इक वेश्या कई बलात्कार होने से
इक वेश्या कई बलात्कार होने से
क्यों हो रहे हैं इतने बलात्कार ? छोटी-छोटी नन्ही-नन्ही बालिकाओं के साथ बलात्कार हो रहे है ! फिलहाल बलात्कार की लंबी फहरिस्त सामने आ रही है। हर रोज ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही है। और हमें अफसोस जताने के लिए अपने आप को तयार करना पड़ता है। टीवी में न्यूज़पेपर में यही खबरें सुनाई देती है। क्या अब हमारा देश इतना संस्कारहिन बेगैरत होता जा रहा है? यहां संस्कार नाम की कोई बात नहीं रह गई है। हमारी नन्ही मुन्नी बालिकाएं एकेक कर बलात्कार की शिकार होती जा रही है। और हम हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। जिस किसी की बच्ची बलात्कार की शिकार होती है उस मां-बाप को कैसे लगता होगा कितना दर्द उन्हें सहना पड़ता होगा। जिसके बेटी के साथ में यह बलात्कार की घटनाएं हो चुकी है, उन्हे समाज भी अलग नजरों से देखता है।
उनके जीवन में हर चीज बदल जाती है। वह मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहते। उन्हे कई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इधर खाई उधर पहाड़ , ऐसी स्थिति में वह किस से न्याय की भीख मांगेंगे, पुलिस और न्याय व्यवस्था उन्हें न्याय नहीं दिला सकती तब वह क्या कर सकते हैं। यह बहुत ही गंभीर प्रश्न है। इस बात का कोई जवाब नही है।
क्या हमारी जीवन शैली पर किसी और बात की छाप पड़ी है, मैं तो कहूंगी जरूर पड़ी है, आज की फिल्में देखनेके काबिल नहीं होती फिर भी हम बच्चों को दिखाते हैं। यू ट्यूब या अन्य चैनल इंटरनेट की दुनिया में तहलका मचा रहे हैं। गंदी वीडियो फोटोज भरे होते हैं। वह कलाकार पेट भरने के लिए पैसों के लिए अपने कपड़े उतारती होगी, लेकिन वह देखकर आजके बच्चे पागल हो जाते हैं। बेगैरत हरकतें करते हैं। इनका अपने मन मस्तिक पर कोई पकड़ नहीं होती। यहां कपड़े उतारने वाली नायिकाएं क्या सच्ची कलाकार होते हैं। इन्हें देख कर युवाओं की मति भ्रष्ट हो जाती है और सामने में जो युवती बच्ची, बुढी सामने नजर आती है, वह उनके हवस की शिकार बन जाती हैं। यह सिलसिला कब तक चलेगा, आज की स्त्रीजात सकुशल नहीं है। उन्हें हर तरफ से खतरा नजर आता है। काम करने वाली महिलाओं को हर रोज बाहर जाना पड़ता है। ना जाने कैसे-कैसे स्पर्शोसे और नजरोंसे महिलाओं का सामना होता है। उनके पास इतना समय नहीं होता कि वह ऐसे लोफर गुंडे मवालीओके साथमे उलझ जाए। यह अंग प्रदर्शन करने वाली फिल्में बंद होने चाहिए। अन्यथा आज इधर-उधर घर में सड़कों पर जंगलों में बलात्कार होने से कोई नहीं रोक पाएगा। इन कलाकारों से तो एक वेश्या 100 गुना अच्छी होती है। वह कई बलात्कार होने से बचा लेती है।
मंदिरों में मस्जिदों में गिरजाघरोमें भगवान की प्रार्थना कम होती है एवं बलात्कार ज्यादा होते हैं। आज दुनिया भरोसे के लायक नहीं रह गई। नातो रिश्तो पर विश्वास नहीं रहा। अंधकार में देशकी संस्कृति गिन गिन कर सांसें ले रही है। वहां मरने जा रही है उसे आज कौन बचाएगा ?