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Yogesh Suhagwati Goyal

Children Inspirational

5.0  

Yogesh Suhagwati Goyal

Children Inspirational

दानवीर नोनू

दानवीर नोनू

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नोनू का जन्म ७ नवम्बर १९८५ को हुआ | और ये घटना १९८७ के आखिर के आस पास की है | यानि नोनू करीब २ साल की रही होगी | बाहर के बच्चों में उन दिनों नोनू के ज्यादा दोस्त नहीं थे | उन दिनों हमारा परिवार ४ य १४ जवाहर नगर जयपुर में रहता था | पास वाले घर यानि ४ य १५ में जोशी परिवार रहता था | उनके घर में दो लड़के थे | बड़ा वाला मिंटू करीब पांच साल का था और छोटा चिंटू करीब साल भर का था | मिंटू अपने हमउम्र, और वो भी लड़कों के साथ खेलने में ज्यादा दिलचस्पी रखता था | यूं भी नोनू बचपन में कुछ ज्यादा ही मस्तमौला थी इसीलिए ज्यादातर लड़के उसके साथ खेलने से कतराते थे


आस पास के घरों में नोनू की हमउम्र कोई लड़की नहीं थी | ले देकर बस एक ही लड़की थी और वही उसकी पक्की दोस्त भी थी | हमारे घर के बाहर एक धोबन ने ठेला लगा रखा था | वो धोबन अपने परिवार के साथ पास वाली कच्ची बस्ती में रहती थी | उसका पति और वो दोनों ही दिन भर कोलोनी वालों के कपड़ों पर प्रेस करके अपनी रोजी रोटी कमाते थे | आर्थिक रूप से काफी कमजोर थे | मंजू धोबन को समय २ पर कपडे, खाने पीने की चीजें, खिलौने आदि देती रहती थी | उन दोनों को एक लड़की थी | उन दिनों करीब डेढ़ पौने दो साल के आस पास की रही होगी | उसका नाम था पूनम | नोनू और पूनम की अच्छी जमती थी | घर के अन्दर नोनू अपनी बड़ी बहन पूजा के साथ खेलती रहती थी और घर के बाहर पूनम के साथ | दोनों या फिर तीनों घर की कार पार्किंग में खेलती रहती थी | जगह सुरक्षित होने की वजह से हम लोगों को भी कोई चिंता नहीं रहती थी |


१९८७ की दिवाली के कुछ ही दिन बाद, मैंने अपना जहाज कलकत्ता में छोड़ा था और डेढ़ महीने की छुट्टी पर घर आया था | लौटती वक़्त जहाज के बांड स्टोर से क्वालिटी स्ट्रीट चोकलेट का एक डब्बा ले आया था | क्वालिटी स्ट्रीट उन दिनों चोकलेट का बहुत ही मशहूर और महंगा ब्रांड था | घर पर वो डब्बा मंजू ने फ्रिज में रख दिया | बड़ी बिटिया पूजा और छोटी नोनू, दोनों बच्चों को ही चोकलेट का बिलकुल भी स्वाद नहीं था | बड़ी वाली बिटिया को बीकानेरी भुजिया और किशमिश पसंद थी | छोटी वाली को बेसन के लड्डू पसंद थे | उसके अलावा घर में कुछ भी रखा हो, दोनों को उससे कोई मतलब नहीं था | घर के फ्रिज में मिठाइयाँ और चोकलेट इत्यादि काफी दिनों तक ऐसे ही रखे रहते थे |


एक दिन मंजू ने मुझसे पूछा कि आपने चोकलेट का डब्बा किसी को दिया है क्या ?

मैंने कहा, नहीं तो

मैंने फ्रिज में रखा था, लेकिन अब वो वहां नहीं है |

इसी बीच हमारी साली साहिबा को कुछ कपडे प्रेस करवाने थे | कपडे लेकर वो बाहर धोबन को देने चली गयी | कुछ मिनिट बाद जब वो लौटकर आयी तो बोली,

जीजी, आपने चोकलेट का डब्बा पूनम को दिया है क्या ?

नहीं तो, मैं उसे क्यों देने लगी |

तुरंत ही मंजू बाहर गयी और देखा, डब्बा पूनम के हाथ में था और वो चोकलेट खा रही थी |

मंजू समझ गई कि माजरा क्या है

उसने अन्दर आकर नोनू से पूछा, पूनम को चोकलेट का डब्बा किसने दिया ?

मम्मी मैंने दिया

और तुमने उसको क्यों दिया ?

मम्मी उसके पास कुछ नहीं है और हमारे पास पूरा डब्बा रखा है |

बचपन में ऐसी दानवीर थी हमारी नोनू


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