तू सागर मै किनारा
तू सागर मै किनारा
प्यार तो मैं भी करने लगी हूँ नील तुमसे।तुम्हारा धीरे धीरे समझाना ,बात बात पर हँसना और हसाना।जितने समय तक तुम यहाँ आते हो ,सब अपना दुःख ही भूल जाते है।पर मुझे मेरे पहले प्यार ने इतना गहरा जख्म दिया है कि मुझे इसके नाम से ही डर लगने लगा है।कही तुम भी मुझे धोखा दे दिए तो मेरी जिंदगी और बदतर बन जायेगी।.....सोचते सोचते नीरा की आँखे भर आई।
तभी नर्स आई और मुस्कुराते हुए नीरा कुछ जरुरी हिदायते दी।फिर इंजेक्सन लगाने लगी जिससे नीरा बेहोश होने लगी।बेहोशी की हालत में वो अपने अतीत के पन्ने पलटने लगी। नर्सिंग की डिग्री लेकर नीरा अपना ट्रेनिग करना चाहती थी।पर पापा ने सख्ती से मना कर दिया था।काफी समझने के बाद जब पापा ट्रेनिंग की इजाजत नही दिये तो वो अपने एक सहेली के घर से ट्रेनिग को समाप्त किया।पर जब वो वापसी के लिए घर गयी तो पापा ने घर से क्या ,अपनी जिंदगी से भी निकाल फेका।
वापस अपनी सहेली और दोस्तों की मदद से नीरा ने यहा के हॉस्पिटल में जॉब ली।
अपने बचपन के दोस्त रोमी से अपना दुःख -सुख बताते बताते कब अपने भावी जीवन का उसके संग ख्वाब बुनने लगी उसे खुद ही पता ना चला।रोमी ने कभी कोई पहल तो नही की पर कभी मना भी नही किया।तो नीरा ने उसे उसकी हा ही समझी।पर जब दुर्गाष्टमी के दिन किसी और लड़की के साथ मेले में देखी तो उसने रोमी से पूछा।वो उसे अपनी होने वाली पत्नी बताया।ये सुनकर नीरा को अपनी कानो पर विश्वास ही नही हुआ।जब नीरा ने उसे अपने प्यार का वास्ता देने लगी तो वो बोला- मैंने तुम्हे कोई सपने नही दिखाये नीरा ,मैंने तुमसे तुम्हारे दुःख सुख की बात क्या कर दी तुम तो इसे मेरा प्यार ही समझ ली।वैसे भी मेरे घर वालो को भी तुम कभी पसंद नही थी।
रोमी ने अपनी इन बातों से नीरा का दिल तो तोड़ा ही उसकी आत्मा तक छलनी कर दी थी।कुछ अपनों प्यार की बेवफाई और कुछ अपनों से दूरी ...उसे कुछ समझ नही आ रहा था।और वो अपने हॉस्टल के छत से कूद गई ।सोची तो थी उसका किस्सा ख़त्म हो जायेगा पर ना जाने नील कब आ गया।और वो ही उसे हॉस्पिटल लाया और हॉस्पिटल की सारी औपचारिकताए भी पूरी की।
नील से नीरा की ज्यादा पहचान तो ना थी क्योंकि जिस डिपार्टमेंट में नीरा हेड नर्स थी ,उसी डिपार्टमेंट में नील जूनियर डॉक्टर था। वो और सारी नर्से उसे मोटा काला गेंडा कहकर आपस में मजाक उड़ाती थी।पर नील काफी खुशमिजाज था ।वो खुद ही सबको हँसाता रहता।बस नीरा ही उसके इस व्यवहार से चिढ जाती और उससे कटी कटी रहती थी।
आज वही नील नीरा की न सिर्फ जान बचाई बल्कि एक पल को भी अकेला नही छोड़ा।जब नील ने नीरा के मन को टटोला तो उसने अपने जीवन की सारी परते खोल दी।काफी हल्का भी महसूस कर रही थी नीरा अपना गम बाटकर।सच ही कहा जाता है कि दर्द बाटने से दिल हल्का हो जाता है। आज शाम को वो हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने वाली थी।और नील सुबह ही उसे शादी का प्रस्ताव देकर उसका जबाब भी माँगा था।क्या नील को हा करके वो कोई गलती तो नही करेगी ना? इसी इन्ही उलझनों में नीरा खोई थी।
तभी नील आया और नीरा को बोला- नीरा तुम्हे जितना समय लेना हो ,तुम ले सकती हो।क्योंकि मैं भी प्यार में चोट खाया हूँ पर मैं टुटा नही।बल्कि मै चाहता हूँ की उस प्यार के दर्द को हम एक दूसरे से बाटे। कुछ तुम मेरी सुनो ,कुछ अपनी कहो।तुम मुझे मना भी कर सकती हो। हम जीवनसाथी से ज्यादा एक दूसरे के दोस्त बने। क्योंकि हमारे हिस्से का दुःख तो हमें मिल चुका है ।अब समय हमें हमारे दुःखो को सुख का रास्ता दिखने की है।मेरे इस सफर में क्या तुम मेरा सहारा बनना चाहोगी।
नीरा की आँखे छलछला गयी और वो अपना हाथ नील के हाथ में देकर अपनी मौन सहमति दे दी।