छुट्टी
छुट्टी
बेटे के छुट्टी आने के दिन गिनता बापू खाट पर दवाई लेकर लेटा हुआ है और माँ गोबर को दीवारों पर थाप रही है। निम्मी भी मिटटी खाने से बाज नहीं आती और उसकी मम्मी गाय का दूध निकाल रही है। सोनू अभी पाँचवीं में ही है पर सारी शाम गलियों में कंचे बजाता घूमता है। कमबख्त पढ़ाई तो जैसे उसके सिर से गुजरती है। आज बापू कुछ ज्यादा ही ख़ास रहा है। ना जाने ऐसे और कितने ही ख्याल उसके दिमाग में घर कर रहे हैं।
आँखे बंद कर के वो सोच रहा की की एक बार घर बात कर ही लूँ। की तभी हेलीकोप्टर की पंखुड़ियाँ घुमने लगी और विनोद की धड़कन तेज हो गयी। हाथ में थमी बंदूक पर पकड़ मजबूत हो गयी। कमर पर बंधी ग्रनेड की बेल्ट और गोलियों की मैगजीन को सँभालते हुए विनोद ने आँख खोली। आज वो अपने पहले स्पेशल ऑपरेशन के लिए उड़ान भर रहा है, जहाँ से वापसी में या तो तमगे मिलेंगे या फिर तिरंगे की चादर। पर जाने से पहले वो घर बात करना चाहता था।