लकड़ी चोर
लकड़ी चोर
भोलू सुबह-सुबह बहुतसारी लकड़ियां लेकर जंगल से अपने घर की और जा रहा था तब उसकी नजर वही पुलिस पर पड़ी।
जब भोलू लकड़ियां काटने कुल्हाड़़ी लेकर जंगल में जा रहा था तब उसने रास्ते में पुलिस वाले को खड़े देखा तो उसने कुल्हाड़़ी छीपा कर पुलिस वाले के पास गया और पूछने लगा की "सर क्या हुआ है ? आप लोग ईस जंगल में क्यों ? पुलिस वाले ने बताया "हमें जानकारी मिली है की यहा जंगल में गैर कानूनी तौर पर पैड़-पौधे काटे जा रहे है जो कानूनन अपराध है। तुमको उनके बारे मे कुछ मालूम हो या फिर कोई संदिग्ध लोग तुमने देखे है तो हमें बता।
भोलू थोड़़ा ड़र के जवाब देता है "सर मुझे कुछ मालुम नहीं है" और चुपचाप जंगल में लड़़किया काटने चला जाता है। पुलिस को थोड़ा शक होता हैं मगर उसे जाने देते है।
लकड़ियां काटकर और उसे लेकर भोलू वही रास्ते से वापस जाने लगा जहा उसने पहले पुलिस वाले को देखा था यूँ सोचकर की अब तो पुलिस वाले लकड़ी काटने वाले को ढूँढने आगे निकल गई होंगे। वो लकड़ियां लेकर वहीं जगह वापस आने निकल पड़ा। वहाँ पहुँचते ही उसने देखा की पुलिस दूसरे लकड़ी चोर को पकड़कर उन पर अपनी कानूनी कार्रवाई कर रहे थे। भोलू को लगा में एसे खुद ही अब फंस गया हूँ,
मुझे भाग जाना चाहिए वर्ना ओ बैल तू आ और मुझे मार वैसा हो जाएगा। वो लकड़ियां रखकर भागने ही वाला था और तुरंत ही एक पुलिस वाले ने पीछे से उसको पकड़ा और देखते ही वो बोला "तु भी इस जुर्म में सामिल है ? सुबह पूछा तब मना कर रहा था। उस समय यदि बता दिया होता तो ज्यादा कुछ नहीं होता अब तो तू खुद ही हमारे लपेटे में आ गया ना देख अब सरकार तेरा क्या हाल करेंगी।