Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

डॉक्टर डूलिटल - 2.2

डॉक्टर डूलिटल - 2.2

3 mins
509


त्यानितोल्काय फ़ौरन भाग कर घर गया और डॉक्टर को एक तेज़ कुल्हाड़ी लाकर दी। डॉक्टर ने पूरी ताक़त से बन्द दरवाज़े पे चोट की। एक ! दो ! दरवाज़े के छोटे-छोटे टुकड़े हो गए, और डॉक्टर गुफ़ा के भीतर घुसा।

गुफ़ा थी अंधेरी, ठण्डी, नम। और उसमें से कितनी तेज़, गन्दी बदबू आ रही थी !

डॉक्टर ने माचिस की तीली जलाई। आह, कितना गन्दा और असुविधाजनक था ! न मेज़, न कोई बेंच, न ही कुर्सी ! फर्श पर सड़ी हुई घास का ढेर पड़ा था, और घास पर बैठा था एक छोटा लड़का, वह रो रहा था।

डॉक्टर को उसके सारे जानवरों के साथ देखते ही लड़का डर गया और ज़ोर से रोने लगा। मगर, जब उसने डॉक्टर के दयालु चेहरे को देखा, तो उसने रोना बन्द कर दिया और कहा:

 “मतलब, आप डाकू नहीं हैं ?”

 “नहीं, नहीं, मैं डाकू नहीं हूँ !” डॉक्टर ने कहा और मुस्कुराया। “मैं डॉक्टर डूलिटल  हूँ, न कि डाकू। क्या मैं डाकू जैसा लगता हूँ ?”

 “नहीं,” लड़के ने कहा। “हालाँकि आपके पास कुल्हाड़ी है, मगर मुझे आपसे डर नहीं लग रहा है।

नमस्ते ! मेरा नाम पेन्ता है। क्या आपको मालूम है कि मेरे पिता कहाँ हैं ?”

 “नहीं मालूम,” डॉक्टर ने जवाब दिया। “तुम्हारे पिता कहाँ जा सकते हैं ? वो कौन हैं ? बताओ !”

 “मेरे पिता मछुआरे हैं,” पेन्ता ने कहा। “कल हम मछलियाँ पकड़ने के लिए समुन्दर में उतरे। मैं और वो, अपनी मछलियाँ पकड़ने वाली नाव में। अचानक हमारी नाव पर समुन्दर के डाकुओं ने हमला कर दिया और हमें बन्दी बना लिया। वे चाहते थे कि मेरे पिता समुद्री-डाकू बन जाएँ, उनके साथ मिलकर डाके डालें, जहाज़ों को लूटें और उन्हें डुबा दें। मगर मेरे पिता ने समुद्री-डाकू बनने से इनकार कर दिया। “मैं एक ईमानदार मछुआरा हूँ,” उन्होंने कहा, “और मैं डाके डालना नहीं चाहता !” तब उन डाकुओं को खूब गुस्सा आ गया, उन्होंने मेरे पिता को पकड़ लिया और न जाने कहाँ ले गए, और मुझे इस गुफ़ा में बन्द कर दिया। तब से मैंने पिताजी को नहीं देखा है। वे कहाँ हैं ? उन्होंने उनके साथ क्या किया ? हो सकता है कि उन्होंने उन्हें समुन्दर में फेंक दिया हो और वो डूब गए हों !”

लड़का फिर से रोने लगा।

 “मत रो !” डॉक्टर ने कहा। “रोने से क्या फ़ायदा ? बेहतर है कि हम ये सोचें कि तेरे पिता को डाकुओं से कैसे बचाया जाए। मुझे बताओ कि वो देखने में कैसे हैं ?”

 “उनके बाल लाल हैं और दाढ़ी भी लाल है, खूब लम्बी।”      

डॉक्टर डूलिटल  ने बत्तख़ कीका को अपने पास बुलाया और उसके कान में हौले से कुछ कहा:

 “चारी-बारी, चावा-चाम !”

 “चुका-चुक !” कीका ने जवाब दिया।

ये बातचीत सुनकर लड़के ने कहा:

 “कितनी मज़ेदार बात करते हैं आप ! मुझे तो एक भी अक्षर समझ में नहीं आया।”

 “मैं अपने जानवरों के साथ जानवरों की भाषा में बात करता हू। मैं जानवरों की भाषा जानता हूँ,” डॉक्टर डूलिटल  ने कहा।

 “आपने अपनी बत्तख़ से कहा क्या था ?”

 “मैंने उससे कहा कि वो डेल्फिनों को बुला लाए।”


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama