आरक्षण मिला है...
आरक्षण मिला है...
प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हुए, समय ही नहीं मिलता था कि मैं बहार निकलूं । पर जब गुलाबी ठण्ड ने दस्तक दी तो सोचा, आज गुनगुनी धुप में थोड़ा बहार टहल लूँ ।
जब मैं बहार टहल रही थी,तभी मैंने देखा,कुछ बच्चे जो 15-16 साल के होंगे, किसी सरकारी स्कूल के कपड़े पहने सड़क पर शोर मचा रहे थे, अपने हाथों में पेड़ की टहनी पकड़े और जोर - जोर से कबाड़ी वाले की नक़ल कर रहे थे ।
मैंने सोचा कि,"ये बच्चे इस समय जब इन्हें स्कूल में रहना चाहिए तब ये यहाँ पर क्यों घूम रहे है"। पहले मैंने सोचा कि छोड़ो मुझे क्या है..। फिर एका एक मन में ख्याल आया कि पूछना चाहिए ।
मैंने पूछा,"तुमलोग यहाँ क्यों शोर मचा रहे हो, ये वक्त तो तुम्हारे स्कूल में रहने का है । वहां पढ़ाई करने का है"। तब जो उत्तर मुझे मिला, वो सुनकर तो मेरे पांव तले ज़मीन ही खिसक गयी। उन्होंने ने कहा,"हम स्कूल जाते है, सिर्फ हाजिरी बनाने और खाना खाने।कभी कभी पुरे दिन भी रह जाते हैं । हम छोटी जात से है इसलिए हमे आरक्षण मिला है। हम अगर आगे की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करेंगे तब भी कम नम्बरों से पास हो जायेंगे। जब सरकार हमें इतनी सुविधा दे रही है, तो फिर हम सिर्फ पास होने के लायक ही पढ़ते है, क्योंकि नौकरी तो हमें मिल ही जाएगी।
मैंने इन बातों को सुना और चुप चाप अपने कमरे में चली गयी जहाँ मेरे किताब मेरा चेहरा निहार रहे थे और मेरे आगे उन बच्चों के चेहरे घूम रहे थे कि तभी मेरे whatsapp पर एक विडियो आया - आरक्षण एक कुप्रथा।