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आईना

आईना

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आज मेरा जन्मदिन है। शादी के 20 सालों तक न जाने कितने गिफ्ट तुमने मुझे दिए ! अगर आज मेरे पास तुम्हारे जैसा जिंदादिल इंसान नहीं हां मगर तुम्हारी यादें हरपल साथ है। जब भी कोई घड़ी या फोटो देखती हूं, तुम ही नजर आते हो। आज हर घड़ी तू ही मन में हो, मगर दो घड़ी साथ भी नहीं...!

जब भी घर से तैयार होकर निकलती, सबकी नजर यू क्यों घूरती हैं ? पता नहीं, तुम होते तो मेरी तारीफ करते आज !

बहुत अच्छी लग रही हो, तुम्हारा फेवरेट कलर ब्लू औररेड पहनती हूँ, अब मेरा भी फेवरेट - सा हो गया है। घर से निकलते ही ऐसे नजरें क्यों दिखा जा रहा है मुझे ? क्या मुझे जीने का हक नहीं ? क्या मैं रंगीन कपड़े नहीं पहन सकती ? क्या मुझे नई साड़ी नहीं पहननी चाहिए ?

तुम्हारे जाने के बाद सच में लोगों को पहचाना, कैसे कैसे लोग होते हैं ! सच कह रही हूं, जो देवर तुम्हारे सामने ऊंची आवाज में बात भी नहीं करता था, उसने मुझे उल्टा सीधा कहा यहां तक के घर भी खाली करने को कहने लगा, लेकिन पता नहीं क्यों मैं भी शेरनी बन गई हूं ! मुझे अपनी दो बच्चों का जीवन संभालना है। मैंने भी कहा, इस घर में जितना हक उसका है, उतना हमारा भी। उसे घर छोटा पड़ रहा है, तो वह खाली करें, मैं कभी नहीं करूंगी ! मैं अब बातें बताने के लिए तुम्हारे आने का इंतजार नहीं करती, खुद ही शेरनी बनकर दहाड़ती हूँ !

जब मेरे मायके से कोई आता है, तो अब कोई तुम्हारा भाई भाभी मम्मी-पापा मिलने भी नहीं आते। अब शायद रिश्ता तुमसे नहीं रहा, मगर मेरा तुम्हारा रिश्ता हर जन्म का है। अब मैं बेटी को कभी घर पर अकेला नहीं छोड़ती। तुम होते उसकी हॉस्टल जाने की इच्छा पूरी करते, मगर मैं उसे अपने से दूर नहीं करना चाहती ! उसे स्कूल छोड़ने पर ट्यूशन छोड़ने लेने खुद ही जाती हूं। अब मैं गाड़ी धीरे चलाती हूं। जब तक तुम थे, मैंने बहुत अच्छे दिन देखे। मगर अब तुम्हारी अच्छी यादों के साथ लेकर ही जी रही हूं।

अब बेटा भी जिम्मेदार हो गया है, मुझे उसे उठाना नहीं पड़ता। कभी दुकान जाने के लिए नहीं कहना पडता, वह खुद ही कमाता है और मुझे रोज मुरादी देता है।

कहता है, आप संभालो।

संभाल तो वह हमें रहा है।

हम दोनों को दुकान ले जाती हूं, लगता है कुछ मदद करूं मगर मुझे वहां कुछ करने ही नहीं देता। कभी-कभी अकेलापन खाने लगता है, हजारों बातें होती है। लगता है सर फट जाएगा सोचकर, खुद को कितना बदल दिया है मैंने।

आज आईना देख कर मैं हैरान थी ! जो मुंह नहीं खुलती नजर नहीं मिलाती थी, वह आज शेरनी बनकर दहाड़ती है ! नजरें उठाकर जीती हूं। मैंने कभी कुछ गलत नहीं किया, कभी अपनी मर्यादा नहीं भूली। फिर लोग क्यों कहते हैं ?

मैंने क्लब में पोस्ट ली है। अब बड़े-बड़े हेल्थ प्रोजेक्ट पर काम होता है। कई हेल्थ चेकअप होते हैं और कई बीमारियों का इलाज हम लोगों का करवा रहे हैं। काश हमें सब पहले समझते कि समय रहते सावधानी व इलाज कराना चाहिए। मैंने कहा था कभी, चेकअप करा लो ! ना जाने क्यों तुम अनसुना करते थे ? जब चेकअप कराया तो हमारे पास इलाज का ही टाइम नहीं था और तुम हमेशा के लिए...।

अरे ! तुम्हें तो एक खुशखबरी बताना ही भूल गई। 20 सालों बाद आज मैं अपने एडमिशन के लिए कॉलेज गई, बहुत से सवाल थे, बड़ा डर लग रहा था लेकिन तुम भी चाहते थे मैं इंटीरियर डिजाइनर का कोर्स करूं। लो, आज तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई ! मैं एक तारीख से कॉलेज जाऊंगी और हमारे उस अधूरे घर को मैं खुद पूरा करूंगी। वैसे तुम्हें मेडिटेशन सत्संग पसंद नहीं था मगर इनसे ही मुझे मजबूती मिली है और इस मैडिटेशन सत्संग ने हीं मुझे जीवन जीने की प्रेरणा दी है। काश, तुम होते ! तुम होते मेरा आईना बन कर ! आज सत्संग के बाद लगा, शायद ईश्वर ने तुम्हारे रूप में मुझे सत्संग दिया है जो मेरा सहारा है...।


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