बिखरता बचपन
बिखरता बचपन
मम्मा मुझे सिंगिंग नहीं सीखनी, मैं क्लास नहीं जाऊंगी"- रोती हुई सात की अनु ने कहा।
"अरे बेटा, तुम सिंगिंग नहीं सीखोगी तो रंजु की तरह टीवी पर कैसे आओगी, देखा कल कैसे रंजु उस रियलिटी शो की विनर बन गई और उसने अपने मम्मी-पापा का नाम रौशन किया।" "लेकिन मम्मा मुझे सिंगिंग पसंद नहीं है।" "चुप रहो, तुम अभी नहीं समझोगी, ये बातें। तुम्हारे लिए क्या सही है और क्या नहीं ये निर्णय मैं लूंगी"-गुस्से से मौसमी ने कहा।
शाम को जब रवि आया तो देखा मौसमी अनु को डांस क्लास से लेकर वापस आई। अनु बहुत थकी सी लग रही थी जैसे किसी ने उसके शरीर से सारा पानी खींच लिया हो।
"हैलो बेटा, हाय पापा... धीमी आवाज़ में अनु ने कहा और सोफे पर लेट गई। रवि समझ गया की अनु की इस हालत की जिम्मेदार मौसमी है। वह जल्दी से एक गिलास पानी ले आया, पानी पीकर अनु थोड़ी रिलेक्स हुई। अरे वाह! ये देखो इसके भविष्य के लिए मैं दिन रात एक कर रही हूँ तो मेरी कोई कद्र नहीं, ये नहीं हुआ की मुझे भी एक गिलास पानी दे दे।"
"पापा मुझे सिंगिंग क्लास नहीं जाना आप मम्मा को समझाओ ना" - अनु ने कहा।
"मौसमी तुम अनु को सिंगिंग क्लास भी भेजने लगी और मुझे बताया भी नहीं, ऐसे ही कम लोड है उसके ऊपर डांस क्लास, स्विमिंग क्लास, कराटे क्लास और अब ये सिंगिंग क्लास और कितने सारे क्लास लगवाओगी। बच्ची है अभी उससे उसका बचपन मत छीनो, उसे खेलने-कूदने दो, क्यों अभी से उसे बलि का बकरा बना रही हो, लोग ग्लैमर की चकाचौंध में इतने खो जाते हैं कि ये भूल जाते हैं कि वह एक मासूम बच्चे से उसका बचपन छीन रहे हैं। पढ़ाई-लिखाई, और खेलकूद की उम्र में उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना भरते हैं। जो ये सिखाती हैं कि जीत ही एकमात्र लक्ष्य है। और वास्तव में क्या महत्त्वपूर्ण है ये समझ नहीं पाते। बाद में उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इसलिए बच्चों पर अनावश्यक दबाव मत डालों", रवि ने कहा।
"अच्छा..मैं अनु का बचपन छीन रही हूँ, तुम्हें तो कोई शौक हैं नहीं, तुम चाहते हो की मैं भी इसे तुम्हारी तरह नीरस बना दूँ। देखो आजकल के बच्चे... अरे! दूर क्यों जाना अपने वर्मा जी बेटी रंजु को ही देख लो कितना नाम रौशन कर रही है। लोग उन्हें एक बार में पहचान जाते हैं कि वो रंजु के पापा हैं, उन्होंने भी अगर तुम्हारी तरह सोचा होता तो आज रंजु सिंगिंग सेन्सेशन ना बनी होती"-मौसमी ने कहा।
"मौसमी जरूरी नहीं की जो दूसरे बच्चे करें, वो अनु भी करे। दूसरे बच्चे से तुलना क्यों करना। मैं तुम्हें ये बता दूँ की रंजु को शुरू से सिंगिंग में इंट्रेस्ट था, इसलिए उन लोगों ने उसका दाखिला कराया और वो सिर्फ उसी में ध्यान देती है, तुम्हारी तरह दस क्लासेज नहीं लगवा रखी। अनु को डांस पसंद है तो उसे बस डांस पर फोकस करने दो, इस तरह से तो वो किसी भी कला में निपुण नहीं हो पाएगी"-रवि ने समझाते हुए कहा।
दूसरे दिन से स्कूल के एग्जाम शुरू हो गये, अनु ने एग्जाम दिया। उसके बाद बैक टू बैक एग्जाम होने लगे, कराटे क्लास, फिर डांस क्लास का प्रैक्टिकल एग्जाम था, उसे स्टेज पर परफॉर्म करना था। मौसमी ने अनु को अच्छे से तैयार कर दिया। परफार्मेंस शुरू हुई, अनु ने बहुत अच्छी शुरुआत की मगर डांस के बीच में अचानक चक्कर खाकर गिर पड़ी। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मौसमी ने रवि को भी फोन कर बुलाया लिया।
"अत्यधिक तनाव और डीहाइड्रेशन के कारण शरीर में पानी की कमी हो गई है, इसे काफी कमजोरी भी हो गई है। इसे आराम की जरूरत है और बच्चे की देखभाल अच्छे से करिए, आप सही तरीके से इसका ध्यान नहीं रखते क्या?"-डाॅक्टर ने अनु की जांच करने के बाद कहा।
रवि मौसमी को घूरे जा रहा था, डाॅक्टर के जाने के बाद रवि ने गुस्से से कहा- "हो गई तुम्हारे दिल को तसल्ली, यही चाहती थी ना तुम। अपनी महत्वकाशांओं की पूर्ति के लिए क्या जान भी ले लोगी?"
मौसमी आत्मग्लानि से भर गई, उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था, "मुझे माफ़ कर दो रवि मैं आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगी, शोहरत बटोरने के लिए मैं ये भूल गई थी की अनु सात साल की बच्ची है। बस, इसे अपने अनुसार चलाती रही, दूसरों बच्चों से तुलना करती रही, मैं एक अच्छी माँ नहीं हूँ" इतना कहकर फूट-फूट कर रोने लगी। तभी अनु ने मौसमी को पुकारा मम्मा....मम्मा मौसमी अनु को अपनी गोद में भरकर जोर से रोने लगी .. "मुझे माफ़ कर दे, मैं आगे से कभी तुम्हें तंग नहीं करूंगी... मुझे माफ़ कर दे"।
"पापा-मम्मा क्यों रो रही हैं? क्या हुआ इन्हें?" "कुछ नहीं बेटा, आपकी तबियत ठीक नहीं थी ना इसलिए मम्मा रो रही हैं", "मम्मा घर चलो ना मुझे यहाँ नहीं रहना।" तभी रवि ने कहा मौसमी चलो घर चलें....."