पंगा
पंगा
हमारे स्कूल के दिन ख़त्म हुए । हम अपनी छुट्टी को इंज्वाय कर रह थे। साथ ही, आने वाले दिनों में कालेज के सपने देख रहे थे । कुछ डर भी था, कालेज के तरह-तरह के किस्से दोस्तों से और बड़े भाई और बहन से सुन रखे थे तो उत्सुकता थी, खौफ भी, सीनियर की क्या प्रतिक्रिया होगी। कालेज के नये दोस्त कैसे होगें।
कालेज के दिनों में आते ही जैसे हमें नए पंख मिल गए हो। हम खूब मस्ती करते और पढ़ाई के साथ-साथ हर एक्टिविज में भाग लेते। हमारे कालेज में कुछ सीनियर बड़़े झगड़ालू किस्म के भी थे। उनका रवैया अक्सर नए आए छात्रों को डराना, धमकाना होता, जबकि बाकी सब छात्र बहुत अच्छे थे। हम पांच लड़कियों के ग्रुप में राइमा, नीतू, ज्योति और सीमा, मैं और लता थीं । लता हमारे ग्रुप में पढ़ने में सबसे होशिआर थी, मगर सब से ज्यादा चंचल और हाज़िर जवाब नीतू थी । पढ़ने में ज़रा सी बात पर हर एक से उलझ जाती थी और बात को बहुत लम्बा कर देती थी।
कालेज के उन गुंडे लड़कों की नज़र हमारे ग्रुप पर थी। अक्सर वो लोग आते-जाते हमें परेशान कर रहे थे।फिर भी, हम सब उनकी हरकतों को नज़र अंदाज़ करते रहे । एक दिन उन्होंने हम पांचों को रोक कर कहा, "कल हमारे ये नोटस कम्पलिट करके लाना"। कुछ कागज़ गिरा कर नीतू से बदतमीजी से कहा "चल, उठा इन्हें"। नीतू तो बड़ी गुस्सेल और तेज़तर्रार थी । उसने ताव में आकर कागज़ को फाड़कर फेंक दिया। उन लड़कों को अपना अपमान लगा । वो हाथापाई पर उतरने लगे। इतने में मैंने बीच में आ कर कहा, "देखिए मैं उसकी तरफ से माफी मांगती हूँ।"
मगर वो लड़का जो उन सब का लीडर था अब हम सबको पूरे कॉलेज के सामने माफ़ी मंगवाना चाहता था । हम वहाँ से घर के लिए निकले । रास्ते में हम सब एक रेस्टोरेंट में गए । काफ़ी डरें हुए थे ।हम सबने नीतू को यही कहा, " क्यों तुमने बेकार में पंगा लिया, देखती नहीं कालेज की सारी लड़कियां उससे खामोशी से दूरी बनाकर रहती हैं ।उसका तो काम है, इस तरह की गुंडागर्दी करना। तूने तो बैठे-बिठाए 'आ बैल मुझे मार' पंगा लिया।"