बरेकफास्ट
बरेकफास्ट
बड़ी बातूनी मेरी बाई विमला... इतनी बढ़िया बातें करती है कि कुछ पूछो नहीं..!
एक दिन की बात है...सुबह जब वह काम पर आयी...तो मैंने उससे पूछा...ऐ विमला...रात की कुछ रोटीयाँ बची रखी है...अचार के साथ दे दूँ.... खायेगी....?
काहे नई....ज़रूर खाहूँ... वो पाँच नंबर वाली बाई है ना...अरे वोई... मिसेज भटनागर...
रोजई रात की रोटी अचार के साथ खात हे ...फिर शान के साथ कहती है, ऐ विमला, मेरा बरेकफास्ट हो गया...!
रोजेच दुपहरिया में बनात हे.... भात दाल सब्जी ही....और वहीच खाकर बड़े शान से कहती है... मेरा लंच हो गया और तो और...रात को दुपहर की सब्जी के साथ खाली रोटी बना कर कहती है....डिनर तैयार हे....!
मोला तो समझ ही नहीं आथे वो... वहीच हम्मो खात हे, पर हम खाना खात हे....वो लंच...डिनर...बरेकफास्ट खात हे.....!!
बड़े लोगन की बड़ी-बड़ी बात
अंग्रेजी में थोड़ी गिटपिट करके ऐसन रोब झाड़ थे....ओ कि कुछ पूछोच नई, ओखर से तो मोर दाई ज्यादा जानथे....
पर वोकर शान पट्टीच अलग हे.... ज्ञान वान कछु नई
खाली घड़ा ज्यादा लुड़कथे ओ....!! अंदर कछु नई...बाजे...घनन...घन
दे दे ओ अचार रोटी... हम्मो बरेक फास्ट कर लेओ...आज....वोकर बासी रोटी बरेकफास्ट...हम्मर कलेवा... ओकर बरेकफास्ट के सवाद मा और हमरो कलेवा के सवाद मा कौन्नौ फर्क नई....!!
मैं अवाक....!!
मुंह ही देखती रह गई विमला का.... घन -घन दिमाग में एकई शोर....
"खाली घड़ा ज्यादा लुड़कथे"
हे राम !!!!