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यह क्या हुआ

यह क्या हुआ

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ऑफिस में जेट प्लेन की स्पीड से काम करने के बावजूद घड़ी की सुइयों ने रिमझिम को मात दे दी थी। बॉस ने पूरे स्टॉफ को वार्निंग दी थी कि आज कोई भी अपना काम अधूरा छोड़ कर नहीं जायेगा वरना उसकी नौकरी खतरे में आ जायेगी और इस मन्दी के दौर में वो ऐसा रिस्क बिल्कुल भी नहीं ले सकती थी।

आखिर घर भी तो उसकी ही जिम्मेदारी था ना। बीमार माँ और छोटे भाई के लिए वो जिन्दगी के रेगिस्तान मे एक घने साये वाला दरख्त बनना चाहती थी जिससे पापा की कमी का अहसास कुछ तो कम हो। जैसे-तैसे अपना काम खत्म करके ऑफिस से बाहर निकली। रिमझिम ने जब घड़ी पर अपनी नजर फिराई तो वो मुँह चिढ़ाते हुये आठ बजने का ऐलान कर रही थी।

टाइम देखकर सुहाने मौसम में भी पसीने के कतरे उसके माथे पर विराजमान हो गये थे। उसने जल्दी से अपनी स्कूटी स्टार्ट की और जैसे ही घर के लिए निकली की अचानक से उसे याद आया और वो खुद को डाँटते हुये बोली,

"ओह, कल तो राखी है और रोज काम के चलते आज कल-आज कल करती रही पर आज तो राखी लेना बहुत जरूरी है।"

फिर जैसे ही उसकी नजर पहली राखी की दुकान पर गयी उसने झट से अपनी गाड़ी रोक दी और दुकान वाले से बोली,

"भैया, आपके पास कोई डॉरीमॉन वाली राखी है क्या।"

रिमझिम की बात सुनकर राखी वाला सिर हिलाता हुआ बोला,

"हाँ, है ना मैडम जी, यह देखिये, यह सब डॉरीमॉन की ही राखियां है। इस वाली में लाइट भी जलती है तो इस वाली में घड़ी भी है,और यह वाली देखिये इसमें शार्पनर भी है।"

घड़ी वाली डॉरीमॉन राखी देखकर उसे याद आया कि भाई कितने दिनों से एक अदद घड़ी की फरमाईश कर रहा था। भाई की फरमाईश याद आते ही उसने घड़ी वाली राखी ली और घर की तरफ चल दी।

बढ़ते अंधेरे ने एक बार फिर उसके इर्दगिर्द डर का साम्राज्य कायम कर दिया था। अनजाने में ही उसने अपनी स्कूटी की स्पीड और तेज कर दी।

दूर से ही चमक रहे लैम्पपोस्ट पर वो लड़का बैचेनी से किसी सवारी का इन्तजार कर रहा था। रिमझिम को उस लड़के को देखकर लगा जैसे वो किसी परेशानी में है, पर आस-पास गुजर रहा कोई भी उसको लिफ्ट देने को तैयार नहीं था।

रिमझिम जानती थी कि इस रोड पर कोई ऑटो नहीं मिलने वाला पर अगर कोई लड़की होती तो लिफ्ट देना ठीक था पर एक लड़के को, ना जी ना, यह सोचते हुए जैसे ही उसने अपनी स्कूटी आगे बढ़़ाई, उसे उस लड़के के चेहरे फर पसरी उदासी याद आ गयी, जाने क्या सोच कर उसने स्कूटी रोक दी और उस लड़के से बोली,

"क्या हुआ ? आप कुछ परेशान लग रहे हैं।"

रिमझिम को रुकता देखकर उस लड़के के चेहरे पर उम्मीद के जुगनू जगमगाने लगे, वो बोला,

"मेरी माँ की तबीयत बहुत खराब है। मुझे दवाई लेकर जल्दी से जल्दी घर पहुँचना है पर मेरी बाइक खराब हो गयी है और यहाँ ना कोई ऑटो मिल रहा है, ना कोई लिफ्ट ही दे रहा है।"

लड़के की बात सुनकर रिमझिम ने पूछा,

"अच्छा किधर है, आपका घर ?"

रिमझिम की बात पर लड़का जल्दी जल्दी अपना पता बताने लगा।

पता सुनकर रिमझिम बोली,

"अरे, आप तो हमारे घर के पीछे वाली गली में ही रहते हैं,आइये मैं आपको छोड़ देती हूँ।"

रिमझिम की बात सुनकर वो लड़का खुश होते हुये बोला,

"क्या सच में ?"

