ये कैसा प्यार भाग-८
ये कैसा प्यार भाग-८
( सातवें भाग से आगे...)
"...वो..वो...एक्चुवली मुझे लगा कि वो आई थी...!"
"...वो...वो...कौन...? कब आई ? न...मुझे नहीं लगता यहाँ कोई आई थी...मेरी समझ में नहीं आ रहा...साफ-साफ बोल...।"
राज- ( कुछ छिपाते हुऐ )...क...कुछ नहीं यार...।"
विजय- "यार तेरा दिमाग फिर गया है...क्या टेंशन है तेरे खोपड़े में ?...बता...!"
राज- "न...नहीं, कुछ नहीं...।"
विजय- "ओके...ओके...कल कॉलेज तो चलेगा...कल तो सोनू जरूर आएगा...और संजू भी !"
राज- "हाँ, कल से शायद सारी क्लास चलेंगी ?"
विजय- "हाँ, तुम पढ़ोगे ? ...होश में तो जनाब रहते नहीं...चले क्लास पढ़ने ?"
राज- "अरे यार सॉरी, प्लीज अब तो बस कर ।"
विजय- "अबे मेरी जगह तुझे कोई और देखता तो पागल ही समझता ( कुछ देर सोचकर ) अच्छा चल मार्केट चलते हैं।"
( राज भी हँसता है और फिर दोनों मार्केट चले जाते हैं )
( अगले दिन कॉलेज का दृश्य है..और सोनू कॉलेज जा रहा है...सब दोस्तों में नमस्कार होती है )
"हाय राज...हाय विजय...संजू नहीं आया अभी।"
"हाय सोनू...आने वाला होगा यार।"
"तू बता कल क्यों नहीं आया था, संजू भी नहीं आया, कल तुम लोगों के बिना मन नहीं लग रहा था, वो तो कल अंजलि।"
( सोनू बीच में ही टोक देता है )
"क्या, अंजलि ! वो आई थी ?"
"हाँ बेटे, आई थी, हमारे साथ कैंटीन में चाय समोसे खाये, अब तो वो हमारी भी फ्रैंड बन गयी है, यार हमें लगता है वो तुझसे नाराज है।"
विजय- ( हाँ में हाँ मिलाते हुऐ ) "राज को तो सीधे हड़का दिया था यार।"
सोनू- "मतलब, आज अगर अंजलि आई तो मतलब कुछ गड़बड़ होने वाला है, गया बेटा आज, जाने क्या करेगी।"
राज- "तू इतना क्यों घबरा रहा है सोनू ? वो क्या करेगी थोड़ा गुस्सा दिखाएगी और क्या !"
सोनू- अबे तू अंजलि को जानता भी है ? उसका गुस्सा इतना भयंकर है कि मनाना मुश्किल है।"
( इतने में विजय बड़बड़ाने लगा ) "ओ तेरी की, अबे सोनू वो आ गई देख !"
( सोनू उस तरफ देखता है अंजलि एक नजर उनकी तरफ देखती है और अंदर की और चली जाती है )
राज- "यार सोनू जा भई कल कह रही थी स्पोर्टस हॉल में भेजना बाप रे भयंकर मूड में है।"
( क्रमश: )