डेथ वारंट भाग 2
डेथ वारंट भाग 2
सालुंखे अपनी पुलिस जीप से सायरन बजाता हुआ बेहराम पाड़ा पहुंचा। यह इलाका हमेशा से पुलिस वालों के लिए सरदर्द बना रहता था। वैसे कई भ्रष्ट पुलिसकर्मी इसी इलाके के दम पर करोड़ों में भी खेलते थे। सालुंखे कोई एकदम साधु महात्मा था ऐसी बात नहीं थी लेकिन वह एकदम से गया गुजरा और लालची नहीं था। जिन अनैतिक कामों से समाज को कोई विशेष नुकसान नहीं पहुंचता हो उस काम में रिश्वत खा लेने में उसकी अनैतिकता बहुत आड़े नहीं आती थी लेकिन वह भरसक अपने इलाके में कानून व्यवस्था बनाये रखने की कोशिश करता था। सालुंखे ने आगजनी के स्थान पर पहुंच कर मुआयना किया। लगभग बीस झोपड़े जलकर राख हो चुके थे। कुछ लोग अभी भी जले हुए झोपड़ों से कुछ बचाने लायक वस्तु ढूंढने की कोशिश कर रहे थे। कुछ वे महिलाएं इधर उधर बैठी विलाप कर रहीं थीं जिनका सर्वस्व इस अग्नि में भस्म हो गया था। सालुंखे अग्निकांड के सम्मुख वाली दुकान पर गया और पूछताछ आरम्भ की, क्यों शेठ ! उसने किराना दुकान के मारवाड़ी सेठ से पूछा,आग कैसे लगी ?
साब ! मारवाड़ी सेठ हाथ जोड़कर बोला, पैल्ला एक झोपड़ा सूं धुंआ निकला, फिर बिजली की तेजी से आग फैल गई,जब तक हम लोग पानी ले के दौड़ते तब तक सब खाक हो गया सा !
मतलब आग तेजी से फैली ? सालुंखे ने पूछा
भौत तेजी से साब ! अब येई समझ लो कि पेट्रोल डाल कर जलाया हो एसेई लगा हमको, मारवाड़ी बोला।
सालुंखे सोच में पड़ गया,हो सकता है कि आगजनी किसी उद्देश्य से की गई हो,इन इलाकों में झोपड़ों को अनेक स्वार्थों के लिए भी नष्ट किया जाता था। कई झोपड़े पहले भी जलाए जा चुके थे और उनके स्थान पर इमारतें बना दी गई थी। एक बिल्डर लॉबी इस काम में भी लिप्त थी। फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां अभी भी मौके पर लगी हुई थी। कई जले हुए शव निकाल कर एक कतार से लिटाये गए थे, छोटे छोटे बच्चों की जली हुई लाशें बड़ा हृदयविदारक दृश्य उपस्थित कर रही थी। सालुंखे की आंखे क्षोभ और क्रोध से लाल हो गईं। इतनी देर में गजानन पूछताछ करके आ गया और फुसफुसाता हुआ बोला, साहेब ! कुछ लोग बोल रहे हैं कि ये जगह में बॉस का इंटरेस्ट है। कोई बिल्डर ये जगह पर कुछ बिल्डिंग वगैरा बांधना चाहता है और लोग कह रहे हैं वो ये जगह खाली करवाना चाहता है।
गजानन के हर इलाके में बहुत से खबरी थे और वह हमेशा पक्की खबर निकाल कर लाता था।
सालुंखे की आंखें अब मानो अंगार उगलने लगीं। वह दांत भींचकर बोला,अगर ये बात सच हुई गजानन,तो बॉस मेरे ही हाथों मरेगा।
लेकिन साहेब,उसको तो कोई जानता पहचानता ही नहीं , उसको पकड़ेंगे कैसे ? गजानन ने दुविधा उपस्थित करते हुए कहा,मैं तुकाराम सालुंखे,इंस्पेक्टर,बांद्रा पोलिस स्टेशन,उसको ढूंढ कर रहूंगा गजानन ! तुम देखते रहना। इन बच्चों की मौत का हिसाब उसको देना ही पड़ेगा।
हम लोग भी जान लड़ा देंगे साहेब,हवलदार गजानन मोरे और पुलिस ड्राइवर हरीश तिवारी एक साथ बोले। उन दोनों के जबड़े भी कसे हुए थे और बॉस को पकड़ने का संकल्प उनकी आंखों में झलक रहा था।
कहानी अभी जारी है ......