रिमझिम भी मुस्कुरा कर बोली,

"हाँ, सच में।"

और उस लड़के के बैठते ही रिमझिम ने स्कूटी आगे बढ़ा दी,

वो लड़का शुक्रगुजार होता हुआ बोला,

"आप बहुत अच्छी है, कोई आदमी मेरी मदद के लिए नहीं रुका। पिछले आधे घन्टे से मैं कोशिश कर रहा था पर आप एक लड़की होकर ......।"

लड़के की बात सुनकर रिमझिम बोली,

"उसूलन तो आपकी बात सही है, पर जाने क्यों मैं आपकी मदद के लिए रुक गयी। मेरी गाड़ी ने जैसे आगे बढ़ने से इनकार कर दिया था ....।"

धीरे-धीरे स्कूटी सुनसान सड़क तक पहुँच गयी थी। तभी अचानक से चार बाइकर्स ने रिमझिम की गाड़ी को घेर लिया और मजबूरन उसे अपनी स्कूटी रोकनी पड़ी।

स्कूटी रूकते ही एक बाईकर्स बोला,

"भाई देख ना, कितना कमाल का माल है।"

पहले वाले की बात सुनकर दूसरा वाला भी कमीनेपन से बोला,

"आज तो जश्न की रात है भाई, बस पूरी रात जश्न मनायेंगे।"

उन लोगों की बात सुनकर रिमझिम डर से काँप उठी।

तभी रिमझिम के पीछे बैठा लड़का बोला,

"तुम लोग मुझे जानते नहीं हो, शराफत से हमें जाने दो, नहीं तो अन्जाम अच्छा नह़ी होगा।"

लड़के की बात सुनकर वो बाईकर्स ठहाके लगाते हुये बोले,

"अच्छा, कौन है तू ? देश का प्राइम मिनिस्टर है क्या ? सुन, अपनी जान की सलामती चाहता है तो सिर पर पैर रख कर भाग ले। हम चार है और तू अकेला और हमारे पास यह भी है।"

उनके हाथ मे चमचमाता चाकू देखकर रिमझिम सदमे में आ गयी।

जैसे ही वो बाईकर्स रिमझिम के पास आये, वो लड़का उनसे भिड़ गया और गरजते हुये बोला,

"मना किया था ना कि लड़की को परेशान मत करना। कराटे में ब्लैक बेल्ट हूँ मैं........."

मौका देखकर रिमझिम ने भी 1090 पर फोन लगा दिया और वूमैन हैल्पलाइन पर मदद माँगी।

इतने देर में तीन बाईकर्स ने मिलकर उस लड़के को काबू में कर लिया था और चौथा बाईकर्स चाकू लेकर उसकी और बढ़ने लगा।

यह देखकर रिमझिम ने पास पड़े पत्थर से चौथे बाईकर्स के सिर पर निशाना लगा दिया।

पत्थर लगते ही वो तिलमिला गया और गाली देता हुआ रिमझिम की तरफ बढ़ा, तभी फिजाओं में पुलिस का सायरन तैरने लगा।

सायरन की आवाज सुनते ही वो बाईकर्स भागने लगे पर पुलिस ने उन्हें धर दबोचा।

पुलिस ने उन दोनों की बहादुरी की तारीफ की। रिमझिम भी अपनी स्कूटी लेकर घर की तरफ चलते हुये बोली,

"अगर आज आप नहीं होते तो पता नहीं क्या होता ...।"

रिमझिम की बात सुनकर लड़का बोला,

"कुछ नहीं होता, मैं नहीं तो कोई और आपकी मदद कर देता।"

"हाँ जैसे लोगों ने आपकी आज मदद की थी वैसे ही ना ....,"

रिमझिम तंज से बोली।

फिर पूरा रास्ता खामोशी से ही गुजरा।

लड़के के घर के पास पहुँच कर रिमझिम ने स्कूटी रोक दी। लड़का रिमझिम के सिर पर हाथ फेरता हुआ बोला,

"अगर आज तुम मदद नहीं करती तो पता नहीं क्या होता।"

"और यही बात मैं बोलूँ तो ...."

रिमझिम आँखो से बरसने वाले आँसुओं पर बाँध बाँधती हुयी बोली।

तभी अचानक लङका बोला,

"अच्छा सुनो, कल मुझे राखी बाँधने आओगी ना, पता है मेरी कोई बहन नहीं है, बस मैं और माँ ही है।"

"हाँ, क्यों नहीं पर मैनें तो बस एक ही राखी खरीदी है ना ...।"

"तो क्या हुआ तुम मेरे लिए अपने हाथों से राखी बनाना। बनाओगी ना ?"

लड़के की बात सुनकर रिमझिम ने हाँ में सिर हिला दिया और अपने घर आ गयी।

घर पर माँ और भाई बेहद परेशान थे। उनको तस्सली देकर रिमझिम ने शान्त कराया।

तभी रिमझिम की सबसे अच्छी सहेली का फोन आ गया और फिर रिमझिम ने एक साँस में सारी बात उसे बता दी। रिमझिम की बात सुनकर उसकी सहेली बोली,

"कई बार हमें लगता है की हम दूसरों की मदद कर रहे होते हैं पर हम खुद अपने लिए आसानी कर रहे होते हैं।"

"सही कहा तुमने.."

सहेली की बात पर रिमझिम सहमत होते हुये बोली और फिर फोन रखकर कलावे से राखी बनाने लग गयी।

उसने अपने हाथों से दुनिया की सबसे खूबसूरत राखी बनायी थी, क्योंकि इसमें उसका प्यार भी समाहित था।


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