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पाप का भूत

पाप का भूत

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बलवंत और रौशन दोनों ही पक्के दोस्त थे। व्यवसाय में साझेदार थे किंतु कभी आपस में मन मुटाव नहीं हुआ। कभी थोड़ा बहुत कुछ हुआ भी तो उसे दफ्तर में ही निपटा लिया। कभी दोस्ती पर उसकी आंच नहीं आने दी।


व्यापार के पच्चीस साल पूरे होने पर उन्होंने एक बड़ी पार्टी रखी थी। बड़े बड़े लोग पार्टी में आए थे। बलवंत और रौशन ने व्यापार की पच्चीसवीं सालगिरह का केक काटा। उसके बाद सभी पार्टी का मज़ा लेने लगे। बलवंत और रौशन ने जम कर जाम टकराए थे। बलवंत अंदर बजते तेज़ म्यूज़िक से ऊब कर कुछ देर बाहर आ गया। वह बंगले के लॉन में टहल रहा था कि अचानक जो दिखा उसे देख कर उसके पसीने छूट गए। कुछ देर तक उसे समझ नहीं आया कि ऐसा कैसे हो सकता है। सारा नशा एक ही झटके में काफूर हो गया था। वह भाग कर अंदर गया। रौशन अपने में मस्त डांस कर रहा था। बलवंत ने उसका हाथ पकड़ा और उसे खींच कर अपने कमरे में ले गया।


"ऐसी क्या आफत आ गई यार की खींचते हुए यहाँ ले आए।"

दरवाज़ा बंद करते हुए बलवंत ने कहा।

"सुनोगे तो पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी। मैंने अभी बाहर लॉन में सुनयना को देखा।"

"लगता है ज़्यादा ही पी ली है तुमने। बहक गए हो। सुनयना कैसे आ सकती है। लॉन में देखा तो चली कहाँ गई।"


बलवंत कुछ समझ नहीं पा रहा था। उसने सुनयना की एक झलक देखी। फिर वह गायब हो गई। वैसे उसकी बात सुन कर रौशन का नशा भी उतर गया था।नीचे सारे मेहमान थे। इसलिए मन ना होते हुए भी उन्हें पार्टी में आना पड़ा। पर दोनों के ही दिमाग में उलझन थी। उनके माज़ी से निकल कर मन की गहराइयों में दबा हुआ पाप अचानक सतह पर आ गया था।


बलवंत और रौशन दोनों ही ने नया नया व्यापार आरंभ किया था। शुरुआती दौर था इसलिए कुछ खास कमाई नहीं हो पा रही थी। व्यापार को सही तौर पर व्यवस्थित करने के लिए उन्हें पैसों की आवश्यक्ता थी। दोनों उसी के जुगाड़ में थे।


एक दिन उनकी मुलाकात सुनयना से हुई। वह उनके दोस्त रमेश की विधवा थी। सुनयना ने उन्हें बताया कि वह अपने भविष्य को लेकर बहुत चिंतित है। वैसे तो उसे रमेश के जीवन बीमा के पैसे मिले थे। लेकिन वह कितने दिन काम आएंगे। सुनयना परेशान थी कि ना वह अधिक पढ़ी है और ना ही उसे कोई हुनर आता है। ऐसे में वह जीवनयापन के लिए क्या करे। जीवन बीमा के पैसों की बात सुन कर बलवंत के मन में एक तरकीब आई। उसने सुनयना को समझाया कि तुम्हारे पास पैसा है और हमारे पास हुनर। तुम हमें पैसा दे दो। उसे हम व्यापार में लगा देंगे। मेहनत हमारी पैसा तुम्हारा। कमाई हम सबमें बराबर बंटेगी। तुम सोंच लो गर सही लगे तो हमें बता देना। उन्होंने अपने ऑफिस का पता दे दिया।


करीब एक हफ्ते बाद सुनयना उनके ऑफिस पहुँची। उसने कहा कि वह पैसे लगाने को तैयार है। पर वादे के मुताबिक उसे कमाई में हिस्सा मिलता रहना चाहिए। बलवंत और रौशन ने आश्वासन दिया कि उसे कोई शिकायत नहीं होगी। सुनयना ने पैसे दे दिए। लेकिन उसने कोई लिखा पढ़ी नहीं की।सुनयना के पैसे लगा कर बलवंत और रौशन ने अपना व्यापार बढ़ा लिया। व्यापार में अच्छी कमाई होने लगी। पर दोनों ने सुनयना को दिया वादा पूरा नहीं किया। शुरुआत में यह कह कर टाल देते कि अभी तो व्यापार के खर्चे भी पूरे नहीं निकल पा रहे हैं। बाद में उससे असली कमाई छिपा कर थोड़ा बहुत देकर टरकाने लगे।

सुनयना जल्द ही उनकी नीयत भांप गई। वह उन पर अपने पैसे लौटाने के लिए ज़ोर डालने लगी। वैसे तो सुनयना के पास कोई सबूत नहीं था कि उसने व्यापार में पैसे लगाए हैं। लेकिन उसका रोज़ रोज़ ऑफिस आकर तकाज़ा करना व्यापार की साख के लिए अच्छा नहीं था। सुनयना पुलिस के पास जाने की धमकी देती थी। 


बलवंत और रौशन ने व्यापार को सफल बनाने के लिए बड़ी मेहनत की थी। वह नहीं चाहते थे कि उनका नाम खराब हो। लेकिन पैसों का लालच भी था। उन्होंने तो यह सोंचा था कि सुनयना सीधीसादी है। उसे अपने हम से बहला लेंगे। लेकिन सुनयना अपने हक के लिए लड़ने को तैयार थी। 


उससे छुटकारा पाने के लिए उन लोगों ने उसे एक एकांत जगह मिलने के लिए बुलाया। उन दोनों की नीयत खराब थी। उन्होंने तय कर लिया था कि सुनयना को रास्ते से हटाना है। जब वह मिलने आई तो दोनों ने मिल कर उसकी हत्या कर दी। लाश को ठिकाने लगा दिया। सुनयना का कोई सगा संबंधी नहीं था। किसी ने उसकी सुध नहीं ली।


बलवंत और रौशन ही एक दूसरे का परिवार थे। दोनों एक ही बंगले में रहते थे। मेहमानों के जाने के बाद दोनों आपस में बातें कर रहे थे। "बलवंत तुमने सचमुच सुनयना को देखा था।" बलवंत अभी भी सदमे में था। वह बोला।"कुछ नहीं कह सकता। मुझे लॉन में उसकी एक झलक दिखी थी। हो सकता है कि यह मेरे मन का वहम हो। आज हमने जिस व्यापार की सफलता का जश्न मनाया उसमें सुनयना का ही पैसा लगा था। हमने उसे धोखे से मारा था। शायद वही पाप भूत बन कर आया हो।"


दोनों दोस्त बुरी तरह से डरे हुए थे। डर कर रात भर शराब पीते रहे।


अगले दिन शहर में खबर थी कि प्रसिद्ध व्यापारी दोस्त बलवंत और रौशन अधिक शराब पीने के कारण अपने बंगले में मृत पाए गए।


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