सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
एक दिन लड़की गार्डन में बैठी थी। वही एक लड़का आया।
लड़का "बताओ क्या बात है" ?
लड़की, मैं वो कहना चाहती थी की.....
लड़का, हम्म्म्म समझ गया। ....तो पहले मुँह मीठा करो। मैंने अपने माता पिता से बात कर ली है। यु तो वो लव मेर्रिज के सख्त खिलाफ़ हैं पर जब मैंने बताया की वो लड़की तुम हो तो वो मान गए और ख़ास बात तो ये है की अगर मैं न बोलता तो वो तुम्हारे घर रिश्ता लेके आने वाले थे। है ना गुड न्यूज़।
लड़की धक्का दे कर से दूर करती है।
लड़की क्या गुड न्यूज़? और तुम क्या बोल रहे हो तुम्हें पता भी है ...? कम से कम मुझसे पहले बात तो करते
लड़का, है पर....
लड़की, क्या पर ? तुम अपने आपको देखो और मुझे देखो कोई मेल नहीं है हमारा... कुछ भी। .. न तुम्हारी कोई हैसियत है ना कोई कमाई। मेरे छोटे छोटे खर्च भी तुम नहीं उठा सकते। मैं कहाँ और तुम कहाँ.
मेरे लिए फॉरेनर का रिस्ता आया हे वेल सेटेलेड। और मैं उसीके साथ शादी करने वाली हूँ तो भूल जाना मुझे समझ गये ?
लड़की वहां से चली जाती है पर उस लड़के को लड़की की बात बहुत चुभती है। कुछ साल बाद वो अपने पैर पर खड़ा होता है काफी अच्छी कमाई करने लगा था। उसने किसी और से शादी भी कर ली थी वो अपनी जिंदगी में काफी खुश था।
एक दिन वो अपने काम पर निकलने की तैयारी कर रहा था उसकी बीवी कुछ दिनों के लिए मायके गयी हुयी थी। तभी पोस्टमैन आकर एक चिट्ठी दे जाता है। जब वो उस पर लिखा नाम देखता उसे पसंद नहीं आता वो उस लड़की का था। वो उस लेटर को वही छोड़ देता हे और वापस अपना काम करने लगता है। पर बार बार उसका ध्यान उस लेटर पर ही जा रहा था, उस लड़के को लगता है की उस लड़की को अपनी गलती का एहसास हो रहा होगा पर अब कुछ नहीं बदलने वाला। फिर भी देखु तो सही अब और क्या नया नाटक है उसका, वो लेटर खोलता है अंदर लिखा था......
हैप्पी एनेवर्सरी। आज तुमने मुझे अपने मन की बात कही थी.... शायद तुम्हारी नफ़रत वो भूल गयी होगी। अगर तुम ये पढ़ रहे हो मतलब मैं तुमसे बहुत दूर हूँ ..... पर ये जान के खुश हूँ की तुम अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गए हो... जानती हूँ तुम्हें ये लग रहा होगा की अब ये सब बातें क्यों ? मैं तुम्हारी इतनी बड़ी गुनहगार हूँ की शायद हर सजा मेरे लिए कम होगी। पर क्या करू मज़बूरी थी। अगर मैं कुछ देर रुला के पूरी जिंदगी खुशियाँ दे सकूँ तो उससे बढ़कर मेरे लिए क्या होगा ? यूँ तो मैं ये नहीं लिखने वाली थी पर तुम्हारी नफरत से मैं ऊपर से भी खुश न रह पाती ... हाँ अगर तुम ये पढ़ रहे हो तो मैं मर चुकी हूँ । जब तुम्हे आखरी बार मिली थी उसके दूसरे दिन मेरा ऑपरेशन था बच गयी पर कुछ दिनों की महेमान बन के। क्या करती ये सब करना पड़ा मेरे पास और कोई रास्ता भी नहीं था अगर तुम्हे सच बताती तो तुम कभी मुझे भूल न पाते . ख़ुशी है की जो काम मेरा प्यार न कर पाया वो मेरी नफ़रत ने कर दिया। हमेशा खुश रहना क्यों की में तुम्हारी ख़ुशी में रहना चाहती हूँ , तुम्हारी हँसी में रहना है मुझे , तुम्हारी दिल की धड़कन में रहना चाहती हूँ । ... हो सके तो माफ़ कर देना इस बार न सही पर अगले जन्म मैं तुम्हारी ही बनना चाहूंगी। .. इंतजार करुँगी तुम्हारा .
ये पढ़ के लड़का रोने लगा, उसे महसूस होता है की सच्चा प्यार तो उसका था मेरा तो बस ऊपरी दिखावा था वार्ना बिना उसके कहे में उसका दुःख पहचान लेता शायद यही प्यार है । एक ने दुसरे की ख़ुशी के लिए जान दी तो दूसरे ने उसकी ख़ुशी के लिए हंस के ज़िन्दगी बिता दी ।