचकर कहता है कि मेरी प्रतिज्ञा थी कि जिस दिन साड़ी लहंगा पहनू तो मर जाऊँ पर प्रतिज्ञा से बड़ा कर्तव्य है। रोशनी कहती है कहाँ खो गये। दिवस ने कहा तुम मुझे नाचना सिखाओ मैं नाचूंगा। रोशनी आश्चर्य से कहती है दिवस तुम तो पुण्यआत्मा इंसान हो कसम से, चलो मैं तुम्हें सिखाती हूँ।

क्रमश:.....


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