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जिंदगी

जिंदगी

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रामबाबू सोच रहे थे कि क्या किया जिंदगी मे मैंने, 60 बरस का होने का आया। मगर यहाँ से पिछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है जैसे, ज्यादा कुछ अंतर नही आया है। हाँ बालो में कुछ सफेदी जरूर आ गयी है। मगर स्टेट्स वही जो 25 कि उम्र में था। गलती कहाँ हुई यह समझ में नही आ रहा, शायद गलती मेरी ही थी, मुझे उस समय जवानी के जोश में समझ में नही आ रहा था किस दिशा में जा रहा हूँ। जो कर रहा हूं वह सही हैं या नहीं। ऐसा नहीं था की कोई समझाने वाला नहीं था मगर यहाँ किसी की सुनी नहीं जा रही थी।


अपनी ही मस्ती में मस्त था। कमाया भी बहुत पर जोड़ा नहीं। जितना कमाया उतना ही उड़ाया। दोस्तों, रिश्तेदारो में बहुत फेमस था। हर कोई अपने काम से आ जाता था। हर समय पार्टियां चलती रहती थी। लोग मेरी ही जय जयकार करते थे। पत्नी ने टोका भी कुछ जमा कर लो बुढ़ापे में काम आएगा, इस तरह मौज मस्ती और लोगो को देने में ही पैसे उड़ा देते हो।


मेरा तो यही कहना था, डियर आज जी लो कल किसने देखा है। वह भी मन मसोस के रह जाती, फिर हमारी कोई औलाद नहीं हुई तो और कुछ जमा करने का कुछ औचित्य ही नहीं रह गया। मगर पत्नीजी की कभी कभी किट किट लगी रहती थी।


और समय निकलता जा रहा था। और सब लोग पिछे छूट रहे थे। अब कमाने की शक्ति भी कम हो रही थी। हा शारीरिक शक्ति भी। उम्र जो हो रही थी।  आज पत्नीजी बीमार हो गयी और रुपये की जरूरत पड़ी तो, कोई साथ नहीं था। और समझ मे आया मेरी जवानी की उड़ान बौनी साबित हुई।


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