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दफ्तर में खू,न भाग- 6

दफ्तर में खू,न भाग- 6

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गतांक से आगे-

उसी शाम समीर जुंदाल एक गुलदस्ता लेकर अस्पताल पहुंचा। अस्पताल के आई सी यू के बाहर स्टूल पर एक अस्पताल का कर्मचारी बैठा हुआ था। उसी के बगल में एक पुलिस सिपाही बैठा था। चूँकि मामला हत्या की कोशिश का था, इसलिए पुलिस की मौजूदगी वहां अपेक्षित भी थी। रामनाथ पांडे होश में आकर उसका नाम न बता दे, इस डर से हमलावर दूसरा वार भी कर सकता था। समीर जुंदाल आई सी यू के दरवाजे पर खड़े होकर रामनाथ को देखने लगा। दरवाजे पर एक फुट बाई एक फुट के वृत्त में कांच लगा हुआ था, जिसमें से भीतर झाँका जा सकता था।

रामनाथ की नाक में ऑक्सीजन की नली लगी हुई थी और वह उसी के सहारे सांस ले रहा था। उसका सीना एक लय में उठ गिर रहा था। उसके पूरे चेहरे पर पट्टियां बाँधी हुई थी क्योंकि टूटी हुई ऐश ट्रे के टुकड़ों से उसके पूरे चेहरे पर जख्म ही जख्म हो गए थे। दरवाजे पर बैठे लोगों ने समीर को भीतर जाने की इजाजत नहीं दी। वह मायूस हो गया। हाथ में लाया गुलदस्ता थामे वह थोड़ी देर डबडबाई आँखों से भीतर देखता रहा फिर धीरे से वहाँ से हट गया।  काश ! किसी तरीके से वह एक बार रामनाथ जी के पाँव छू सकता!

अचानक पुलिस के सिपाही का मोबाइल घनघना उठा और उसे हड़बड़ाहट में कान से लगाता हुआ वह बाहर निकल गया और झपटकर एक ऑटो रिक्शा में बैठ कर कहीं रवाना हो गया। समीर जुंदाल सामने पड़ी विजिटर बेंच पर बैठ गया अब उसके मन में पांडे तक पहुंचने की आशा का उदय हो गया था। थोड़ी ही देर में स्टूल पर बैठा चपरासी उठ कर कहीं चला गया तो थोड़ी देर के लिए दरवाजा खाली हो गया। जुंदाल झपट कर उठा और पलक झपकते पांडे के बेड तक जा पहुंचा वहाँ जाकर उसने गुलदस्ता पांडे के सिरहाने रख दिया और उसके पट्टियों से बंधे सर पर हाथ फिराने लगा। इस बीच उसका ध्यान पूरी तरह पांडे के चेहरे पर लगा हुआ था जो वैसे तो पट्टियों से ढका हुआ था पर ऑक्सीजन की एक बारीक सी नली के सहारे वह सांस ले रहा था। पांडे की जीवन नौका उसी सांस के सहारे  हिचकोले खाती तैर रही थी। अगर एक सेकेण्ड को यह ऑक्सीजन सप्लाई रूक जाए तो पांडे का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसा सोचता हुआ जुंदाल खड़ा रहा और अनजाने में उसका हाथ ऑक्सीजन की नली को सहला रहा था। अचानक एक सीनियर डॉक्टर कुछ विद्यार्थियों को लेकर आई सी यू वार्ड में प्रकट हुए।

विद्यार्थियों का एक झुण्ड उन्हें घेरे हुए था। हर बेड पर जाकर वे विद्यार्थियों को मरीज की रिपोर्ट पढ़कर सुनाते और चल रहे इलाज की समीक्षा करते। यह भीड़-भड़क्का देखकर जुंदाल ने पांडे के पाँव छुए और चुपचाप वहाँ से रवाना हो गया। कुछ विद्यार्थी हर बेड पर जाकर खुद से कुछ देखने समझने की कोशिश कर रहे थे कि अचानक एक लड़की जोरों से चिल्लाई, सर ! 24 नम्बर के पेशेंट को देखिये।

24 नम्बर का मरीज रामनाथ पांडे था। जिसकी सांस बुरी तरह उखड़ी हुई चल रही थी। सीनियर डॉ ने आकर देखा कि उसकी ऑक्सीजन की नली अपने स्त्रोत से उखड़ गयी थी और उसका प्रवाह खंडित हो चुका था। उसने झपट कर पाइप लगाना चाहा पर बहुत देर हो चुकी थी। पांडे का शरीर एक बार जोर से उछला और फिर गिरकर शांत हो गया। उसके प्राण पखेरू उड़ गए। सभी ट्रेनी डॉक्टरों में हड़बड़ी मच गई। 

क्या रामनाथ पांडे का कत्ल समीर ने किया?वह पकड़ा जा सका? 

पढ़िए, भाग- 7 


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