चाय
चाय
हम सब के लिए चाय एक मामूली सी चीज है। जब मन किया पी लिया, नही पसंद आई तो फेंक भी दिया बिना एक पल सोचे। पर चाय एक गरीब के लिए क्या है? ये उससे बेहतर कोई बयां नही कर सकता।
अभी कुछ दिनों पहले शाम को सियालदाह स्टेशन गयी थी बेटे को ट्रेन में बिठाने, ट्रैन आने में अभी कुछ समय था तो हम इन्तज़ार कर रहे थे। शाम का समय था, चाय पीने की इच्छा हो गयी तो मैं और मेरे पति स्टेशन में टी स्टाल ढूंढने लगे, जो पास ही मिल गया।
उससे दो कप चाय ले कर हम दोनों बात करते हुए पीने लगे, इतने में मैंने देखा एक भिखारी पैंतीस - चालीस के करीब का इधर ही आ रहा था, जो की स्टेशन पर सामान्य सी बात थी। वो आया और कूड़ेदान मे हाथ डाला, मुझे लगा कूड़ा ज्यादा है तो उठाने आया होगा। पर मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले मैंने देखा उस भिखारी ने तेज़ी से सात - आठ खाली चाय पिये हुए कप के टी-बैग निकाले उन्हें एक कप में निचोड़ा और पी लिया, और जैसे मौज में आया था वैसे ही चला गया। मैं बुत सी खड़ी उस तरफ देखती रह गयी ...
पर जाते - जाते वो अपने साथ मेरे चाय का स्वाद भी ले गया ...