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ऑपरेशन

ऑपरेशन

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खुनखुन का तीन साल पहले नर्सिंग होम में डाक्टर बिल्लू ने अपेन्डिक्स आइटीस का ऑपरेशन किया था।


मंटू आदतन सब के मददगार थे, सब के लिए उपलब्ध। मंटू की नीव पक्की है। कई क्लासें दो दो साल में पास की थी।


मंटू और खुनखुन की पत्नी डॉली, खुनखुन के साथ नर्सिंग होम गए थे। प्राइवेट रूम पहले से ही बुक किया हुआ था। रूम में सामान रख, खुनखुन मैडीक्लेम की औपचारिक्ताएं पूरी करने अगवानी काउंटर (रिसेप्शन) पर चले गए।


लगभग एक घंटे तक जब खुनखुन वापस रूम में नहीं आये, तो डॉली रिसेप्शन पर गयी और उनकी रिसेप्शनिस्ट से चल रही वार्ता का मर्म समझ, उनसे रूम में आने के लिए कहा।


खुनखुन डिस्टर्ब हो गए, उनकी कनटीनयूटी टूट गई। इसी प्रकार के डिस्टर्बिंग एलिमैनटो की वजह से ही हमारा देश तरक्की नहीं कर पा रहा है।


खैर खुनखुन ने अपने आप को संयत किया और पत्नी से आग्रह किया की इस बार वे ही भर्ती हो जायें और अपने गालब्लैडर का ऑपरेशन करा लें, जिससे की भविष्य में भी पथरी होने की संभावना ही खत्म हो जाये। जय हो खुनखुन जी की।


डॉली ने घूरा, तो झट औकात में आकर रूम में बिस्तर पर लेट गए।


मंटू अपने ब्लड टैस्ट के समय स्प्रिट का प्रयोग होने पर तीन बार बेहोश हो चुके हैं। मंटू को स्प्रिट से एलर्जी है। स्प्रिट मंटू के लिए क्लोरोफ़ॉर्म का काम करती है। ऑपरेशन के बाद खुनखुन के ब्लड टैस्ट की रिपोर्ट नर्सिंग होम की छठी मंजिल से लानी थी।


लिफ्ट में मंटू थे और एक रिसेप्शनिस्ट, कन्नौज के सारे इत्रों के एकीकृत उसके डीयो नें स्प्रिट का काम किया। मंटू बेहोश होने लगे।


मंटू ने रिसेप्शनिस्ट से निवेदन किया की थोड़ी देर के लिए उन्हें थाम ले। जहाँ तक मंटू को याद है की रिसेप्शनिस्ट ने मंटू को तब तक थामे रखा जब तक मंटू लिफ्ट में ही उसके कंधे पर बेहोश नहीं हो गए। खुनखुन की छुट्टी के समय बिल आया। कैशलैस मैडीक्लेम होने की वजह से नर्सिंग होम द्वारा उपलब्ध कराये गए मात्र भोजन का ३०० रूपये प्रतिदिन के हिसाब से ३ दिन का कुल ९०० रूपये पेमेन्ट देना था। लेकिन बिल १,४००/- का था। एक और मद में ५००/- रूपये लगे थे, मद का नाम था ‘थामना’।


पूछने पर बिलिंग डिपार्टमैन्ट ने बताया की लिफ्ट में रिसेप्शनिस्ट ने तीमारदार को थामा था, उसका है ५००/- रूपये, जो कि नर्सिंग होम को रिसेप्शनिस्ट को देना पडेगा।


यह रिसेप्शनिस्ट के लगाए हुए डियो से हुआ था, अतः मंटू समझ रहे थे कि उसी रिसेप्शनिस्ट की जिम्मेदारी व जवाबदेही है। 


खैर मंटू के निवेदन पर रिसेप्शनिस्ट ने वह चार्ज माफ़ करा दिया।


लेकिन रिसेप्शनिस्ट ने मंटू से पूछा की फिर कब आओगे और यह भी बताया की अब उसने अच्छी ब्रान्ड का डीयो लगाना शुरू कर दिया है।


वह गलत समझी थी, अच्छी ब्रान्ड के डीयो से थोड़े ही मंटू बेहोश होनेवाले थे।      



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