पश्चाताप की ज्वाला पार्ट - 2
पश्चाताप की ज्वाला पार्ट - 2
जीया ठीक हो अस्पताल से घर वापस आ गया, बच्चों की हालत देख वह दुखी हो गयी...छोटी बच्ची निक्की इतने दिनों तक अकेली रही | वह बहुत कोशिश कर रही थी खुद को संभालने की लेकिन जो दुख छोटी बहन के पति ने पंहुचाया उससे वह पूरी तरह टूट चूकी थी | अब उसका मन वहाँ रहने को न था पति रवीश को कहती है कि यहां नही रहना है वह कहते है मै ऑफिस में बात कर दूसरी जगह शिफ्ट करवा लूंगा वह खुद भी यहाँ नही रहना चाहते रीया व दीपक की कारगुजारियां उनके बरदाश्त से बाहर हो रही थी वह चाहते थे बच्चों को उनकी बुरी संगति से दूर ले चलु |
जीया ने यह बात छिपा ली थी कि दीपक ने उसे कितना टॉर्चर किया था अब वह जब भी सामने आता, जीया को वही सब याद आने लगता उस घूर्त की मक्कारी को देख जीया अपमानित महसुस करती और उस घडी को कोसती जब पिता को रीया के घर से भागने के बाद वापस बुलाने पर उन्हे मजबूर किया था अनशन कर उसके ऐसा करने से आज उसका खुद का परिवार परेशानी में अा गया वह क्या करती पश्चाताप और मानसिक सदमें से उबर पाना उसके लिए मुमकिन न था यही वजह थी उसके बार बार बीमार होने की जीया का मन अब इस घर में एक पल के लिए भी नही लग रहा था |
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रवीश ने जीया को बताया कि उन्होने अपना तबादला दूसरी जगह कम्पनी में करवा लिया है, अब यहाँ से चलने की तैयारी करों | जीया खुश हो गयी उसे व उसके बच्चों को दुष्ट दीपक व उसी के रंग में रंगी चालाक बहन की शक्ल कभी नही देखनी पडेगी लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था |
जब पिता को पता चला तो उन्होने कोहराम मचा दिया मिट्टी को तेल पूरे घर में छिडकने लगे उन्हे होशों हवास न रहा जीया व रवीश को वह अपने से दूर जाते नही देख सकते थे...चीखने लगे यदि वह यहाँ से जायेगे तो पूरे घर को आग लगा देगें यह घर रवीश और उनकी बेटी जीया का है, रीया तो उनके लिए उसी दिन मर गयी थी जब वह उनकी इज्जत की धज्जि़याँ उडा इस अवारा दीपक के साथ भागी थी इन दोनो का कोई हक नही है यदि जीया ने जिद न की होती तो वह उसे कभी यहाँ नही आने देते ...पिताजी का यह रूप देख सभी सकते में आ गये | जीया व रवीश ने बहुत समझाने की कोशिश की वह बच्चों की पढाई को देखते हुए दूसरी जगह शिफ्ट कर रहे है उनसे मिलने आते रहेगें कोई फायदा न हुआ पिताजी की जिद के आगे रवीश और जीया को झुकना पडा | पिता की आँखो के आँसुओं ने दोनो के पैरों में बेडी डाल दी |
जीया ने थक हार कर पैकिंग खोल दी वापस अपने कमरे में आ गयी पिता ने भले ही मजबूर कर दिया हो लेकिन रीया व दीपक की आँखों में अपने लिए छिपी नफरत को साफ पढ लिया उसने जैसे तैसे खुद को संभाला...इन सब में रवीश के काम में बहुत नुकसान हो रहा था पहले जीया की बीमारी फिर कम्पनी से ट्रांसफर को वापस करवाना...वह बहुत नुकसान उठा रहे थे उनकी छवि खराब हो चली थी पर बीमार पत्नी व बच्चों का चेहरा देख दुख में डूब गये | इस दुख से उबरने के लिए उनके दोस्तों ने उन्हे शराब पिलाना शुरू कर दिया |